Murder or trap 14
"नहीं..! नहीं मुझे कुछ बुरा नहीं लगा। लेकिन सॉरी इस मामले में मैं तुम्हारी कोई भी मदद नहीं कर पाऊंगा। एक्चुअली बात यह है कि भाई और अनीता का मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनवाया गया था। और रही बात अनीता की आईडीज् की.. तो वह भी नहीं बनवाई गई थी।"
यह सुनते ही रूद्र को बहुत ज्यादा झटका लगा।
"क्या..?? कौन से जमाने में रह रहे हो तुम लोग..! तुम लोगों ने उस लड़की की आईडी ही नहीं बनवाई..??"
जीत ने थोड़ा सा शर्मिंदा होते हुए कहा, "नहीं और इसमें मैं कुछ कर भी नहीं सकता था.. यह सारे फैसले दीप के ही होते थे।" ऐसा कहकर जीत चुप हो गया।
एक पल के लिए पूरे घर में शांति फैल गई थी। सिर्फ हाॅल में रखें फाउंटेन से पानी गिरने की आवाजें आ रही थी।
"लेकिन अब तुम्हें अनीता की आईडी की क्या जरूरत पड़ गई..?? अब तो केस भी खत्म हो चुका है..??" जीत ने कंफ्यूज्ड होकर पूछा।
"शायद ये बात तुम्हें अजीब लगे पर मुझे अनीता का केस अभी तक सोने नहीं देता है.. मुझे हमेशा ही लगता है कि इस केस में कुछ बहुत ही जरूरी बात मैंने मिस कर दी है। मैं अनीता को भूल नहीं पा रहा हूँ.. हमेशा ही अनीता मुझे अपने पास अट्रैक्ट करती हैं।
तुम्हें पता है इसी वजह से मैं कहीं भी काॅन्सनट्रेट नहीं कर पा रहा हूँ.. और यही वजह है फिर से मेरे सस्पेंड होने की।" रुद्र ये बोलते हुए बहुत ही दुखी और टूटा हुआ लग रहा था।
"क्या..?? तुम सस्पेंड हो गए हों.. तुमनें मुझे पहले क्यों नहीं बताया। मैं अभी कमिश्नर से बात करता हूं।" जीत ने रुद्र को ऐसे परेशान देखकर कहा।
"नहीं जीत..! इसकी कोई जरूरत नहीं है।" रुद्र ने थके हुए स्वर में कहा।
जीत ने रुद्र को पहले इतना टूटा हुआ नहीं देखा था। रनवीर भी रुद्र को ऐसे देखकर परेशान हो गया था। रुद्र की बात सुनकर जीत को महसूस हो गया था कि अगर जल्दी ही रुद्र इन सब बातों से बाहर नहीं निकला तो ये रुद्र के लिए अच्छा नहीं होगा।
"रुद्र.. मुझे लगता है कि तुम्हें यहां रहने की बजाय कहीं किसी हिल स्टेशन पर घूमने चले जाना चाहिए। इससे तुम्हारा माइंड डाइवर्ट होगा.. और तुम्हें अच्छा लगेगा।" जीत ने कहा।
रूद्र अभी भी वैसे ही गरदन झुकाकर शांत बैठा था।
"एक काम करते हैं.. हमारे होटल्स पूरे इंडिया में है.. तो तुम कहीं भी घूमने जा सकते हो। अरेंजमेंट्स मैं करवा दूँगा। क्यों रनवीर..??" जीत ने बात बदलते हुए कहा।
"हाँ.. बिल्कुल..! तुम कहां जाना चाहोगे रुद्र..??" रनवीर ने पूछा।
रूद्र ने किसी भी बात का कोई ज़वाब नहीं दिया था।
"लेट मी गैस..??अम्म... गुवाहाटी... तुम्हें गुवाहाटी जाना चाहिए..!!" रनवीर ने कहा।
गुवाहाटी का नाम सुनते ही रुद्र चौंक गया था। उसके बदले हुए एक्सप्रेशन देख कर जीत ने कहा, "तो फिर डिसाइड हो गया..! रुद्र तुम कल ही गुवाहाटी जा रहे हो। रनवीर तुम कल तक सारे अरेंजमेंट्स कर देना।"
रनवीर ने हाँ में अपना सर हिलाया और कहा, "अब तो प्लीज यार.. अपना मूड ठीक कर लो..!"
रनवीर की बात सुनकर रुद्र थोड़ा मुस्करा दिया और वो लोग वापस खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद रुद्र अपने फ्लैट पर वापस लौट आया था।
घर वापस आकर रुद्र ने फिर से उसी चार्ट को देखा और चुपचाप सो गया।
सुबह सुबह जल्दी ही रुद्र की नींद एक अजीब कॉल से ही खुली। रूद्र ने निंदों में ही कॉल उठाकर कहा,
"हैलो..!!"
"महोदय.. हम चल दूरभाष यंत्र का प्रयोग करते हुए आपसे वार्तालाप कर रहे हैं और आपसे आपके विषय में कुछ सूचना चाहते हैं। क्या यह उचित समय होगा आपसे वार्तालाप करने का..!!" फोन के दूसरे तरफ से आवाज आई।
"व्हाट..??" रुद्र ने झटके से उठते हुए कहा। इस तरह के विचित्र फोन कॉल की वजह से रुद्र की नींद उड़ चुकी थी। रुद्र ने वो नंबर चेक किया लेकिन ना तो वो नंबर रुद्र के काॅन्टेक्ट्स में सेव्ड था और ना ही वो नंबर जाना पहचाना लग रहा था।
"महोदय.. हम आपसे आपका कुछ अमुल्य समय चाहते हैं.. ताकि आपको ये सूचना प्रदान कर सकें कि आपने आज के दिवस में जो भ्रमण का कार्यक्रम बनाया था.. उसके आगे के कार्यक्रम के लिए सहमति की आवश्यकता है। यदि आप इस भ्रमण कार्यक्रम पर जाने के लिए सज्ज है.. तो आप एक पहर में अपनी सभी आवश्यकता की वस्तुओं को एक स्थान पर एकत्र कर के एक गठरी सुसज्जित कर ले.. हम आपको दोपहर के भोजन के समय आपके निवास स्थान से लेकर सकुशल आपके गंतव्य तक पहुंचाने का कार्यभार संभाल चुके हैं। अतएव आप समय पर अपनी सभी आवश्यक वस्तुओं के साथ सज्ज रहे। धन्यवाद…!!!"
"ऐ...ऐ...ऐ...ऽऽऽऽऽ..!! कौन हो तुम और सुबह सुबह इस तरह के फालतू मज़ाक मुझे पसंद नहीं है।" रुद्र ने गुस्से से गर्म होते हुए कहा।
तब तक सामने से कॉल डिस्कनेक्ट हो चुका था। इस कॉल की वजह से रुद्र का दिमाग सुबह सुबह ही घूम चुका था.. रुद्र का गुस्सा उसके बस में नहीं हो रहा था।
तभी उसे जीत के नंबर से एक मैसेज आया।
"तुम्हारी फ्लाइट शाम 5 बजे टेक ऑफ करेगी तो रनवीर तुम्हें तुम्हारे घर से 2 बजे पिक कर लेगा। बी रेडी..!!!"
तभी रुद्र को याद आया कि आज रुद्र को आज गुवाहाटी के लिए निकलना था। रुद्र फटाफट से बाथरूम में घुस गया और जल्दी से बाहर निकलकर जाने की तैयारियों में लग गया।
जीत के कहे अनुसार ठीक 2 बजे रनवीर रुद्र के घर उसे पिक करने पहुंच गया था। रनवीर के चेहरे पर एक विचित्र और रहस्यमय मुस्कान थी.. रुद्र को भी वो मुस्कान थोड़ी अज़ीब लगी लेकिन रुद्र ने बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देते हुए रनवीर के साथ एयरपोर्ट के लिए निकल गया। रास्ते भर रनवीर ने एक भी शब्द नहीं बोला था।
एयरपोर्ट पर रुद्र को छोड़ने के बाद रनवीर वापस लौटने की जगह कुछ देर एयरपोर्ट के बाहर ही रुक गया था।
रुद्र एयरपोर्ट पहुँचकर बहुत खुश था.. इस वक्त इस वेकेशन की रुद्र को बहुत ही ज्यादा जरूरत थी। उसी वक़्त रुद्र का फोन बजा।
"महोदय..!! आशा करते हैं कि आप सकुशल अपने निर्धारित स्थान पर पहुंच गए होंगे ताकि आपको और आपके अन्य सहयात्रियों को आपके विलंब से आने के कारण कोई समस्या ना हो।" रूद्र के फोन उठाते ही सामने से आवाज आई।
फिर से इस आवाज को सुनते ही रुद्र का दिमाग फिर से ख़राब हो गया था।
"तू है कौन..?? सुबह से परेशान किया हुआ है ना जाने क्या क्या बोलकर..??" रुद्र ने गुस्से से कहा।
उसके बाद तो रुद्र ने गुस्से से उस फोन करने वाले को बहुत सी गालियाँ देना शुरू कर दिया था। गालियाँ देते हुए रुद्र की नज़र मिरर पार्टिशन के दूसरी तरफ गई.. जहाँ रनवीर फोन हिलाते हुए इशारा कर रहा था। रुद्र को जब उस इशारे का मतलब समझ आया तो वो जोर से हंस पड़ा और साथ ही में रनवीर भी।
तभी फ़्लाइट अनाउंस हो गई और रुद्र को जाना पड़ा।
फ्लाइट ठीक टाइम पर रवाना हुई और ठीक 7 बजे गुवाहाटी एयरपोर्ट से रुद्र बाहर निकला।
एयरपोर्ट के बाहर ही जीत के होटेल से एक कार रुद्र को लेने आई थी.. ड्राइवर ने रुद्र के नाम की नेम प्लेट पकड़ी हुई थी। वो कार रुद्र को लेकर होटल पहुँच गई थी।
होटल ब्रह्मकमल…!!
यही नाम था जीत के होटल्स का।
सेवन स्टार होटल था वो.. रुद्र तो उनके लिए स्पेशल गेस्ट था जो जीत की स्पेशल रिकमंडेशन पर आया था। होटल का बेस्ट स्वीट रुद्र के लिए तैयार किया गया था। एक वेटर ने रुद्र का सामान रूम में पहुँचा दिया था.. वो कमरा बहुत ही बड़ा, हवादार, शानदार, आरामदायक और आलीशान था। पर दिन भर के थके होने की वजह से रुद्र बिना किसी भी चीज़ पर ध्यान दिये ही बेड पर पड़ते ही सो गया था।
अगले दिन रुद्र सुबह जल्दी उठ गया था। जल्दी से तैयार होकर जैसे ही रुद्र होटल से घूमने के लिए निकलने वाला था तभी मैनेजर ने रुद्र को रोकते हुए कहा, "सर आपके लिए कैब तैयार है..!!"
रुद्र ने मैनेजर से कैब के लिए मना करते हुए कहा, "आई एम सॉरी.. मैं गुवाहाटी एक्सप्लोर करने आया हूं और उसके लिए मुझे पब्लिक कंन्वेन्स ही यूज करना ज्यादा अच्छा लगता हैं।"
ऐसा कहते हुए रुद्र होटल से बाहर निकल गया।
गुवाहाटी भारत के असम राज्य का सबसे बड़ा नगर है। कामरूप महानगर ज़िले में स्थित है.. गुवाहाटी, ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा, पूर्वोत्तर भारत का मुख्य शहर है। यह नगर प्राचीन हिंदू मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। प्राचीन काल में इस नगर को प्रागज्योतिषपुर के नाम से जाना जाता था, जो तत्कालीन असम (कामरूप) की राजधानी थी। इस शहर में कामाख्या और उमानंद जैसे कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं जो इसे "मंदिरों के शहर" की उपाधि भी दिलाती है।
कामाख्या मंदिर, नवग्रह मंदिर, उमानन्दा मंदिर, वशिष्ठ आश्रम, असम जू एवं बॉटनिकल गार्डन्स,
शंकरदेव कलाक्षेत्र, हाजो और पाव मक्का मस्जिद आदि दर्शनीय स्थलों को घूमते हुए रुद्र का मन भी भक्तिमय हो गया था। धीरे-धीरे रुद्र अनीता मर्डर केस और उससे जुड़ी बातों को भूलता जा रहा था। सुबह से शाम तक घूमने पर भी इन सभी जगहों को घूमने में रुद्र को चार दिन लग गए थे।
आज रुद्र रूट गुवाहाटी-न्यू हाफलांग रूट पर जाने वाला था.. जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है..जिसमें रेल मार्ग पूरी तरह से पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। रास्ते में पर्यटकों के लिए जतिंगा घाटी जैसे कई आकर्षण स्थल हैं।
विशेष विस्टाडोम ट्रेन सेवा गुवाहाटी-न्यू हाफलोंग सेक्शन के बीच चलती है और मंडेरडिसा और माईबांग स्टेशनों पर रुकती है। यह ट्रेन गुवाहाटी से सुबह 06.35 बजे प्रस्थान कर के और 11.55 बजे न्यू हाफलांग पहुंचती है और उत्तर कछार हिल क्षेत्र से होते हुए 269 किमी की दूरी तय करती है। वापसी यात्रा में न्यू हाफलांग से दोपहर रवाना होकर तथा रात 10.45 बजे गुवाहाटी स्टेशन पर पहुंचती है।
इस ट्रेन में कई अनूठी विशेषताएं है.. जो पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है। विस्टाडोम कोच अत्याधुनिक कांच की खिड़कियों और सभी कांच की छत से सुसज्जित है.. जो टूरिस्टों को खुले आसमान, पहाड़ों, सुरंगों, पुलों, पहाड़ियों और हरे भरे जंगलों का 260 डिग्री दृश्य प्रदान करती है। साइट सीइंग के उद्देश्य से इसमें अवलोकन लाउंज भी है। कोच की रोटेशनल सीटों को यात्रियों को अतिरिक्त आराम प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
गुवाहाटी-न्यू हाफलांग रूट पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण केंद्र है.. क्योंकि इस में रेल मार्ग पूरी तरह से पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। जिसमें जातीय जनजातियां और समृद्ध जैव विविधता रहती हैं। रास्ते में और डेस्टिनेशन पर टूरिस्ट आकर्षण के कई स्थान हैं.. जतिंगा घाटी जो प्रवासी पक्षियों का स्थान है, माइबांग जो डिमासा साम्राज्य की प्राचीन राजधानी थी।
हाफलांग के पास टूरिस्ट प्लेसेज में दयांग रिवर व्यू, माहूर रेलवे स्टेशन, बेंदाओ बगलाई वाटर फॉल, जातिंगा हिल व्यू, जतिंगा बर्ड्स, सुसाइड प्वॉइंट, माइबांग में वन स्टोन हाउस, बंदरखाल रिवर व्यू, हाफलांग लेक, हाफलांग चर्च, हरंगाजाओ व्यू, हाफलांग टाउन व्यू प्वॉइंट आदि प्रमुख हैं। ये सभी प्लेस टूरिस्ट के यात्रा के प्रोग्राम का हिस्सा हैं।
आज रुद्र को पूरे तीन दिन हो गये थे इस रूट पर ट्रैवल करते हुए। इस पूरी ट्रेन की जर्नी रुद्र को इतनी ज्यादा पसंद आई थी कि उसे अब कुछ और देखने का मन ही नहीं था।
एक और सबसे महत्वपूर्ण बात थी वो लड़की..!! जो डेली इस ट्रेन में सफर करती थी। और उस लड़की के लिए सफर करता था रुद्र..!!
25 साल के आसपास उम्र रही होगी उसकी। दुबली पतली सी, सांवला रंग, तीखे नैन नक्श, लंबे खुले लहराते बाल, बड़ी बड़ी काली आंखे, गुलाबी होंठ और उसपर उसकी सादगी..!! यही सब बातें रुद्र को बहुत अच्छी लग रही थी। उसके बीच बीच में मुस्कराने पर गालों में पड़ने वाले डिम्पल उसे और भी सुन्दर बना रहे थे। वो बार बार अपने उड़ते हुए बालों को जब अपनी अंगुलियों से कान के पीछे अटकाती थी तो रुद्र का दिल करता था कि ये काम वो खुद से कर दे। एक सादा सी कुर्ती उसके साथ ब्लू डेनिम, गले में स्कार्फ, कानों में छोटे-छोटे ईयररिंग, एक हाथ में घड़ी और दूसरे हाथ में एक सिल्वर का कड़ा पहने हुए थी। रुद्र ने उसके पैरों में हमेशा मोजडिय़ां ही देखी थी.. घुँघरू वाली…!!
लड़की हमेशा ट्रेन में हमेशा 1 पैन और डायरी के साथ मिलती थी। वह पूरे समय ट्रेन से बाहर देखती और अपनी डायरी में ना जाने क्या लिखती रहती थी। कभी पैन को दाँतों में दबाती तो कभी पैन को बालों में फंसाकर पैन से बालों को इधर उधर करती रहती.. उसकी हर एक छोटी से छोटी बात रुद्र को बहुत ही ज्यादा आकर्षित करती थी।
पिछले 3 दिनों से रुद्र इसी लड़की की वजह से इस ट्रेन में सफर कर रहा था। ऐसा नहीं था कि इस ट्रेन का सफर खूबसूरत नहीं था.. लेकिन उस खूबसूरत सफर में इस लड़की को देखना रुद्र के लिए इस सफ़र को ज्यादा ही सुन्दर बना रहा था। जब रुद्र पहले दिन इस ट्रेन में चढ़ा था.. तभी ये लड़की रुद्र को दिखी थी और तभी से इस लड़की को देखते ही पसंद करने लगा था।
लेकिन रुद्र नहीं जानता था.. इससे दोबारा मिलने वाला भी है या नहीं..? लेकिन शायद कुदरत ने उन दोनों का मिलना तय किया हुआ था.. इसीलिए वापस लौटते समय इसी लड़की को रूद्र ने टिकट विंडो पर देखा था। लड़की अगले दिन की इसी ट्रेन की टिकट खरीद रही थी।
बस फिर क्या था.. रूद्र ने भी ट्रेन की टिकट खरीद ली... ऐसे ही हर दिन के सफर के बाद वह लड़की अगले दिन की टिकट खरीदती थी और उसके पीछे पीछे रुद्र भी अगले दिन की टिकट खरीद लेता था।
उस लड़की में पता नहीं ऐसा क्या था.. जो रुद्र को उसकी तरफ आकर्षित करता था। रूद्र ने कई बार यह बात सोचने की कोशिश की थी कि उस लड़की में रूद्र को क्या पसंद था?? पर रुद्र को कभी भी यह बात समझ नहीं आती थी। जब भी रूद्र को उस लड़की के बारे में सोचता था.. तो रूद्र को कभी उसका मुस्कुराता चेहरा याद आता था, तो कभी उसके गालों पर पड़ने वाले डिंपल, कभी उसका अपने बालों के साथ खेलना याद आता था, तो कभी उसका अपने दांतो से पेन को दबाना।
कमोबेश रुद्र की हालत वैसी ही थी जैसी यहां से पर आने से पहले थी। उस टाइम तो रूद्र अनीता मर्डर केस और उससे जुड़े सबूतों की कड़ियों में उलझा था और अब रूद्र उस ट्रेन में मिली लड़की से ख्यालों में।
अनीता का मर्डर केस रुद्र को पहले सोने नहीं देता था और आप इस लड़की का मुस्कुराता चेहरा..! रूद्र को उस लड़की की मुस्कान हमेशा से कुछ जानी पहचानी सी लगती थी।
एक दिन रुद्र उस लड़की के बिल्कुल सामने बैठा था.. उसी दिन रूद्र ने उस लड़की की आंखें पास से देखी थी। उन आंखों में दुनिया भर का दर्द, तकलीफ और सूनापन था। पता नहीं क्यों उस लड़की की आंखें रूद्र को किसी की याद दिला रही थी.. किसकी..? यह बात रुद्र को भी समझ नहीं आ रही थी।
रुद्र जो इस लड़की के पीछे ट्रेन में सफर करने लगा था। सुबह सुबह ट्रेन से जाना और शाम को उसी ट्रेन से वापस आ जाना.. रुद्र की आजकल यही दिनचर्या थी और रात को वापस आकर होटल के कमरे में रात भर जाग कर उसी लड़की के बारे में सोचना!! रुद्र को लगने लगा था.. वह धीरे-धीरे उस लड़की को पसंद करने लगा था। लेकिन रूद्र की हिम्मत कभी नहीं हुई उस लड़की से बात करने की।
रूद्र को गुवाहाटी आए हुए 15 दिन हो चले थे.. और उन 15 में से 12 दिन रूद्र ने उस लड़की को देखते हुए ट्रेन में ही गुजारे थे। एक दिन उस लड़की की डायरी से एक पन्ना निकल कर गिर गया था। रूद्र ने सबकी नजर बचाते हुए वह पन्ना उठाकर अपनी जेब में रख लिया था।
अभी तक भी रुद्र में उस लड़की से बात करने की जल्दी नहीं दिखाई थी। इतने दिनों तक रुद्र के उस लड़की को घूरने के बारे में अब उस लड़की को भी पता चलने लगा था।
उस लड़की ने ट्रेन में आना बंद कर दिया था। रुद्र ने दो-तीन दिन तक लगातार उस लड़की का इंतजार किया लेकिन वह दोबारा उसे ट्रेन में नहीं दिखाई दी। रूद्र उस लड़की के कारण दुखी था.. पूरे समय एक अनजानी सी बेचैनी रुद्र पर तारी रहती थी।
उस लड़की को देखे रुद्र को चार दिन हो गये थे.. उस दिन रुद्र को बहुत बेचैनी हो रहीं थीं तो रुद्र पास ही के एक बड़े शिव मंदिर में चला गया था। रूद्र वहां आंखें बंद करके भगवान से प्रार्थना कर रहा था..
"हे भगवान..! उस लड़की से मिलवा दीजिए.. अबकी बार मैं उसे ऐसे ही जाने नहीं दूंगा!!" रूद्र ने जैसे ही भगवान से प्रार्थना करने के लिए अपनी आंखें बंद करके अपनी इच्छा जाहिर की.. खोलने पर वही लड़की रुद्र के सामने खड़ी थी।
रुद्र उस लड़की को देखकर सब कुछ भूल ही गया था। रुद्र को होश तब आया.. जब वह लड़की सीढ़ियों से उतरते हुए मंदिर से बाहर जा रही थी। रूद्र ने पीछे से भागते हुए लड़की को आवाज दी, "सुनिएऽऽऽ..!!!"
लड़की ने रुद्र की आवाज अनसुनी कर दी। उसके बाद रूद्र तेजी से भागते हुए इस लड़की के पास पहुंचा और बोला, "सुनिए..! मैं आप ही को बुला रहा था!! मुझे आपसे कुछ बात करनी है!"
वह लड़की बिना कुछ जवाब दिये ही वहाँ से चली गई। रुद्र भी उसके पीछे पीछे चल दिया। वो लड़की अपने घर चली गई थी और रुद्र ने उसके पीछे जाकर उसका घर देख लिया था।
चारों तरफ हरियाली और पहाड़ों के बीच एक छोटा सा कॉटेज.. जहां वो लड़की रहती थी। रुद्र ने दूर से ही उसका घर देख लिया.. वह लड़की तेजी से चलती हुई अपने घर में चली गई थी।
उस लड़की के घर को देखने के बाद रूद्र ने रोज उसके घर के चक्कर लगाना शुरू कर दिया था।
एक दिन उस लड़की ने भड़कते हुए पूछा, "तुम चाहते क्या हो..? रोज-रोज मेरे घर के और मेरे आस-पास क्यों मंडराते रहते हो??
उस लड़की के ऐसे बोलते ही जिस रूद्र के सामने अच्छे अच्छे से खूंखार क्रिमिनल अपना मुंह खोल देते थे.. आज उसी का मुंह एक लड़की के सामने नहीं खुल रहा था।
रुद्र चाह कर भी उस लड़की की बात का जवाब नहीं दे पा रहा था। लड़की ने फिर से रुद्र को जोर से डांटा, "तुम्हें समझ में नहीं आ रहा.. मुझे यह सब कुछ बिल्कुल पसंद नहीं है?? तुम्हारा यूँ मेरे आगे पीछे और मेरे घर के आगे पीछे घूमना.. तो जितना जल्दी हो सके इसे बंद कर दो! वरना..???" कहते हुए उस लड़की ने रुद्र को उंगली दिखाई।
तो रुद्र ने उसकी उंगली को पकड़ते हुए कहा, "देखो मैडम..! मैं कोई ऐसा वैसा लड़का नहीं हूं! मैं एक शरीफ पुलिस वाला हूं.. इसीलिए मैं ऐसी कोई भी हरकत नहीं करूंगा.. जिससे आपके सम्मान को ठेस पहुंचे। लेकिन एक बात जो मैं आपको बताना चाहता हूं.. वह यह कि मैं आपको पसंद करता हूं। अगर आप चाहे तो हम अपनी पूरी जिंदगी एक दूसरे के साथ बता सकते हैं।"
रूद्र ने के सारी बातें एक ही सांस में बोल दी थी। रूद्र के ऐसा बोलते ही वह लड़की अपनी बड़ी बड़ी आंखों से पलकें झपकाते हुए रूद्र को ही देख रही थी।
वह लड़की बिना कुछ कहे चुपचाप अपने घर वापस चली गई। उस लड़की का ऐसे कुछ भी ना कहना.. रुद्र को थोड़ा परेशान कर रहा था.. लेकिन रूद्र ने उस बात पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया और उस टाइम वापस चला गया फिर से कोशिश करने के लिए।
अगले दिन फिर से रुद्र उस लड़की के घर रेड रोजेज् का बुके लेकर पहुंच गया। रूद्र के बेल बजाने पर उस लड़की ने दरवाजा खोला और रूद्र को सामने खड़ा पाया तो रूद्र के मुंह पर ही दरवाजा बंद कर दिया।
यह हरकत रुद्र को भी कुछ ज्यादा पसंद नहीं आई थी। लेकिन रुद्र ने हार नहीं मानी और रोज ही रेड रोजेज् का बुके लेकर उस लड़की के घर जाने लगा।
धीरे धीरे उस लड़की के मन में भी रुद्र के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर बनता जा रहा था। धीरे धीरे वह लड़की भी रुद्र को पसंद करने लगी थी।
"वृंदा..!! वृंदा नाम है मेरा..! तो उसी नाम से पुकारा करो!!" उस लड़की ने एक दिन रुद्र से कहा।
"वृंदा..!! बहुत खूबसूरत और पवित्र नाम है.. तुम्हारी तरह..!!" रुद्र के इतना बोलते ही वृंदा हंसती हंसती एकदम शांत हो गई थी।
वृंदा का हंसता चेहरा ऐसे मुरझाया देखकर रुद्र ने बहुत पूछने की कोशिश की.. लेकिन वृंदा ने कुछ भी नहीं बताया था।
वृंदा को देखकर हमेशा ही ऐसा लगता था कि कोई तो बहुत ही बड़ा दुःख था जो वृंदा छुपाये हुए थी। वृंदा रुद्र के साथ शादी के सपने देखने लगी थी.. ये जानते हुए भी कि उन सपनों की कोई मंजिल नहीं थी।
एक रात रुद्र होटेल वापस लौटा तो बहुत ही ज्यादा खुश था… होता भी क्यों ना.. आज बड़ी ही मुश्किल से वृंदा को शादी के लिए मनाया था रुद्र ने..!!
रुद्र के वापस आते ही होटल स्टाफ ने रुद्र को एक पेपर दिया..
"सर आपके लॉन्ड्री के कपड़ों से ये पेपर मिला था..!!"
रुद्र ने पेपर वापस लिया और खोलकर देखा..
एक छोटी सी कविता थी उसमें..!
"बहुत छोटी ख़्वाहिशें थी तुझसे.. ऐ जिंदगी..
तुझे वो चाहत भी मेरी मंजूर ना थी...
हवाओं में उड़ना चाहती थी..
लहरों की सरगम सुनना चाहती थी..
सितारों को चूनर में सजाना चाहती थी..
अपनी तन्हाइयों को गुनगुनाना चाहती थी..
पर तुझे मेरी खुशी मंजूर ना थी..
कविता अधूरी है.. शायद मेरी जिंदगी की तरह
कोशिस है करूंगी पूरी..!!!!"
रुद्र ने जब वो अधूरी कविता पढ़ी तो उसे वृंदा के बारे में सोचकर बहुत दुख हुआ पर साथ ही इस पेपर को देखकर कुछ याद भी आया।
ये वही था जो रुद्र इतने दिनों से याद करने की कोशिश कर रहा था। उसकी आंखे, उसकी मुस्कान और अब ये हैंड राइटिंग..!! रुद्र की आँखों के आगे सभी बातें एक साथ एक एक रील की तरह चल रही थी।
रुद्र को अपना रातों को जागना… अपना सस्पेंशन… अपनी नाकामी और अपनी गलतियां याद आ गई थी।
रुद्र ने गुस्से मे उस काग़ज़ के टुकड़े को मोड़कर अपनी जेब में रखा और तेजी से बाहर निकल गया।
रूद्र सीधा वृंदा के घर पहुंचा और गुस्से से दरवाज़ा ठोका..!
वृंदा ने दरवाज़ा खोलते ही रुद्र को देखा तो बड़े ही प्यार से पूछा, "अभी तो तुम्हें गए भी देर नहीं हुई थी.. इतनी जल्दी वापस भी आ गए..!!"
वृंदा बड़े ही प्यार से रुद्र को देख रहीं थीं.. लेकिन रुद्र ने गुस्से से वृंदा को धक्का दिया और घर के अंदर आ गया। अंदर आने के बाद रुद्र ने दरवाज़ा बंद किया और वृंदा को बाजू से पकड़कर लगभग घसीटते हुए हॉल के बीचोंबीच लाकर पटक दिया।
वृंदा रुद्र के इस बदले हुए व्यवहार से बहुत ही हैरान, परेशान और सदमे में थी। उसके मुँह से शब्द नहीं निकल रहे थे.. और ना ही उसे कुछ समझ आ रहा था.. कि रुद्र के ऐसे बर्ताव का कारण क्या था..??
"मुझे तुम्हारी असलियत पता चल गई है.. तो मुझसे चालाकी करने की कोशिश भी मत करना..!!" रुद्र ने गुस्से से फुंफकारते हुए कहा।
इतना सुनते ही वृंदा की आँखों से आँसू बहने लगे थे। रुद्र के दिल को वृंदा के आंसू चीर रहे थे लेकिन इस वक्त गुस्सा रुद्र के दिमाग पर चढ़ा हुआ था।
क्रमशः...
Punam verma
19-Jul-2022 04:23 PM
Very nice
Reply
Seema Priyadarshini sahay
11-Jul-2022 04:19 PM
बहुत ही बेहतरीन भाग
Reply
shweta soni
10-Jul-2022 10:15 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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