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अमानव -आरंभ ( स१-एपिसोड १)

आज सुबह से नागपुर के अखबारों में हलचल थी एक कूड़े  के ढेर के पास कुछ लाशें  मिली  |लाशों की हालत काफी दुर्दांत थी लगता था जैसे किसी जानवर ने हमला किया है चेहरा छोड़कर बाकी पूरा शरीर फटा हुआ था।

 

(वहीं दूसरी तरफJ :

 

इशिका : घर पहुंच गए?

मयंक    :  नहीं थोड़ी देर में पहुंच लूंगा यार रास्ते में वो काफी ट्रैफिक था।

इशिका  : संभाल कर जाइएगा |

मयंक    : हां बेबी चिंता मत करो आराम से जाऊंगा|

इशिका :  अरे  ! आपको एक बात बताऊ  वो  जब हम मॉल में गए थय तो एक आदमी था न  जो अपनी पत्नी से बुरी तरह से बात कर रहा था  उसको किसी ने मार दिया

मयंक : अरे ! कैसे?

इशिका:  वह नहीं पता

मयंक :  चलो क्या फर्क पड़ता है वैसे भी बदतमीज आदमी था जो अपनी पत्नी का अपमान कर रहा था  जो लोग स्त्री का सम्मान नहीं कर सकते उनका तो जीना ही बेकार है |चलो अब घर पहुंच कर बात करता हूं बाय|

  इशिका  : बाय आई लव यू |

 

मयंक और इशिका पति-पत्नी थे दोनों अलग-अलग शहर में काम करते थे इसलिए मयंक कभी कभी मिलने जाया करता था

 

(शाम फोन पर बात)

 

मयंक: हेलो

नितेश: हेलो कैसा है वापस आ गया?

मयंक :  हां यार आज मूड अच्छा नहीं है चल साथ में डिनर करते हैं|

नितेश {हंसते हुए) : हां भाई पत्नी से मिल कर आए हो यहां क्यों मन लगेगा चल शाम को मिल

 

शाम को एक रेस्टोरेंट में:

 

नितेश  : और बता सब बढ़िया सब ठीक है?

मयंक  : हां ठीक है तबीयत गड़बड़ है कुछ इसकी

नितेश  : कोई नहीं ठीक हो जाएगी

मयंक (आह भरते हुए ): हां यार बस ऐसा ही हो |चल छोड़ तू बता कैसा चल रहा है काम , :नौकरी ?

नितेश : सब ठीक है यार नौकरी तो वैसे भी टाइम पास ही है बस बिजनेस पर थोड़ा फोकस कर रहा हूं

मयंक: हां यार बिजनेस तो मेरा भी आजकल ठंडा पड़ा हुआ है

 

तभी चिल्लाने का शोर:

 

एक आदमी: मुझे कुछ नहीं पता मेरा सूट खराब हो गया

 होटल मैनेजर  : सर हम आपको इसका खामियाजा देंगे |

आदमी : मुझे नहीं पता इस बेटर को नौकरी से निकाल |

 

यहां यहां गलती से एक वेटर से सूप गिर गया था एक आदमी के सूट पर

 

वेटर : मुझे माफ कर दीजिए सर

आदमी (चीखते हुए) : बाहर निकालो उसे

मैनेजर : सुरेश जाओ वरसोवा कर अपना हिसाब कर लेना कल से आने की जरूरत नहीं है

 सुरेश  :आप चाहे मेरे तनख्वाह से इसके पैसे काट दीजिए पर नौकरी से मत निकालिये|

अमानव -आरंभ ( स१-एपिसोड १)

पर आदमी नहीं माना

नितेश : कितना खराब आदमी है यार गरीब के पेट पर लात मार दी

मयंक : पैसे की गर्मी ने पागल कर दिया है भाई

नितेश : चलो देर हो रही है यार अब घर चला जाए

 

{मयंक और नितेश दोनों ही काफी अच्छे दोस्त हैं| 12th  क्लास से ही दोनों की मित्रता थी| दोनों ही काफी हंसमुख लड़के थे| नौकरी के साथ-साथ वे व्यापार भी करते थे उनकी बहुत सारी आदतें सामान थी जिनके कारण उनकी मित्रता और गहरी थी वह उन अपने सुख-दुख आपस में बांटा करते थे }

 

नितेश का घर :

 

नितेश की मां  : आज काफी देर हो गई |

नितेश : हां मां मयंक के साथ था|

मां : सब ठीक है ?

नितेश : जी

मां    : आओ खाना खा लो

नितेश : मैं खा कर आया हूं  मैं अपने कमरे में जा रहा हूं |

 

(नितेश अपने कमरे में जाता है और स्टडी टेबल पर बैठकर डायरी खोल कुछ लिखने लग जाता है |)

 

क्रमशः……….

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13 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 09:26 PM

शुरुआत से ही रोचकता से भरी हुई स्टोरी।

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Fauzi kashaf

02-Dec-2021 11:52 AM

Good

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Zaifi khan

30-Nov-2021 07:43 PM

Good

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