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डाक्टर विशेषांक भाग 4 लेखनी कहानी -04-Jul-2022 दवाऔ का कालाधन्धा

           राजीव के मौबाइल फौन पर  घन्टी बज रही थी। जैसे ही उसने काल अटैन्ड की  उसी समय दूसरी तरफ से आवाजे आरही थी। राजीव हैल्लौ हैल्लौ बोले जारहा था। राजीव की  हैल्लो का कोई जबाब ही नही दे रहा था। 


      उधर दो लोग आपस में बाते कर रहे थे राजीव की समझ में कुछ कुछ आरहा था वह किसी दवा की बात कर रहे थे शायद वह करोना सम्बन्धित इन्जैक्शन एवं आक्सीजन की सप्लाई की बात कर रहे थे।

     राजीव की समझ में यह तो आगया था कि वह दवाऔ के ब्लैकमेलिग  का काम करते है। बैसे भी करौना की दूसरी  लहर में दवाओ की बहुत अधिक मात्रा में ब्लेकमेलिग की गयी । कितने लोगौ को अपनी जान गवानी पडी़ थी।

       परन्तु ब्लैक का धन्धा करने वालौ को किसी की जान की कोई कीमत नजर नही आती है। उनका मक्सद किसी भी तरह  भी पैसा कमाना केवल पैसा कमाना है आजकल नैतिकता नाम की कोई चीज नही बची है। जो भी नैतिकता की बात करता है उसे पागल कहा जाता है।

    राजीव ने उनकी बार्तालाप को रिकार्ड भी कर लिया था।  अब उसे पक्का विश्वास होगया था कि यह लोग दवाऔ के ब्लैक करने वाले गिरोह से ही सम्बन्धित है।

       राजीव ने उनकी शिकायत करने का मन बना लिया था। और वह पुलिस के पास न जाकर टेक्स वालौ के आफिस जाकर  उनके इन्चार्ज से  मिला और उनको अपने फौन की रिकार्डिग सुनादी ।

     उनकी रिकार्डिग सुनकर उनके अफसर अरोडा़ को पक्का विश्वास होगया कि यह दवाऔ के ब्लैक करने वाला का कोई बडा़ गिरोह है।

     अरोडा़जी ने राजीव को तो उसके घर भेज दिया उसके मौबाइल की रिकार्डिंग व जिस नम्बर से  बात हुई थी र्ह नम्बर भी ले लिया था।
अरोडा़ जी ने उस नम्बर पर काल करने के लिए किसी दूसरे अनजान  नम्बर से  फौन किया और  उससे रेमडेसीवीर इन्जैकाशन  की सप्लाई के लिए बात की।

        वह ब्लैकमेलर पहले तो किसी भी तरह तैयार ही नहीं होरहा था। वह बोला," तम्है मेरा नम्बर किसने दिया। मुझे तो दवाऔ की ए बी सी डी भी नही आती है और तुम कहरहे हो किरेमडेसीवीर इन्जैक्शन थोक में  माँग रहे हो। भाई मेरे पास दवाई का क्या काम  ? मै तो एक  चाय का खोखा चलाता हू़। मेरे पास दुबारा फौन मत करना।

         अरोडा़ साहब समझ गये कि यह पक्का  खिलाडी़ है पहले तो इनके बिजिनिस का यह धर्म है कि पहले इतना नाराज हो जाओ कि वह फौन ही न करै। यदि वह इतनी नारजगी के बाद फिर फौन करता है और बात करने के लिए आतुर है तो वह  आदमी सही है।

     जब अरोडा ने उससे  दुबारा फौन करवाया एक बार तो वह पुनः मना करने लगा फिर वह मान गया और बोला मै तुम्है किसी और नम्बर से फौन करता हूँ लेकिन एक बात का ध्यान रखना पैमेन्ट कैस होगी इस हाथ डिलेबरी उस हाथ पैमेन्ट । यदि तुम्हारा माल पकडा़ गया तब हमारी कोई जिम्मेदारी नही होगी।  ?"

      उनको तो कैसे भी उसको फसाना था इसलिए उसकी सभी शर्तै मानने को तैयार थे।

      कुछ समय बाद दूसरे नम्बर से उस पर काल आई और उसको डिलेबरी का समय व  डिलेबरी लेने की जगह बतादी।

        अरोडा़ जी को  अब सफलता की पूरी आशा बध गयी थी क्यौकि अब वह उनके जाल में पूरी तरह फसता जारहा था।

     अरोडा़जी ने इसके ऊपर बात की कि उनको उस समय सिविल ड्रेस में ज्यादा से ज्यादा स्टाफ चाहिए। स्टाफ भी ऐसा हो जो सब प्रकार से कुछ भी  करने को तैयार हो।

    अरोडा़ जी ने अब ऐसा जाल बिछाने की तैयारी करदी कि वहाँ से उनका बचकर जाना बहुत कठिन था।

       समय पर बन्दा रंग लगे नकली नोट लेकर  बालैक मेलर के बताये गये  स्थान पर पहुँच गया उसने अपनी गाडी़ एक साइड में पार्क करदी थी। 

      उनका आदमी समय पर डिलेबरी  का सामान लेकर पहुँच गया। जैसे ही उन दोनौ ने अपने अपने बैग एक दूसरे को सौपने की प्रक्रिया पूरी की उसी समय उन दोनौ को चारौ तरफ से घेर लिया और आत्म समर्पण करने को कहा गया।

        ब्लैकमेलर के आदमी ने चालाकी दिखाते हुए भागने की कोशिश की उसी समय उसके पैर में गोली लगी और वह बैग को छोड़कर वही गिर पडा़ ।उसको कैश सहित गिरफ्तार कर लिया गया। और दूसरे अपने आदमी को छोड़दिया।

        इस तरह उसको गिरफ्तार करके जेल भेजने से पहले उससे उसके मुख्य  इन्चार्ज के बिषय में पूछा गया। जैसे ही उसको  धमका कर पूछा गया उसे सब सच सच बता दिया क्यौ कि वह  इस काम में नये ही आये थे ।

       उसकी सहायता से मुख्य आरोपी बहुत दवाऔ के साथ पकडा़ गया। राजीव की सहायता से एक बहुत बडा़ गिरोह उनकी पकड़ में आचुका था। राजीव का नाम  छिपाकर रखा गया क्यौकि ब्लैकमेलर उसके साथ कोई अनहौनी न करदै।

     करौना की दूसरी लहर में लोगौ ने मानवता छोड़कर इतनी दवाए ब्लैक की जिसकी कोई सीमा नही थी सौ रुपये की दवा पाँच हजार में बिक रही थी। मेडीकल पर तो  मिलती ही नही थी। ब्लैक करने वालेँ ही लाकर देते थे। आक्सीजन की भी ब्लैक चल रही थी।

       दवाऔ की कमी व समय पर न मिलने के कारण  कितनी ही जान चलीगयी। कितने लोगौ ने अपनौ को खोया है । कलयुग में हम मानवता व नैतिकता भूल गये है हम केवल पैसे के पीछे दौड़ रहे है।।
आज जीवन की कोई कीमत नही रही है।


डाक्टर बिशेषांक केँ लिए रचना भाग ४

नरेश शर्मा " पचौरी "

 05/07/२०२२


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8 Comments

Chudhary

07-Jul-2022 12:08 AM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

06-Jul-2022 10:44 AM

बेहतरीन रचना

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Saba Rahman

06-Jul-2022 12:28 AM

Nice

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