Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -17-Jul-2022

लेखिका-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-पापा की आंखें

पापा की आंखें हमें डराती,
हमें मर्यादा में रहना सिखाती।
बुराई के रास्ते जब बढ़ते कदम,
पापा की आंखें याद दिलाती।
थम जाते हमारे कदम,
अच्छाई के रास्ते हमें चलना सिखाती हैं।

पापा की आंखें हमें दिखाती अनुशासन,
जब हम करते अनुशासनहीनता,
पापा की आंखें याद दिलाती,
छोटे-बड़े के प्रति अनुशासन का पाठ हमें पढ़ाती।

पापा की आंखें जज्बात सिखाती,
हौसलों को उड़ान भरने की ताकत हमें दिलाती।
जब हम डरते तो पापा की आंखें याद आती,
हौसलों में उड़ान भरने की जज्बात हममे बढ़ाती।

पापा की आंखें सिखाती मान,
जब करते बड़ो का अनादर,
पापा की आंखें याद दिलाती।
बड़ों का करना तुम सम्मान,
यही पाठ हमें सिखाती है।

पापा की आंखें सिखाती संस्कार,
जब हम करते गुस्ताखी,
पापा की आंखें याद आती,
हमें दूसरों को संस्कार सिखाती।।

पापा की आंखें डराती है,
पर हमें बहुत कुछ सिखाती ।
दूसरों के प्रति व्यवहार में ढालती,
रक्षा कवच बनती पापा की आंखें,
हर पल करती हमारी रक्षा।

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13 Comments

Seema Priyadarshini sahay

18-Jul-2022 04:18 PM

बहुत खूबसूरत

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Chetna swrnkar

18-Jul-2022 12:19 PM

बहुत अच्छी रचना 👌

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Shrishti pandey

18-Jul-2022 10:50 AM

Very nice

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