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अभी अभी




अभी अभी कुछ आया है शहर पुराना नाता नया निकल आया है

बस्ती वो अपनी ही निकली जिसे बस्ती में हमरा ठिकाना था
रहे हम अकेले इतना कहा समझा आया है

एक दफा मिले उनसे तो दिल हमारा खाली था दिल दिया 
अभी खुद पता कहां है खाने को कुछ नही है घर में इश्क को दिल तैयार हैं

बताओ इस दिल को की खाली पेट कुछ नही होता है 
पैसे की दुनिया पैसों से चलती है

कहानी उनकी अब मेरे दिल में बस्ती है 
आओ जरा रहो मस्त कुछ शहर की बात पुरानी थी

आदि रात पूरी बात सबका साथ यही दोस्ती की 
बरसात मौसम सुहाना दोस्ती का सफ़र पुराना है

मिले कई दिनो बाद कुछ हो जाए हकीकत तो कहां छुपी दोस्तो तुमसे चलो नदी किनारे फिर से इमली खट्टी मीठी बेरे चल दोस्त घर अब हो गई देर

कहते है दोस्ती का समा सफर में आकर रहता है 
जहां रूठे जग मोह तब दोस्त साथ देते है

Kumar Pradeep Keer

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6 Comments

Chudhary

14-Jul-2022 10:24 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

13-Jul-2022 09:54 AM

बहुत खूबसूरत

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Shrishti pandey

13-Jul-2022 08:05 AM

Very nice

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