लेखनी प्रतियोगिता -05-Jul-2022
"जज़्बात"
लिख दूं जज़्बात कही किताबों में,
फिर कही भूल जाऊ ना लफ्ज़ वो सारे,
जिक्र हो रहा तेरा मेरे जज्बातों में,
बरस जाएं बनके बारीशों में वो सारे।
हरा है मौसम इन वादियों का,
लेकिन ज़ख्म अभी भरा नहीं है ।
बेचैन है दिल ख्वाहिशों का,
क्यों के इस दिल की कोई दवा नहीं है ।
Shrishti pandey
06-Jul-2022 01:20 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
06-Jul-2022 10:13 AM
बेहतरीन रचना
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Abhinav ji
06-Jul-2022 07:30 AM
Nice
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