हकीकत
बात अभी दो दिन पहले की है, मै बहुत दिन से गले की दर्द की वजह से परेशान थी | सब जगह अपना ईलाज करा कर थक गई थी । पर गले का दर्द ठीक ही नहीं हो रहा था । फिर मैने अपनी परेशानी पति की बड़ी बहन को बताई । उन्होंने मुझे अपने शहर आने को कहा । वहां एक बहुत अच्छे डाक्टर जिनकी एक दवाई से ही आराम मिलता है । ऐसा उन्होंने बताया और अपने शहर बुला लिया । भिलाई आ कर हम सीधे डाक्टर के पास गये, वहां जाकर देखा तो डा. साहब के आने में कुछ समय था |मैं भी वहीं पर बैठ कर डाक्टर के आने का इंतजार करने लगी । पर अंदर बैठे - बैठे बहुत समय हो गया था । तो मैं , मेरे पति और दीदी बाहर बैठ कर डा. का इंतजार करने लगे मेरी बेटी वही पर खेलने में मग्न हो गई और मै दीदी से बात करने में ,तभी मेरी नजर पास में ही खड़े एक नौजवान पर पड़ी, वो अपनी छः महीने की बेटी को संभालने में लगा था...वो छोटी सी बच्ची बहुत रो रही थी, और वो नौजवान उसे चुप कराने की पूरी कोशिश कर रहा था.. मुझसे बच्चे का रोना देखा नही गया, तो मैंने बच्चे को उसके पापा से मांग कर चुप कराने में लग गयी... वो बच्ची थोड़ी देर में सो गई ,फिर मैने उस नौजवान जो शिक्षित और सभ्य लग रहा था, उससे पूछा कि बच्ची की मां कहां है.. उसने बताया की वो अपनी बीवी का ही ईलाज कराने के लिए यहां आया है । मैनें व्यवहारिकता पूर्वक उससे पूछा कि क्या हुआ है , आपकी बीवी को ? युवक ने बहुत ही सहज तरीके से बताया की उसके पत्नी के साथ थोड़ी कहासुनी हो गई और उसे किसी बात पे गुस्सा आ गया, और उसने अपनी बीवी को तमाचा जड़ दिया.. तमाचा इतना जोरदार था , कि उसके कान का परदा फट गया और कान से पानी निकलने लगा । मैं उस नौजवान को आवाक देखे जा रही थी ...उसे अपने किये पर बिल्कुल भी पछतावा नहीं था... और मैं ये सोंच रही थी कि आदमी कितना भी पढ़ा लिखा हो जाये लेकिन वो अपने पुरूष होने के अंह को नहीं भूला सकता और थोड़ी कहासुनी में वो हाथ उठा देता है... ये हमारे सभ्य समाज की हकीकत है...... ।
नंदिता राय
16-Jul-2022 09:52 PM
शानदार
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Abhinav ji
16-Jul-2022 09:46 AM
Very nice👍
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Shnaya
15-Jul-2022 04:20 PM
पुरूषत्व का दंभ इसे कहते है जो इन महाशय के पास कुछ अधिक ही था। सच्चाई बयां करती हुई कहानी 👏👌🙏🏻
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shweta soni
15-Jul-2022 04:50 PM
ये सच्चाई ही है...😊
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