Ankur Singh

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Train ka anokha safar

कहानी - ट्रेन का अनोखा सफर
मैं रेल का सफर करना ज्यादा पसंद नही करता क्योंकि अक्सर मुझे अपनी सीट बदलनी पड़ जाती है । मैं हमेशा ऊपर वाली बर्थ लेना पसंद करता हूं पर हर बार कोई न कोई आ कर , मुझसे आग्रह - विनय करके मुझसे मेरी सीट ले लेता है ।
इस बार मैंने ठान लिया था कि इस बार ऐसा नही होने दूंगा , चाहे जो हो मैं अपनी सीट नही बदलूंगा । मैं इस सफर पर जाना भी नही चाहता था पर ऐसी मजबूरी आन पड़ी की जाना ही पड़ा । मेरे मौसेरे भाई पंकज की शादी भोपाल में होने वाली थी जहां मेरा जाना कन्फर्म नही था क्योकि प्रयागराज से भोपाल की दूरी काफी ज्यादा है यानी 10 घंटे के आस पास की और लंबा सफर करना मुझे पसंद नही । मेरे ममेरे भाई शिवम ने जबरी मेरा टिकट मेरी माँ से पूछकर निकाल दिया - मुझे इस बात पर बहुत गुस्सा आयी पर .... मरता क्या न करता घरवालों के आदेश को सर्वोपरि मानकर चल पड़ा । कामायनी ट्रेन से जाना था पर प्रयागराज से सीट अवेलेबल न होने के कारण वाराणसी से टिकट निकल था । इस ट्रेन से कई रिश्तेदार साथ जा रहे थे इस शादी में शरीक होने जिसमे हमारे कई मामा जी थे पर सबका बोगी अलग था । मैं बड़े अनमने ढंग से ट्रेन में चढ़ा और अपनी सीट को खोजने लगा .. खोजते - खोजते किसी तरह अपनी सीट पर पहुँचा और देख कर चौंक गया .. मेरी सीट पर एक लड़की लेटी हुई थी । इससे पहले कि मैं कुछ कह पता उस लड़की के तरफ से एक पुरुष उठा .. मुझे लगा शायद वो उसके पिता है .. उन्होंने मुझसे अपनी सीट बदलने को कही .. मुझसे कहा की - बेटी बहुत बीमार है इसलिए मैं चाहता हु की आप हमारी सीट ले लीजिये और अपनी हमे दे दीजिये ।
बात बीमारी की थी इसलिए मैंने हाँ कर दिया ।
कुछ दर बाद खाने  का दौर चला .. मुझे जो सीट मिली वो खिड़की से सटी सिंगल सीट थी जिसे फैला कर बेड बनाया जा सकता है । सब साथ खाने - पीने लगे तभी मेरे पास ट्रेन के दूसरे बोगी से मेरा ममेरा भाई शिवम आ गया । अभी मेरे बगल में आ कर वो बैठा ही था कि उसके नजर सामने बैठे लड़की पर पड़ी .. शिवम ने मेरे कान में कहा -
वाह भैया क्या किस्मत है ...
कैसी किस्मत ?? (मैन अनजान बनते हुए कहा )
अरे भैया आप भी न ...
क्या ... (मैने खिसियाते हुए कहा )
अरे भैया सामने देखिये
शांत रह शिवम  बवाल करवाएगा क्या
क्या भाई कैसा बवाल देखिये तो
शिवम पहले वो लड़की है , दूसरा वो बीमार है , और तीसरा उसके साथ पेरेंट्स है
पेरेंट्स ????
हा शिवम ... सबसे ऊपरी बर्थ पर ये लड़की है जो बीमार है दूसरे सीट पर उसके पिता जी है और तीसरी सबसे निचली सीट पर उसकी माँ है शायद क्योकि तीनो साथ में है । पर क्योंकि मेरी किसी से बात नही हुई है इसलिए मैं कन्फर्म नहीं कह सकता हूँ ।
अच्छा मैं यहा आपसे मिलने और खाना - खाने आया हूँ पहले वो काम निपटा ले फिर आप और हम चलते है और रिश्तेदारों से मिलते है ।

शिवम और मैं अपना खाना खा कर निकल ही रहे थे कि मुझे मेरे बैग का का ख्याल आया तब उन्हीं अंकल जी को बैग देखने को कह कर मैं अपने रिश्तेदारों से मिलने चला गया ।
लौट कर आया तो अपना बैग अपनी सीट से गायब पाया थोड़ा से नजर घूमा के देखा तो पाया वो फैमिली अब सो रही थी पर लड़की ने सीट बदल ली थी अब लड़की बीच वाले सीट पर थी और ऊपर वाली सीट उसके पापा जी लेट गए थे ।
लड़की ने मुझे देखा तो उसने इशारे से अपने पीछे की ओर इशारा किया और मुझे उसकी सीट पर अपना बैग रखा दिख गया । मैन अपना बैग लिया और धीरे से थैंकयू कह कर अपनी सीट पर आ गया ।
उसने धीरे से मुस्कुरा दिया
मैं अपनी सीट पर बैठा और मोबाइल चलाने लगा थोड़ी देर बाद नजर घूमा कर ऊपर देखा तो पाया कि वो मुझे ही देख रही है हालांकि कहने को वो हॉरर नावेल पढ़ रही थी । नजर से नजर मिलते ही उसने नजर झुका ली । ये सिलसिला काफी देर तक चला .. जब नजर घूमा के देखता वो मेरी तरफ ही देख रही होती । नजरों से नजरो के मिलने का ये क्रम आधे घंटे तक चला । हम दोनों कुछ कह नही पा रहे थे सिर्फ इशारों से बात करने की कोशिश कर रहे थे और इशारों में हम दोनों ही कमजोर थे ।
कुछ देर बाद देखा तो वो अपने मोबाइल में कुछ टाइप कर रही थी और टाइप कर लेने के बाद उसने अपना मोबाइल मेरे तरफ बढ़ाया मैने  उत्सुकतावश उसके मोबाइल को हाथ में लेकर देखा -
मोबाइल के स्क्रीन पर स्टिकी नोट्स का ऑप्शन खुला था जिस पर लिखा था -
आप कहा गए थे ??
रिश्तेदारों से मिलने ( मैने टाइप कर उसका मोबाइल वापस उसको वापस दिया और इस तरह बातों का सिलसिला शुरू हुआ )।
रिश्तेदार से मिलने .. वो भी साथ है क्या ??
हा सब अलग - अलग बोगी में है
कहा जा रहे है ??
भोपाल और आप ?
मुम्बई ... भोपाल में रहते है क्या आप ??
नहीं मैं प्रयागराज में रहता हु शादी अटेंड करने जा रहा हु।
अच्छा .. किसकी ?
अपने मौसरे बड़े भाई की .. आप मुम्बई में ही रहती है क्या ??
हा लेकिन मेरा गांव वाराणसी में है ।
पेरेंट्स के साथ घूमने आये थे क्या गांव ?
नहीं ये मेरे पेरेंट्स नही चाचा - चाची है , पेरेंट्स तो मेरे मुम्बई में ही रहते है
ओह्ह बढ़िया क्या करती हो आप ?
( बातों का सिलसिला जो शुरू हुआ तो लगा आज पूरी रात बातों में ही निकल जाएगी । जब भी मैं टाइप करके फ़ोन वापस करता तो खिड़की से ठंडी , रूमानी हवा में खो जाता । थोड़ी देर बाद जब नजर घुमाता तो मैं उसे अपने तरफ ही देखता हुआ पाता । एक अजीब सा मन को एहसास होने लगा था ... )
पलट कर देखा मेरी तरफ देख कर वो मुस्कुरा रही थी फोन उसके हाथ में था ... मैने जैसे ही फोन लेने की कोशिश की तभी ट्रेन रुक गयी और एक व्यक्ति हमारे बीच से निकला ... मैन अपना हाथ पीछे खीच लिया .. ठंड बढ़ गयी थी इसलिए मैन चद्दर निकाल कर ओढ़ लिया , खिड़की आधी बंद कर दी । इन सब कामों से निपट कर जब पलट कर देखा तो वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी .. मैने आगे बढ़ कर उसका फ़ोन लिया और मैसेज पढ़ने लगा
ठंड ज्यादा लग रही हो तो कम्बल दू , चाची के पास है ।
नही रहने दो बस बैग से काम नही बन रहा है
बैग आप मुझे दे दो सुबह ले लेना
आपको दिक्कत नहीं होगी क्या ??
नही मुझे खुशी होगी आपकी हेल्प करने से ... मेरे फ़ोन की बैटरी खत्म हो रही है .. ज्यादा बात नहीं हो पाएगी ।
(मैने पहले अपना बैग उसको दिया और फिर मैसेज का रिप्लाई टाइप करने लगा )
अपना चार्जर दो .. मैं यहाँ लगा देता हूं चार्ज पर
अच्छा फिर बात नही हो पाएगी
बात तो वैसे भी नही हो पाएगी ...
अच्छा ठीक है मैं फ्रेश होने जा रही हु आप फ़ोन चार्ज पर लगा दो
(चार्जर मांग कर मैन उसका फ़ोन चार्ज पर लगा दिया । पर मैं नही चाहता था की ये बात किसी भी तरह रुके अब एक ही तरीका था बात को जारी रखने का वो था खुद के फोन पे बात करने का .. उसके आने से अपने फ़ोन में स्टिकी नोट्स को इंस्टाल किया और उसके आने का वेट किया )
वो अपने सीट पर मेरी तरफ सिर करके लेट गयी
मैन अपने फोन के स्टिकी नोट्स पर एक मैसेज टाइप किया - और फ़ोन उसको दे दिया -
नींद तो नही आ रही है आपको ???
नही .. क्यों आपको आ रही है क्या ?
नही .. बस अच्छा लग रहा है आपसे बात करना
मुझे भी पता नही क्यों ... हालांकि मेरे कभी बॉयज दोस्त नही रहे पर पता नही क्यों आपसे बात करना अच्छा लग रहा है ।
(बातों का दौर एक बार फिर शुरू हो गया बातों ही बातों में कब 12 से 3 बज गए पता ही नही चला इस दौरान कई बातें पता चली जैसे वो एम.कॉम करती है , 2 बड़े भाई है वगेरह वगेरह ... और अब वो सोने जा रही थी ??

मैने हिम्मत करके पूछ लिया - आपका कोई बीएफ तो नही है
क्यो ... है तो नही .. आपको बनना है क्या
क्या पता ऐसा ही हो
मुझे इन सब पर कोई भरोसा नही है अच्छा .....आपसे बहुत बातें हुई अच्छा लगा अब सोते है (उसने जम्हाई लेते हुए कहा )
ठीक है .. मेरा फ़ोन न. ले लो क्या पता आपका दुबारा मुझसे बात करने का मन हो जाए
ठीक है मेरा फ़ोन आपके ही पास है .. उसमे सेव कर दीजिये .. पर किसी उम्मीद में मत रहिएगा ।
ठीक है देवी जी जैसा आप चाहे ।

(इतना कह कर मैने अपना फ़ोन नं. , अपने नाम के साथ सेव कर दिया और उसका फ़ोन चार्जर सहित उसे देकर मैं सोने चला गया )
(सुबह उठा तो देखा 7 बज गए है ट्रेन स्टेशन पर पहुँचने वाली है और मेरे उतरने का समय आ गया है .. सामने देखा तो वो अपनी फैमिली के साथ नाश्ता कर रही थी । इशारों - इशारों में कोई बात कर पाता उससे पहले ही शिवम आ आया
अरे भैया उठ गए चलिए तैयार हुए अगला स्टेशन अपना है सभी रिश्तेदार तैयार है .. ।
बस हो ही गया लेने कौन आ रहा है ??
जीजा जी आएंगे कार से .. असल 16-17 रिश्तेदार है तो 4-5 कार आएगी लेने ।
बढ़िया ..

मैं जुता पहन के तैयार हुआ और बैग ले के अंकल - आंटी को नमस्ते कह चल पड़ा ... गाड़ी रुक रही थी पहले शिवम उतरा फिर मैं ..
पलट के पीछे देखा तो वो मुझे ही देख रही थी ।
हम दोनों स्टेशन से बाहर आए .. मेरे मन में एक ही खटास थी की आखिरी बार ही सही पर बात नही हो पायी कुछ तो कह ही सकता था .. थोड़ी हिम्मत दिखाने की जरूरत थी .. पर उसके अंकल - आंटी की वजह से नही कर पाया .. बुझे मन से बाहर निकला .. कार के पास पहुँचा तो व्हाट्सएप मैसेज का टोन आया ..
मैंने फ़ोन निकाल के देखा .. अननोन नंबर था पर मैसेज था -
इस तरह उदास हो कर क्यों जा रहे हो .. न जाने का मैन हो तो वापस आ जाओ .. हमारा सफर आपकी वजह से अच्छा गुजर जाएगा ।
मैं सिर्फ मुस्कुरा दिया ... शिवम मेरी तरफ देख कर इशारे से पूछा - क्या हुआ
मैन भी इशारे से कहा - कुछ नही ..........
ये सफर यादगार रहा एक हसीन लम्हा बिता .. और अब मैं उत्साहित था उससे और भी ढेर सारी बातें करने को .. तभी दूसरा मैसेज आया - मुझे आप अच्छे लगे पर अभी बीएफ बनाने का मन नहीं .. दोस्त बन के रहना चाहो तो तो ही मैसेज करना । कुछ दिन दोस्त बन के देखते है अगर ठीक रहा तो देखेंगे
मैं मुस्कुरा दिया - और टाइप किया -- ठीक है .. मुझे आपकी सारी शर्ते मंजूर है ।
इतना मैसेज भेज कर मुस्कुराते हुए कार में बैठ गया ।


समाप्त।

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2 Comments

Alisha ansari

01-Aug-2021 08:15 AM

Nice

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Ankur Singh

07-Aug-2021 08:30 PM

Thank you mam

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