साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 13
"उस दिन मैंने होटल में अनुराग और रोशनी का झगड़ा देखा, जब रोशनी गुस्सा करके चली गयी थी, ऐसा क्यो? और आपसे वो बात नही करती थी, इस हिसाब से वो दोनो से दूर हो गयी थी, फिर उसका कत्ल किसने और क्यो किया?" राहुल ने सवाल किया।
राहुल के सवाल का जवाब देना जरूरी समझते हुए दीपक ने कहा- "उस दिन अनुराग से झगड़ा क्यो हुआ उसका कारण था रोशनी का प्यार, मुझे उसकी नजर में गिराने के बाद अनुराग ने उसकी नजर में अपनी इज्जत एक पल के लिए बना ली थी, क्योकि मैंने रोशनी को सफाई देना बेहतर नही समझा, मुझे ये लगता था कि जिस तरह मैं रोशनी पर आंख बंद करके भरोसा करता हूँ शायद रोशनी भी करती होगी।"
रोशनी दीपक से बात ना करते हुए भी सभी से दीपक की ही बात करती थी, और ये बात अनुराग के दिल मे एक आग को जन्म दे रही थी, हालांकि वो भी रोशनी से प्यार करता था लेकिन रोशनी दीपक को चाहती थी।
"हर वक्त जरूरी नही है उसी की बात करना, कुछ और बात करते है, आगे बढ़ो जिंदगी में, बीते लम्हो में अगर तकलीफें हो तो उन लम्हो को भूल जाना चाहिए।
"इतना आसान नही होता, पहली मोहब्बत को भूल जाना
एक आग के दरिये को, जैसे बिना पानी के बुझाना
मोहब्बत जिससे हो उससे नफरत नही हो पाती
और नफरत हो जाये तो मुश्किल होता है उसे मिटाना"
रोशनी ने शायरी बोलते हुए अनुराग के सवाल का जवाब दिया।
"तो कर लो नफरत…. लेकिन धोकेबाजो को दिल मे जगह कभी नही देनी चाहिए, तुमने उससे सच्चा प्यार किया था लेकिन वो तो मजाक ही करता रहा ना" अनुराग ने कहा।
"वफ़ा के बदले वफ़ा मिले ये भी तो जरूरी नही" रोशनी ने कहा।
"कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो, किसी का छोड़ जाना जिंदगी का अंत नही हौ रोशनी, तुम्हारे पास और भी बहुत लोग है जो तुम्हे चाहते है, तुम्हे खुश देखना चाहते है" अनुराग ने कहा।
तभी अनुराग का फोन आ गया।
"एक्सक्यूजमी" अनुराग ने कहा और फोन उठाकर बाहर की तरफ चले गया बात करने।
"हेलो…. हां बोल"
"क्या बोलूं, तुम जानते हो क्यों फोन किया है मैंने , तुम्हे पता है मैं क्या बोलने के लिए फोन कर रहा हूँ,फिर भी बार बार मेरे मुंह से क्यो सुनना चाहते हो" वकील ने कहा।
"तुम हॉस्पिटल में भी चैन से नही बैठ सकते क्या? आरनम से इलाज कराओ।" अनुराग ने कहा
"एक नही दोनो हाथ फेक्चर है, और तुम्हारे कारण दीपक पर पुलिस केस भी नही कर सका।" वकील ने कहा।
"मेरे नही तेरे, क्योकि तुझे अपनी नौकरी की चिंता थी, मुझे नही" अनुराग ने कहा।
"लेकिन लड़की तुम्हे पटानी थी ना, अगर मैं जेल जाता तो ये सच भी सामने आ ही जाता कि मुझे रिश्वत किसने दिया था।" वकील ने कहा।
"ठीक है ठीक है, अगर दीपक ने तुझे तोड़ फोड़ भी दिया तो तेरी सर्विस का खर्चा भी मैं उठा लेता हूँ, और तेरे पैसे तुझे मिलते रहेंगे, तेरा काम सॉलिड था, दीपक की बात भी नही सुनी रोशनी ने, और अब तो कुछ दिन बाद तक वो मेरी हो ही जाएगी कब तक दीपक को याद करेगी" अनुराग ने कहा।
"आपको अब भी रोशनी की पड़ी है, मैं यहां अपने हाथ से खाना भी नही खा सकता" वकील ने कहा।
"अरे तेरे तो दोनो हाथ अभी काम नही कर रहे ना, फिर तो पैसे भी नही भेजूँगा, तू गिनेगा कैसे" हँसते हुए अनुराग ने कहा फिर उसके कुछ बोलने से पहले ही कह दिया कि - "अरे मजाक कर रहा था, भेजता हूँ अकॉउंट में, आगे और भी काम आएगा मेरे"
अनुराग ने इतना कहकर फोन काट दिया और वआपस जाने के लिए मुड़ा ही था कि पीछे से रोशनी को खड़ा देखकर वो हैरान हो गया। घबराते हुए बोला- "र र रोशनी, त त तुम…."
रोशनी बिना कोई जवाब दिये अंदर को आ गयी।
"रोशनी प्लीज, मेरी बात तो सुनो" अनुराग कहते हुए पीछे पीछे आया।
"यु चिटर…. तुम्हारी वजह से मैंने दीपक को गलत समझा, प्लीज मुझे कोई बात नही सुननी तुम्हारी"
"अरे! , तुम्हे कोई गलत फहमी हो रही है, तुम गलत समझ रही हो" अनुराग बोला।
रोशनी अंदर आकर टेबल से अपना पर्स उठाकर जाने लगी, तभी अनुराग ने उसकी कलाई पकड़ ली।
"बस पांच मिनट, पांच मिनट बैठकर मेरी बात सुन लो, फिर चली जाना" अनुराग बोला
"मुझे कोई बात नही सुननी है तुम्हारी, असली धोखेबाज तो तुम हो….तुम्हारी वजह से मैंने दीपक को थप्पड़ मारा था, प्लीज छोड़ो मेरा हाथ"
"क्या करूँ मैं, हंन्न…. क्या करूँ, मुझे तुम पसंद हो, और वो लड़का…. वो दीपक मुझसे मेरी पसंद छीन रहा था, कैसे होने दूँ तुम्हे किसी और का अपने नजर के सामने" अनुराग ने कहा।
"अपनी पसंद पाने के लिए तुम कुछ भी करोगे क्या? इसलिए मैं ये बात तुमसे छिपाती थी कि मुझे दीपक पसंद है, मैं प्यार करती हूँ उससे। और तुम्हे क्या लगा था कि अगर तुम हमारे बीच आग लगाओगे तो मैं दीपक से दूर हो जाउंगी, नही अनुराग, ऐसा नही होता, मैं उससे नाराज राह सकती हूँ दूर नही" रोशनी बोली।
रोशनी की बात सुनकर अनुराग ने कहा- "अगर तुम्हे वो पसंद है तो मेरी पसंद का क्या?"
रोशनी ने एक झटके से हाथ छुड़ाया और कहा- "भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारी पसंद" इतना कहकर रोशनी वहां से चली गयी।
अब वेटर खाने की प्लेट लेकर एक झिझक के साथ उसके सामने गया और टेबल पर खाना रखने लगा।
अनुराग ने गुस्से से वेटर को घूरा और खुद भी वहां से चले गया।
रोशनी रोते हुए बाहर निकली और जल्दी जल्दी में ऑटो रोक कर घर की तरफ निकल गयी।
******
दीपक ने राहुल को रोशनी और अनुराग की कहानी उस दिन को आँखोदेखी घटना तक बताई, जो राहुल थोड़ा बहुत देख चुका था।
"लेकिन ये सब तुम्हे कैसे पता, तुम्हे ये बात पता है इसका मतलब तुम रोशनी से दोबारा मिले थे।" राहुल ने कहा।
"हाँ मिला था, वो खुद आई थी मिलने, मिलने क्या…. वो तो माफी मांगने आई थी, और उस दिन बहुत रोई थी वो।" दीपक ने कहते हुए उस पल को याद किया, शायद बहुत शुकुन था उस पल में……🤔🤔🤔
"मुझे पता था तुम्हे जब सच्चाई का पता लगेगा तो तुम लौट के जरूर आओगी। बस एक बात बहुत बुरी लगी थी, उस दिन तुमने मुझपे भरोसा नही किया, अगर उस दिन तुम थप्पड़ ना मारती तो मैं भी तुम्हे एक प्रूफ देने वाला था, लेकिन तब तुमने मेरी बात नही सुनी" दीपक ने रोशनी के बालों को सहलाते हुए कहा।
रोशनी अभी दीपक के कंधे में सिर रखकर बैठी हुई थी, दीपक के छोटे से कमरे में।
"इसी बात का दुख तो मुझे भी था, तुम चले गए और तुमने मेरा फोन भी नही उठाया, शाम को कितना रोई मैं…." रोशनी ने कहा।
"बस यही सोचकर मैं भी रोया, क्योकि मैं जानता था कि तकलीफ मैं तुम भी हो, मैं खुद की नजर में भले सही था लेकिन तुम्हारी नजर में मैं गलत था, तुम्हारी नजर में मैंने तुम्हारा भरोसा तोड़ा था, मैं सारी रात खुद को तुम्हारी नजर से देखता रहा और कोसता रहा कि काश उस वकील की बात ना मानी होती।" दीपक ने कहा।
"प्लीज मुझे माफ़ कर दो?"
"एक ही बात बार बार मत बोलो रोशनी, माफ करके ही गले से तुम्हे लगाया है, और वैसे भी मेरी नजर में तुम कभी गलत थी ही नही"
"खुद की नजर में तो हूँ ना"
"लेकिन एक बार खुद को मेरी नजर से देखो ना, फिर देखो क्या नजर आएगा"
"क्या आएगा??"
"मेरा प्यार! और जिंदगी…. और मुझे पूरा भरोसा था कि तुम्हे मुझसे कोई नही छीन सकता, इसलिए मैंने सब किस्मत पर छोड़ दिया था।"
"और किस्मत में हमारा साथ लिखा था, है ना!" रोशनी बोली।
रोशनी की बात सुनकर दीपक ने उसे थोड़ा कस के पकड़ लिया और कहा- "ह्म्म्म शायद यही दिल की साजिश है"
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ये प्यार है मेरा
या साजिश दिल की
तू ही सफर है मेरा
तू ही मंजिल भी
कुछ दिल ने कहा इस तरह
चाहता है तुझे बेवजह
वजूद मेरा तुझसे ही
सांसे लूँ मैं तेरे लिए
जिंदा हूँ जैसे तुझमें ही
"इतने दिन तक कभी मिलने की कोशिश भी नही की तुमने, मेरी याद नही आती थी क्या?" रोशनी ने फुसफुसाते हुए दीपक के कान में कहा।
"आती तो थी, लेकिन मजबूरी थी, तुम्हारी मर्जी के खिलाफ जाकर तुम्हे नजर नही आना चाहता था" दीपक ने कहा।
"कैसी मर्जी, तुम्हारा भी तो हक है मुझे डाँटने का, मैं तो अनजान थी अनुराग के प्लान से, तुम तो जानते थे ना, फिर अपनी मर्जी क्यो नही चलाई" रोशनी ने धीमी आवाज में कहा।
दीपक ने खुद से रोशनी को छुड़ाया और खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया और पीछे मुड़कर सोफे पर बैठी रोशनी को देखने लगा।
(Bakcround music🎵🎶🎼 like- mai phir bhi tumko chahunga😊)
तू जो ना आये गर नजर
आंखे मेरी ये फड़कती है
दिल ये डरा सहमा सा
धड़कने जोरो से धड़कती है
जीना या मरना मुझे हो
मर्जी तेरी पूछूं मैं
तुझसे दूर जाना ना पड़े
कुछ ऐसे बहाने सोचूँ मैं
तेरे बिना सूना है हरदम
मेरे लिए तो महफ़िल भी
ये प्यार है मेरा
या साजिश है दिल की
तू ही सफर है मेरा
तू ही मंजिल भी
रोशनी अब भी दीपक के जवाब का इंतजार कर रही थी लेकिन दीपक उसकी तरफ ऐसे देख रहा था जैसे इतने दिनों के हिस्से का आज ही देख रहा होगा।
रोशनी उठी और दीपक के पास जाकर खड़ी हो गयी और उसके दोनो गालों को हाथ के घेरे में बांधते हुए बोली- "ऐसे क्यो देख रहे हो, प्लीज…. हम यहां बात करने आये है, और तुम बात बात पर खो ही जाते हो"
रोशनी के हाथ के ऊपर हाथ रखकर उसके एक हाथ को फिसलाते हुए अपने कंधे में लाते हुए दीपक ने कहा- "बात बात पर नही खोता , तुममें खो जाता हूँ, और अगर तुम थोड़ी देर और रुकी तो शायद मुझे ना ये शाम याद रहेगी, ना ही कोई बात"
"क्यों चाहते हो इतना कि मेरी हर गलती को बिना सज़ा के माफ कर देते हो" रोशनी ने कहा।
"सज़ा दे तो रहा हूँ, जिंदगी भर मुझे झेलने की सजा, अब मुझे हमेशा इसी तरह अपने करीब रखना होगा, मुझसे दूर जाने की सोचना भी मत"
इतना सुनकर रोशनी ने आंखों में आंसुओ के चमकते मोतियों को पोछते हुए दीपक को गले से लगा लिया और कहा- "मेरा वश चले तो कभी छोड़ू ही नही, हमेशा इसी तरह अपने पास रख लूँ, फिर ना दूरियां होंगी ना हम कभी जुदा होंगे।
(🎵🎶🎼 म्यूजिक)
सबकी तरह मैं भी तो हूँ
दुनिया जहाँ के माया में
तू जो मिले तो मुझको लगे
शबनमी धूप भी छाया है
तेरे लकीरों में नाम मेरा
मैंने तो रब से लिखाया है
हँसती जब तू है सनम
भुला दूँ मैं अपने सारे गम
रोये तू जो कभी
तो आंखे हो जाये नम
ये प्यार है मेरा
या साजिश है दिल की
तू ही सफर है मेरा
तू ही मंजिल भी
ये प्यार है मेरा
या साजिश है दिल की
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"बातों बातों में कब शाम ढली कब चाँद सितारों ने अपनी चादर ओढ़ा दी कुछ भी पता नही चला" दीपक ने राहुल से कहा।
राहुल मन ही मन सोचने लगा "इसका मतलब रोशनी को अनुराग ने मारा होगा, बेचारा दीपक कितना प्यार करता था रोशनी से, और वो भी बहुत प्यार करती थी। और किसी अनुराग ने इन्हें हमेशा के लिए जुदा कर दिया, ऐसे लोगो को तो मार ही देना चाहिए"
कहानी जारी है