लेखनी प्रतियोगिता - प्रेम सागर
प्रेम कभी सही या गलत नहीं होता ,
प्रेम सिर्फ प्रेम होता है,
ये कभी नया या पुराना नहीं होता,
बस हर किरदार के साथ अलग होता है,
प्रेम में डूबने वाला ही,
प्रेम सागर से पार होता है,
सीता हो या राधा,कृष्ण हो या राम,
ईश्वर भी प्रेम से सराबोर होता है,
परिस्थितियों से जूझ कर ही,
प्रेम की परिभाषा गढ़ी जाती है,
यूं ही कोई, इसका सार,
कभी जान नही पाता है,
प्रेम इस ब्रह्माण्ड की दैवीय ऊर्जा का स्रोत है,
आत्मा के जैसे ही ना बनता ना खत्म होता है,
बहता है निरंतर, लगातार
प्रेम ही इस सृष्टि का आधार बनता है।।
प्रियंका वर्मा
13/7/22
Shrishti pandey
14-Jul-2022 04:36 PM
Nice
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Punam verma
14-Jul-2022 04:28 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
14-Jul-2022 04:26 PM
बहुत खूबसूरत
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