Frame of Reunion... भाग -1
Frame of Reunion...
सोचने को तो मैं कुछ भी सोच लूं और मुझे
कोई
रोक भी
नही सकता लेकिन सच तो वही रहेगा जो है, मेरे
सोचने विचारने से सच तो नही बदल सकता ना... वैसे मेरी ज़िन्दगी मे कई ऐसे सच थे, जिन्हे
बदलने के बारे मे मै अक्सर सोचा करता की.. काश ये चीज ऐसी हुई होती तो ठीक रहता....
वो चीज वैसी हुई रहती तो साला मजा ही आ जाता और मेरी इसी सोच मे दो और लोग शामिल
थे.. मेरा दोस्त दीपक भगत और मेरे कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की , साना
सिद्दकी. मै चाहे जितनी कोशिश कर लूं , जितना भी
अपने दिमाग़ मे जोर डाल लूं ... मै ये सच बिलकुल नही बदल सकता की मै साना से बहुत
प्यार करता हु और दीपक भी.. शायद मुझसे भी ज्यादा... जो मै इस वक़्त दीपक
की आँखों मे देख सकता था.
कहने को तो दीपक मेरा बहुत खास दोस्त था
और वाकई मे खास था भी... क्यूंकि मेरे सभी दोस्तों मे सिर्फ वही एक ऐसा था जो
हकलाता था. मैं उसे आज 8
साल बाद
देख रहा था और यदि मैं या फिर वो... हम दोनों में से कोई एक भी रियूनियन में ना
आया
होता तो
फिर शायद ही
हमारी कभी
मुलाकात हो पाती...
रियूनियन
के प्रोग्राम में कॉलेज पहुंचते ही कई दोस्त मिले. जिनमें से कुछ खास थे तो कुछ
ऐसे ही फालतू मे
फ्रेंड
लिस्ट बढ़ाने वाले... जिनमें से अधिकतर के तो मैं नाम तक भूल चुका था, लेकिन फिर भी उनसे हाथ मिलाते वक्त ऐसे
बर्ताव
कर रहा था
मानो
मैं यहां
सिर्फ उन्ही
से मिलने
आया हूं ल
तो
रियूनियन का प्रोग्राम शुरू हुआ खुद को इंट्रोडूस (introduce ) करने से
और जो सबसे पहले मंच पर आया, उसने अपने
बारे मे कुछ इस तरह से वहा मौज़ूद लोगो को
चिर -परिचित कराया...
"Good evening, gentlemen and
gentle women... Myself Arman... Sounds
boring ? Ok ... call
me Shri Arman... A-R-M-A-N not A-R-M-A-A-N.... मै आठ साल
पहले यहाँ से पास आउट हुआ और मै जब यहाँ से पास आउट हुआ तो मेरे हाथ मे चार जॉब
के offer
थे..
जिसमे से एक तो विदेश मे जॉब करने का ऑफर था. और पिछले 8 सालो मे
मै कहा से कहा पंहुचा.. मै ये तुम्हे
नही बताऊंगा क्यूंकि तुम लोग मुझसे जलोगे, तुम्हारी
भावनाये आहत होंगी... तुम्हारी बीविया मुझपे फ़िदा हो जाएंगी और.....
छोडो भी,
पर ये
जरूर सोचना की 560
पूर्व
छात्रों
मे से
मुझे ही सबसे पहले क्यु खुद को introduce करने के
लिए बुलाया गया ?
कुछ मेरी
तरह ढंग का काम धाम करो बे... नल्ले.. बेरोजगारों... Bye और दिल पे
मत लेना,
मुँह मे
लेना... The
Name is Arman... Arrogant-Reputed MAN"
"ये अब भी
उतना ही घमंडी है जितना कॉलेज के दिनों मे हुआ करता था... "मैने खुद
से कहा
तो अंततः Arman के introduction से
रीयूनियन का कार्यक्रम शुरू हुआ. उसके बाद पुरे महफ़िल ने जो समा बांधा उससे मुझे
काफ़ी खुश होना चाहिए था,
शर्ट उतर
कर लंगर डांस करना चाहिए था.. भका भक दारू की कई बोतले ख़त्म कर देनी चाहिए थी, कॉलेज के
लड़कियों से मेल मिलाप और फ्लरटिंग करनी चाहिए थी.. मंच पर जाकर नंगा नाच करना
चाहिए था. लेकिन मेरे दिलो दिमाग़ को दो लोग इस समय जकड़े हुए थे जिसमे से एक थी
साना सिद्दकी और दूसरा था दीपक भगत... जो मुझसे थोड़ी दूर मे अकेला खड़ा था, ठीक वैसे
ही जैसे वो हमारे फेयरवेल पार्टी के दौरान था... पर ये हमेशा से ऐसा नही था. इसकी
शुरुआत हमारे इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष मे उस दिन से हुई थी, जिस दिन
दीपक भागते भागते हॉस्टल मे आया और हाफ्ते हुए मुझसे बोला.....
" अअअअअतुल, कन्फर्म...
I
laaaaa... Laaaa love her, i.. i.. I love Sssssaannaa.... उसे देखकर
ही मेरा चेहरा लाल हो जाता है, मेरा दिल
ऐसे धा.. धा... धा
धड़कने
लगता है,
जैसे पहले
कभी धा.. धा.. धड़का ही ना हो.. मै उससे बहुत कुछ कहना चाहता हु, पर उसे
देख देखते ही इतना घबरा जाता हु की, को.. को..
को.. कॉरिडोर मे उसके बजबसे निकलने के हिम्मत नही होती... ऊपर से मै ठहरा एक
हकला.... मुझे डर है की कही मै घबराहट मे पूरा.. I love you... भी बोल
पाउँगा या नही.....
"
" मैं पहले
भी कहां कि तू इसके पीछे क्यों पड़ा है.. वह बहुत हाई लेवल की बंदी है, तेरे से
नहीं पटेगी..
" अपने
मोबाइल में साना के मैसेज का रिप्लाई देते हुए मैंने दीपक से कहा
" प.. प..
पर यार,
मैं से
प्यार करता हूं... तू तो देखा ही है की क.क.क. कैसे कैसे रात-रात
भर मुझे नींद नहीं आती.. हर रात
में उसके बारे में सोचता हूं, रात यह
सोचता हूं कि वह कल क्या पहन कर आएगी, कल कैसे
दिखेगी,
औ. औ. औ और मैं
कौन से कपड़े पहनु जिससे वह इंप्रेस हो जाए. मैं सच कह रहा हूं, यदि वो
मुझसे एक बार उसके बाद भी कर ले तो बहुत है, मेरे लिए
वही बहुत है. मैं जानता हूं कि मैं उसके लायक नहीं हूं, लेकिन
क्या करें दिन रात दिमाग में वही छाई रहती है. यहां तक कि सोने के बाद भी उसी का
स.. स.. स. सपना आता है. कभी-कभी तो ख. ख.. ख ख्याल आता
है कि मैं किसी तरह कोमा में चले जाऊं और अपने सपने में उसके साथ रहा हूं. यदि वह
मुझे आई लव यू बोल दे तो मम्मी कसम इंजीनियरिंग छोड़ दूंगा.. खुशी में"
" तेरे से
जो हो तु वो
कर ले, मेरे पास
इतना टाइम नहीं है,
वैसे भी
मेरा कल इंटरव्यू है"
मैंने
दीपक से कहा और मोबाइल में गुड नाइट मैसेज लिख कर साना को चिपकाया और सोने चला गया.
पर दीपक नहीं सुबह वह मुझे बहुत देर तक देखता रहा अभी लाइट बंद करके खिड़की के पास
रखी है कुर्सी में बैठकर साना के बारे में सोचते हुए बाहर देखने लगा. और मैं ऐसा
कह सकता हूं क्योंकि वह मेरा खास दोस्त भी था और रूम पार्टनर भी.
वो हर रात
यही करता था,
वो ऐसे ही
अपनी हर रात जागते हुए खिड़की के बाहर देख कर साना को सोचने में बिताया करता था.
दीपक का यह एक तरफा प्यार हर दिन बढ़ते जा रहा था. हर किसी से हर वक्त... क्लास
में,
कैंटीन
में,
लैब में, लाइब्रेरी
में यहां तक कि बाथरूम में नहाते वक्त भी साना के बारे मे हकलाते हुए पूछता. जिससे
अक्सर लोग उसका मजाक उड़ाते थे. पर उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था, या वह
साना के पीछे इतना पागल था कि ऐसे समझ ही नहीं आता था कि उसके दोस्त उसका मजाक
उड़ा रहे हैं,
और उसके
उन दोस्तों में मैं भी एक था, जो उसका
मजाक उड़ाता था. साना के प्यार में रात भर जागने के कारण उसकी कॉमन सेंस भी जवाब
देने लगी थी. वो क्लास में अक्सर अपना अटेंडेंस देना भूल जाता था और फिर बीच में
खड़ा होकर टीचर को दोष
दिया करता
था की उन्होंने उसका नाम जानबूझकर छोड़ दिया है. कई बार तो उसने इसी चक्कर में
प्रोफेसर के साथ झगड़ा भी किया, वह भी
हकला हकला के. इसकी वजह से उसे काफी परेशानी हो रही थी.
" ये ले मेरा
पेन उसे दे कर
"
" तू खुद
क्यों नहीं दे देता उसे"
"पागल है
क्या,
उससे मैं
इतना घ.. घ.. घ.. घबराता हूं कि उसका नाम तक बिना हकलाए लिया नहीं जाता, उसे पेन
क्या दूंगा. उसने मुझे थैंक्यू भी बोला तो, घबराहट
में वेलकम भी नहीं कर पाऊंगा. तू दे दे.. वैसे तूने आज देखा, क्लास में
वह पीछे मुड़ मुड़ कर मुझे देख रही थी. लगता है वह मुझे पसंद करने लगी है. तू. तू.
तू तुझे क्या लगता है पटेगी ?"
"पता नहीं" उसे देखकर
मैंने कहा,
सच कहूं
तो मुझे दिल से बुरा लग रहा था दीपक के लिए, लेकिन मैं
उसे यह कैसे बताता की साना आज क्लास में उसे नहीं बल्कि मुझे देख रही थी
इतने में
पूरे माहौल में तालियों की गूंज एक बार फिर से उठी, मेरे बैच
की एक बेहद हॉट लड़की अपूर्वा खुद को इंट्रोड्यूस कराने के लिए स्टेज पर गई थी, जो भाभा
एटॉमिक एंड रिसर्च सेंटर में बतौर साइंटिस्ट काम करती थी. उसने एकदम शालीन तरीके
से अपने और अपने काम के बारे में बताया और जैसा किसने बताया था उसके अनुसार वह
अगले महीने जापान जाने वाली थी. इसके बाद कोई और मंच पर गया और यह कदम ऐसे ही
बढ़ता रहा और इस बढ़ते क्रम के साथ मैं फिर अपने अतीत में खो गया. जहां मुझे दीपक
का पेन साना को देना था.
"साना,तुम्हारा पेन... मेरा मतलब
तुम्हारे लिए पेन. तुम्हारा पेन नहीं चल रहा था ना.."मुस्कुराते
हुए सभी दोस्तों के बीच जाकर मैंने साना को पेन दीया.
" थैंक यू, तुम्हें
कैसे पता चला.. की मेरा पेन नहीं चल रहा ?" अपने गालो
पर डिंपल का कन्फॉर्मेशन करते हुए साना मुस्कुराई
" सिक्स्थ सेंस...
साना जी"
कॉलर ऊपर चढ़ाते
हुए मैंने जवाब दिया
" थैंक यू
अगेन,
बाय"
"बाय ? वह भी
इतनी जल्दी ?"
"इतनी
जल्दी?
तो क्या
मेरा नोट्स लिखकर जाओगे ? " वह फिर से
मुस्कुराई
"ओके बाय"
यह बोलकर
मैं वहां से दीपक के पास आया, वह इस समय
इतना खुश हो रहा था,
जैसे सा
सा सा साना ने... इसकी तो, मैं दीपक
की तरह क्यों हकला रहा हूं? यह साला
दीपक के साथ रहने का असर है या फिर मैं भी
साना से प्यार करने लगा हूं..? खैर, दीपक उस
समय इतना खुश हुआ था जैसे साना ने उसका पेन नहीं बल्कि उसका प्रपोजल स्वीकार कर
लिया हो
आए दिन
रात भर ना सोने की वजह से दीपक की आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ने लगे थे. अब वह
मुश्किल से पूरे दिन मे सिर्फ दो-तीन घंटे सोता था. उसने सिगरेट बहुत ज्यादा पीनी
शुरू कर दी थी,
इतना
ज्यादा कि कभी-कभी सुबह मुझे सिगरेट के दो तीन पैकेट फर्श पर मिलते थे और जब मैंने
उसे सिगरेट बंद करने की सलाह दी तो वह बोला...
"मैं.मैं.मैं.मैं
सिगरेट इसलिए नहीं पीता क्योंकि मुझे इसकी तलब है. मैं तो अपने सीने से सा.सा.सा.
साना की यादें धुएँ
में बदलकर
बाहर फेंक रहा हूं,
exhaust process"
"तो तेरा
दर्द कम हुआ ?
मतलब तो
उसकी यादों को भूल पाया ?"
" साला
वही.... वही दर्द,
वही याद
ऑक्सीजन के रूप में वापस आ जाती है.. You know,Intake process"
साना और सिगरेट के अलावा दीपक को एक और चीज का शौक लगा था, वह अक्सर लाइब्रेरी से पता नहीं कौन-कौन सी किताबें लाकर पढ़ता रहता था. मुझे भी ऐसा करने की सलाह देता लेकिन मैंने उसकी वह सलाह कभी नहीं मानी. वह अक्सर मुझे "frame of reference " के बारे में बताया करता था, तरह-तरह के उदाहरण देकर समझाया करता था. जिसमें दो चीजें, दो ऑब्जेक्ट आपस में बदल जाती है. जिससे मैं कभी-कभी इतना बोर और फ्रस्ट्रेट हो जाता कि मैं अपने रूम तक नहीं जाता था. इस तरह अब साना की याद और सिगरेट के अलावा वह पुरानी किताबें भी दीपक की विरानी रात का सहारा थी. दीपक की जिंदगी अब इतनी वीरान हो चली थी की वह अब रात भर जाकर पुरानी फाइल्स में से प्रैक्टिकल कॉपी करने लगा था. मोबाइल अपनी फाइल कंप्लीट करता और जब उसकी कंप्लीट हो जाती है तो वह क्लास के बाकी लड़कों की फाइल मांग मांग कर कंप्लीट करने लगता था. जिससे एक फायदा दीपक को यह हुआ कि अब उस पर बहुत ही कम लोग हंसते थे. पर मैं जानता था कि साना के कारण उसकी हालत दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही थी. उसका कॉमन सेंस तो अब बिल्कुल भी कॉमन नहीं था, वह कहीं भी, किसी से भी साना के बारे में पूछ लेता था. यहां तक की एक बार बीच क्लास में प्रोफेसर से पूछ लिया की आज साना क्यों नहीं आई ? उस समय तो मैंने कैसे भी करके बात को घुमा फिरा कर उसे बचा लिया. लेकिन वह यहीं नहीं रुका. उसकी असली दुर्गति तो अभी बाकी थी .
Aliya khan
04-Aug-2021 07:26 AM
Behtareen
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