लेखनी प्रतियोगिता -15-Jul-2022 नदी का तट
शीर्षक =नदी का तट
आज बड़े दिन बाद गांव से सरपंच जी का फ़ोन आया था । उनके बेटे कर्ण का ब्याह जो तय हो गया था और एक हफ्ते बाद शादी थी। मेने तो बहुत मना किया क्यूंकि काम की व्यस्तता ही इतनी है की सुबह के निकले शाम को ही घर आते है ।
ये तो सरपंच जी की अपना पन था जो वो माँ बाउजी के मरने के बाद भी मुझे नही भूले जबकी मेने तो उस गांव को पलट कर भी नही देखा माँ पिता जी की अंतिम यात्रा के बाद।
ना जाने सरपंच जी को मेरे घर का मोबाइल नंबर कैसे मिला, शायद कर्ण से लिया होगा वो मेरे साथ फेसबुक पर ऐड है , अब तो जमाना हो गया उन सब से मिले गांव के दोस्त फेसबुक पर तो ऐड है थोड़ी बहुत बात चीत भी होती है लेकिन मिले हुए कई साल बीत गए ।
15 साल पहले माँ पिता जी की अचानक मौत के बाद मैं ऐसा शहर आया अपना सब कुछ बेच कर अपने मामा के साथ कि कभी पलट कर ही नही देखा । लेकिन चलो आज कर्ण की शादी के बहाने अपने गांव को देख आऊंगा कि कितना बदल गया है । वो नदी के तट जहाँ से मैं अक्सर डूबता सूरज देखता था ।
आज मैं खुश हूँ कि इतने बरस बाद अपनी जन्म भूमि की और जा रहा था । जहाँ पला बड़ा , खेला कूदा, दोस्त बनाये आज इतने सालों बाद उन्हें देखने का मौका मिलेगा क्या वो लोग भी बदल गए होंगे या अभी भी वैसे ही होंगे, और गांव क्या अब भी वो वैसा ही गांव होगा जहाँ सड़के कच्ची थी और चारो और कच्चे मकान और ऊँचे ऊँचे पेड़ जिनपर हज़ारो चिड़िया अपना आशयाना बनाती थी और जिनके पीछे से सूरज झाँकता था और चांदनी अपनी छठा बिखेरती थी । ये सब विचार लिए जगमोहन बस में बैठा अपने गांव की और बढ़ रहा था ।
नही पता कि अब बस से उतर कर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क बनी या नही और कोई वाहन वहां से अंदर जाएगा या नही, या अभी भी वहा से गांव के अंदर मुंढेर मुंढेर होकर पैदल ही जाना पड़ेगा ।
आज इतने दिनों बाद उसने अपनी भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ा अपने लिए भी समय निकाला नही तो सुबह उठते ही दफ्तर चला जाना, हज़ारो गाड़ियों से भरी सड़क पर गाड़ी चलाना , दिन भर प्रदूषित हवा को अपने अंदर लेना, दफ्तर जाकर गधो की तरह काम करना और फिर शाम को आकर खाना खा कर थोड़ा बहुत मोबाइल चला कर सो जाना। वक़्त ही नही मिलता अपने आप को देने के लिए ।
जगमोहन बस में बैठा ये सब सोच ही रहा था की किसी ने कहा " साहब आपका गांव आने वाला है तैयार रहिये बस थोड़ी देर को ही रुकेगी वहा "
"ठीक है भाई , धन्यवाद बताने के लिए " जगमोहन ने कहा और अपना बैग समेटने लगा
थोड़ी देर बाद बस रुकी और कंडक्टर ने जगमोहन से उतरने को कहा। जगमोहन थोड़ा हैरान हुआ और बोला " क्या ये वही गांव है जहाँ मेने जाना है देखने से तो नही लग रहा है पहले तो कभी यहाँ इतनी चहल पहल नही थी "
"साहब लगता है अब काफी साल बाद गांव लोटे है, साहब ये वही गांव है जहाँ आपको जाना है और हाँ यहाँ अब धूप और बैटरी से चलने वाली रिक्शाये है जो आपको गांव के अंदर ले जाएंगी " कंडक्टर ने कहा
जगमोहन गाड़ी से उतरा उसे यकीन नही आ रहा था की उसका गांव इतना बदल गया है । उसने रिक्शा की और सरपंच के घर की और चलने लगा ।
गांव की आबादी पहले से ज्यादा बढ़ चुकी थी । जहाँ कभी खेत और खाली ज़मीन थी वहा अब बढ़े बढ़े घर बन चुके थे ।
इन 15 सालों में गांव का नक्शा तब्दील हो चुका था सड़क पक्की बन गयी थी और मकान भी पक्के।
सरपंच जी जगमोहन को आता देख काफी खुश हुए उन्होंने उसे सीने से लगाया और कहा " तुम आख़री निशानी हो मेरे दोस्त की चलो अंदर आओ सफऱ की थकन हो गयी होगी "
"नही काका अब थकन नही हुयी अब तो सड़क पक्की हो गयी है और पैदल भी चल कर नही आना पड़ा काफी तरक्की कर ली गांव ने तो, अब तो ये गांव भी नही लग रहा है कुछ सालों में शहर बन जाएगा ये भी जिस तरह यहाँ पर भी तेजी से मकान बन रहे है " जगमोहन ने कहा
"हाँ, बेटा ये तो है सब कुछ बदल सा गया है , चलो अच्छा अंदर चलो बैठ कर बाते करते है , अब तो आ गए हो खूब घूमना फिरना गांव में ये तुम्हारा ही गांव है जो अब बदल सा गया है " सरपंच जी ने कहा
वो दोनों अंदर चले गए । उसकी मुलकात कर्ण से हुयी वो दोनों गले मिले और खूब बाते करी।
अगले दिन सुबह में जगमोहन कर्ण के साथ अपने पुराने दोस्तों से मिलने गया । जिसमे से कुछ गांव में थे और कुछ शहर जा चुके थे ।
वो सब मिल कर एक टोली बन गए और हर जगह घूमे और पुराने दिनों की यादें ताज़ा करने लगे कि कैसे वो लोग दरख़्त पर चढ़ जाते और फल तोड़ कर खाते थे ।
अध्यापक की मार से बचने के लिए स्कूल से भाग आते तो कभी कभी बीमारी का बहाना बना बच जाते। सरकारी स्कूल में मिलने वाले खाने को छिपा कर बसते में रख कर घर ले आते और अपने भाई बहनों को खिलाते ।
ऐसे ही बाते करते करते वो उस गांव की नदी के तट पर आ पहुचे ।
वो नदी पहले की तरह नही थी बहुत कुछ बदल गया था । जहाँ वो कभी घंटो बैठ कर बाते किया करते और रेत के घर बनाते और लात मार कर गिरा देते थे और रोज शाम को डूबते सूरज को नदी के तट पर खड़े होकर देखते थे ।
लेकिन अब उस नदी के आस पास बहुत सारे तार बिछा दिए गए थे । क्यूंकि पहले लोग नदी में लाकर अपने कपडे और जानवरो को नहाते थे और जिससे पानी प्रदूषित होने का खतरा रहता इसलिए अब वहा नदी के चारो और तार बांध दिए गए थे और लिख दिया गया था की इस नदी के तट पर नहाना , कपडे धोना और जानवरो को नहाना मना है इससे जल प्रदुषण फेलता है । जो की सही भी था ।
लेकिन जगमोहन को एक बात समझ नही आयी की अगर कपडे धोने और जानवरो के नहाने से जल प्रदूषित हो रहा था जिसको रोकने के लिए इन लोगो ने नदी के तट पर तारे बिछा दी ताकि कोई जा ना सके । लेकिन जो लोग बड़ी बड़ी फैक्ट्रीयों का विषेला पदार्थ नदी नालो और समुन्दरों में बहा देते है तो क्या उनसे जल प्रदूषित नही होगा।
हर साल लाखो जल्य जीव नदी नालो में बहाये जाने वाले विषेले पढ़ार्थो से मर जाते है अगर जिस तरह नदी के तट पर तार बिछा दिए गए है ताकि कोई कपडे ना धोए और जानवर ना नहाये उसी तरह इन फैक्ट्री वालो पर भी रोक लगायी जाए तो कितना जल प्रदूषित होने से बच जाएगा। लेकिन ऐसा करना कठिन है क्यूंकि उनसे सब की जेबे गर्म होती है जबकी सीधे सादे गांव वालो से किसी को क्या फायदा इसलिए उनका
आना जाना नदी के तट पर बंद करना आसान है इसलिए तो देखो आज इस नदी के तट पर काँटीले तार लगा दिए गए है ताकि कोई नजदीक ना जा सके।
वक़्त कितनी तेजी से मुठी में भरी रेत की तरह निकल गया । पहले कभी ये नदी का तट लोगो से भरा रहता था लेकिन अब कोई इन काँटीले तारों की वजह से वहा कोई नही आता जबकी ये काँटीले तार कही और भी लगना चाहिए थे लेकिन कोई क्या कर सकता है ।
जगमोहन अपने दोस्तों के साथ दूर से ही उस नदी के तट को देख कर वापस सरपंच जी के घर आ गया । शादी की रस्मे शुरू हो गयी थी और कुछ दिन बाद वो अपने दोस्त को और सरपंच जी को अलविदा कह कर शहर की और रवाना हो गया ।
प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी
Reyaan
16-Jul-2022 10:45 PM
बहुत खूब
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Mohammed urooj khan
16-Jul-2022 09:05 PM
तेह दिल से शुक्रिया आप सब का पढ़ कर सराहने के लिए 🙏🙏🙏🙏
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Renu
16-Jul-2022 06:38 PM
गांव की हवाओ में मिट्टी की वो महक ही हमे खुद से जोड़े रखती हैं 👍 ओर फिर अपनी जन्मभूमि चाहे कितनी ही क्यों ना बदल जाएं लेकिन उससे जुड़ी पुरानी यादें तो दिल में बसी होती हैं 🙂
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