तन्हाई
🌹🌹🌹🌹 तन्हाई 🌹🌹🌹🌹
सीने पे रख के पत्थर किसने ग़ज़ल कही है।
रो - रो के हाय शब भर किसने ग़ज़ल कही है।
पूछेंगे जब वो सुन कर किसने ग़ज़ल कही है।
क्या दोगे आप उत्तर किसने ग़ज़ल कही है।
अल्फ़ाज़ ख़ूँ में तर हैं अफ़सुर्दा है क़लम भी।
ज़ख़्मों पे रखके नश्तर किसने ग़ज़ल कही है।
तन्हाईयों के मन्ज़र होते हैं साफ़ ज़ाहिर।
खल्वत में करके बिस्तर किसने ग़ज़ल कही है।
तस्वीर खींच दी है हुस्न ए अजल की जैसे।
ह़ैरां हूँ इतनी सुन्दर किसने ग़ज़ल कही है।
काग़ज़ से आ रही है बू - ए - शराब साक़ी।
छलका के ग़म के साग़र किसने ग़ज़ल कही है।
ऐश ओ तरब से अपना दामन बचाके यारो।
ग़म को बना के मेह़वर किसने ग़ज़ल कही है।
हर शय पे सुनते - सुनते छाने लगी उदासी।
इतना उदास हो कर किसने ग़ज़ल कही है।
छोड़ो फ़राज़ सबको तुम ही मुझे बताओ।
इतनी ह़सीन मिस्टर किसने ग़ज़ल कही है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद।
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Saba Rahman
03-Jul-2022 02:19 AM
Nice
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Chudhary
03-Jul-2022 12:46 AM
Osm
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Khan
02-Jul-2022 06:34 PM
Nyc
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