लेखनी कहानी -07-Jul-2022
आज कल,
हाँ आजकल तुम्हारी बहुत याद आती हैं,
जैसे बारिश सिमटी हैं आकाश के ह्रदय में ,
चिट्ठियां अभी रास्तो से बातचीत कर रहीं है,
और वो कवि खामोश हो गया,
टूटा मन 👨 उसका वो कोरा कागज हो गया,
आज कल,
तुमसे तुम्हें दूर नहीं करना चाहती,
तुम्हारे मन को भार नहीं देना चाहती,
तुम आजाद पक्षी जैसे उड़ान भरो,
मैं तुम्हे बस उड़ता देखना चाहती हूं,
Seema Priyadarshini sahay
08-Jul-2022 08:45 PM
Nice 👍
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Ilyana
08-Jul-2022 07:47 AM
Nice
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Raziya bano
08-Jul-2022 07:38 AM
बहुत खूब
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