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इत्तेफ़ाक़ भाग - 3

मोबाइल की स्क्रीन पर  आकाश का नाम चमक रहा था । ऋतु ने अनमने मन से कॉल रिसीव की ।

हैलो

आकाश - हैलो ऋतु कैसी हो ?
मैं ठीक हूँ । तुम कैसे हो ?
अरे भई तुमने तो उस दिन के बाद से फ़ोन ही नहीं किया तो मैंने सोचा कि चलो  हम ही फ़ोन कर लेते हैं ।

और सुनाओ

तुम भी तो कुछ अपना हाल सुनाओ । सब ठीक ठाक ?
............

क्या हुआ ऋतु कुछ बोलो न ।
............

तुम चुप क्यों हो ऋतु आखिर बात क्या है ?

उस दिन के झगड़े के बाद से आज पहली बार किसी ने उससे सहानुभूति के दो शब्द बोले थे तो ऋतु की रुलाई रोके न रुकी ।

ऋतु तुम रो रही हो मुझे बताओ क्या हुआ है । मैं तुम्हारा दोस्त हूँ हम मिलकर कोई हल ढूंढेंगे ।

तब ऋतु ने आकाश को उस दिन का सारा वाकया सुना दिया ।

ओह ! ऐसा हुआ है , तुमने पहले क्यों नहीं बताया  ?अच्छा घबराओ मत और ये बताओ कि सुनील किस दिन घर पर रहता है ?

क्या करने वाले हो आकाश ? वो वीकेंड पर घर में ही होते हैं ।

कुछ नहीं बस तुम टेंशन फ्री रहो  ओ के बाय ।

ये कह कर आकाश ने फोन काट दिया ।

दो दिन बाद ही शनिवार था । कोई ग्यारह बजे डोरबेल बजी ।  दरवाज़ा ऋतु ने ही खोला ।

हैलो ऋतु !

ऋतु अचम्भित सी देख रही थी । अरे भाई अन्दर आने के लिए नहीं कहोगी ?

हाँ हाँ प्लीज़ आओ आकाश ........

तब तक सुनील भी ड्राइंग रूम में आ गया । वो आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी उस  अजनबी को हैरत से देख ही रहा था कि आकाश ने खुद आगे बढ़ कर हाथ मिलाते हुए कहा - हैलो मिस्टर सुनील ! मैं आकाश , आपकी पत्नी ऋतु का मित्र ......

सुनील के चेहरे पर किसी भी प्रतिक्रिया के आने से पूर्व ही परिधि ने भी आगे बढ़ कर अपना परिचय दिया - और मैं हूँ इनकी वाइफ़ परिधि ।

      गहरे नीले रंग की जीन्स और सफ़ेद रंग का टॉप , संगमरमरी रंगत लिए छरहरा बदन , लम्बाई आकाश से बस थोड़ी कम , कमर तक खुले लहराते घने काले केश , हाई हील की सेंडल और उस पर महंगे इतर की भीनी भीनी सुगंध ......

   ऐसे जादुई व्यक्तित्व को देख सुनील की दृष्टि बंघी रह गई । परिधि ने हाथ जोड़कर नमस्कार किया तो सुनील की तन्द्रा टूटी और उसके हाथ भी अभिवादन की मुद्रा में जुड़ गए । नज़रों को तुरंत उसने शिष्टाचार के दायरे में संयमित कर  लिया ।

आइये बैठिए आप लोग और इशारे से ऋतु से जलपान की व्यवस्था करने के लिए कहा ।

सुनील जी आप किसी भी तरह की फॉरमैलिटी में न पड़ें यदि आप बुरा न मानें तो  हम आपसे कुछ बात करना चाहते हैं ।

जी कहिए

मैं सीधे ही मुद्दे पर आता हूँ । देखिए मैं जानता हूँ कि आपके ओर ऋतु के बीच उस दिन बारिश में ऋतु को घर तक लिफ़्ट देने के कारण गलतफहमी पैदा हो गई है । मैं और मेरी वाइफ़ उसी को दूर करने आए हैं ।

सुनील के चेहरे पर  हल्का सा तनाव उत्पन्न हुआ ।

जी आप सही सोच रहे हैं  ऋतु ने ही मुझे इस बारे में बताया है मगर मेरे फोन करने पर ही । उसने तो खुद मुझे फोन भी नहीं किया था । और जब मुझे मालूम हुआ कि आप दोनों के मनमुटाव की वजह मैं हूँ तो इसे दूर करना मेरी ज़िम्मेदारी बनती है ।

सुनील जी ऋतु मुझे कॉलेज के बाद पहली बार उसी मॉल में दिखाई दी । इसने घर के सामान की भरी हुई बास्केट बिना बिल चुकाए इसलिए छोड़ दी क्योंकि अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई थी ।

क्योंकि एक लम्बे अरसे के बाद हमारी मुलाकात हुई थी तो मेरे कहने पर ही ये मेरे साथ काफ़ी पीने के लिए राज़ी हुई थी और वापसी में मैंने ही इसे अपनी कार से घर तक ड्रॉप करने का सुझाव दिया था । क्योंकि बारिश में कोई ऑटो या रिक्शा भी नहीं मिलता । बस इतनी सी बात थी ।

पर ऋतु ने तो मुझे ये सब बताया ही नहीं - सुनील ने कहा

सुनील जी मेरे हसबैंड ने मुझे घर आ कर जब अपनी पुरानी दोस्त से मुलाक़ात की बात बताई तो मुझे बड़ी खुशी हुई । किंतु क्या जब ऋतु आपको बताना चाह रही थी तो आपने उसकी बात सुनी ? परिधि ने सुनील से सवाल किया ।

दरअसल मैंने बालकनी से देखा कि ऋतु किसी की गाड़ी से नीचे उतर रही है तो ......

तो बस आपके दिमाग ने बेबुनियाद ख़याल बुनने शुरू कर दिये और आपने उसकी पूरी बात भी नहीं सुनी क्योंकि शक आपके दिमाग़ पर हावी हो चुका था । परिधि लगातार बोल रही थी ।

मिस्टर सुनील मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हूँ और दिन भर क्लाइंट्स से मिलना जुलना होता रहता है । उनके साथ लंच और डिनर लेना भी मेरे काम का ही एक हिस्सा है यहाँ तक कि मुझे मीटिंग्स के लिए आउट ऑफ़ स्टेशन भी जाना पड़ता है ।

वो सब किसके दम पर ...... केवल और केवल अपने पति के विश्वासऔर सपोर्ट के दम पर । यदि ये संकुचित विचारधारा को पकड़े रहें तो क्या मैं करियर की बुलंदियों पर पहुंच सकूँगी ? बिल्कुल नहीं

बुरा मत मानियेगा मिस्टर सुनील अगर औरत किसी से हँसकर बात कर ले तो उस पर उंगलियाँ उठने लगती हैं अगर वो सुन्दर है तो भी वही शक के घेरे में आती है । यदि वो अपने आत्मसम्मान पर टिकी रहना चाहे तो यह भी समाजके ठेकेदारों को बर्दाश्त नहीं होता ।

जबकि पुरूष के लिए ये सारी परिस्थितियां बड़ी सुगम होतीहैं । क्यों सही कहा न मैंने ?

आकाश परिधि को  शान्त होने का इशारा करता है ।

सुनील जी मैंने हमेशा ऋतु को बहन की नज़र से ही देखा है मेरे मन में इसके लिए पहले दिन से आज तक वही स्नेह और सम्मान है । पर ये ज़रूरी नहीं कि अपनी सफ़ाई देने के लिए दोस्ती पर किसी रिश्ते की मोहर लगाई जाए क्योंकि मित्रता से पवित्र सम्बन्ध कोई नहीं होता । कृष्ण और द्रौपदी का ही उदाहरण ले लीजिए । वे द्रौपदी के सच्चे मित्र थे ।

लेकिन अभी भी यदि आपके दिल में किसी तरह की कोई शंका या मनमुटाव है तो आज के बाद मैं ऋतु से कभी कोई सम्पर्क नहीं  रखूँगा । बस इससे ज़्यादा मैं कुछ नहीं कहना चाहता ।

आकाश जी बस मुझे और शर्मिंदा न कीजिए  । मैं सारी स्थिति समझ चुका हूँ । वास्तव में ये स्थिति मेरे खामख्वाह शक की वजह से उत्पन्न हुई जो कि नहीं होनी चाहिए थी। मुझे अपनी पत्नी पर विश्वास करना चाहिए था ।  पर ऋतु तुमको भी मुझसे एक बार पूरी बात करनी चाहिए थी ।

मुझे लगा आप गुस्से में हैं मेरी बात पर न जाने क्या प्रतिक्रिया दें ? अब तक खामोश ऋतु बोली

देखो ऋतु डियर ! यूँ बेवजह के आरोप अपने सर लेने से कुछ नहीं होता सिवा गलतफहमी के । अपना स्टैंड लेना चाहिए । जब तक हम औरतें अपना पक्ष नहीं रखेंगी तो दूसरा भी कितना हमें कितना सपोर्ट करेगा ।

ऋतु मैं तुम्हारा दिल दुखाने के लिए तुमसे सबके सामने माफ़ी मांगता हूँ और वादा करता हूँ कि भविष्य में कभी ऐसा नहीं होगा । किसी भी विषय में हम दोनों खुलकर बात किया करेंगे । सुनील बोला

बिल्कुल सुनील जी परस्पर विचार - विमर्श और खुलकर बात चीत एक स्वस्थ रिश्ते की बुनियाद है । किसी भी रिश्ते में चाहे , वो पति पत्नी का हो , माता पिता और सन्तान का या फिर मित्रता का ही क्यों न हो , यदि  एक दूसरे से अपने मन की बात इस डर से नहीं कह सकते कि सामने वाला नाराज़ न हो जाए , तो ये रिश्ते की सेहत के लिए हानिकारक होता है ।

संवादहीनता रिश्तों पर काई की तरह जम जाती है और भीतर ही भीतर वो रिश्ता सड़ जाता है । मुझे खुशी है कि आप दोनों के बीच की गलतफहमी दूर हो गई ।

आकाश और परिधि  आप लोगों को जो परेशानी हुई उसके लिए भी मैं माफ़ी चाहता हूँ । लेकिन एक बात यह अच्छी हुई कि इस अनजान शहर में मुझे भी एक अच्छा दोस्त मिल गया । सुनील ने मुस्कुरा कर कहा ।

और मुझे भी एक प्यारी सी सहेली मिल गई क्यूँ ऋतु ? परिधि ने खिलखिला कर कहा ।

तभी बाहर बादल गरजने के साथ ज़ोर से बारिश होने लगी

अरे भाई ऋतु बारिश हो रही है कॉफ़ी नहीं पिलाओगी ? आकाश अपने उसी जिंदादिल अन्दाज़ से बोला ।

और साथ में गरमागरम पकौड़े भी । सुनील ने आकाश के स्वर में स्वर मिलाया ।

चारों के समवेत ठहाके ने माहौल को और खुशनुमा बना दिया ।

                                                         समाप्त
                                                  पूनम अग्रवाल
                                                  दिल्ली - रोहिणी


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