लेखनी कविता-08-Jul-2022 बेटी की मर्यादा
लेखिका-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-बेटी की मर्यादा
बेटी की हो रही विदाई
सब दे रहे थे दुहाई
सखियां मन हर्षायी
मां ने पाठ यही सिखाया
अब तक थी मेरी अमानत
बाबुल के आंगन की मर्यादा
अब पिया का घर है तेरी मर्यादा
आंखों में लेकर लज्जा
सिर पर ओढ़ कर दुपट्टा
चोटी में बांधकर मर्यादा
लेकर तू अब चली
हो रही है तू इस दहलीज से विदा
ससुराल की दहलीज कभी ना लांघना
यही है मेरा तुझे समझाना
करना तो उसका मान
इसी में है मेरी बेटी तेरा मान
रखना तू बाबुल की मर्यादा का सम्मान
है बहुत प्यारा रिश्ता
कभी ना करना इनका अनादर
बनना उनकी आंख का तारा
सभी रिश्तो को एक डोर में बांधना
यही है मेरा तुझसे कहना
सांस जैसी मां, ससुर जैसा पिता
ननंद जैसी बहन, देवर जैसा भाई
है यह तेरे सारे रिश्ते
रखना इन रिश्तो को मर्यादित
सुन मेरी बेटी तुझसे मेरा यह कहना
सास जब रखती मर्यादा
ना समझना उसको बेड़ियां
ससुर जब तुम्हें समझाता
ना समझो उसे बुरा
सब चाहते हैं तेरा भला
है मेरा तुझसे यही कहना
अपने पल्लू में यह गांठ तो हमेशा बांधना
वही घर है तेरा अपना
वहां की रखना अब तू मर्यादा
नॉनस्टॉप प्रतियोगिता 2022 भाग 13
Niharika
08-Jul-2022 10:26 PM
Bahut khub
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Raziya bano
08-Jul-2022 09:34 PM
Bahut khub
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shweta soni
08-Jul-2022 09:28 PM
Bahot sunder 👌
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