Rekha khichi

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लेखनी कहानी -05-Jul-2022

स्नेह की मूरत है मेरी प्यारी गुड़िया
वो तो मेरे लिए है जादू की पुड़िया
पल भर में छू मंतर कर देती है सारी थकान को
उसकी हसीं की खिलखिलाहट जैसे 
बंजर जमीन को हरा भरा बना देती है बागबान को
मेरी गुड़िया बिलकुल मेरे परछाई है
वो तो बस स्नेह की देवी बन मेरी जिंदगी में आई है
मोम सी नाज़ुक है वो लेकिन पत्थर उससे बनाना है
अभी गुड़िया जानती नहीं की बेहरम ये ज़माना है
गुड़िया बोलते हैं इसका मतलब ये नहीं कि ये कोई खिलौना है
ये तो अपने माता पिता के लिए चमकता हुआ सोना है 
मेरी गुड़िया अभी तक इन सब बातों में कच्ची है
मेरे लिए तो हमेशा ये छोटी बच्ची है।
 इसके साथ मैंने फिर से बचपन जीने की चाह दिखाई है
इसने तो मुझे मेरे जीवन में आगे बढ़ने की राह बताई है
हर रोज़ चुपके चुपके मुझे निहारती है
मेरी गुड़िया मुझे अपने जैसे संवारती है
मेरी जिंदगी की सारी कमी दूर हो गई
मेरे आंगन में भी प्यारी सी कली खिल गई।
#प्रतियोगिता

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5 Comments

Swati chourasia

06-Jul-2022 06:41 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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Gunjan Kamal

05-Jul-2022 10:59 AM

शानदार

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Alfia alima

05-Jul-2022 09:51 AM

Nice

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