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महाकाल के प्रेमी हम!

महाकाके प्रेमी हम!



सावन बीता जा रहा, बरसा जा रहा ये बादल
प्रियतम के बिछोह में, हुए जा रहे प्रेमी पागल।

हम अलग सबसे खुशी में, नृत्य करते जस तांडव
महाकाल के प्रेमी हम, सिर पर उनके प्रेम का आँचल।

सब रो रहे हैं अपने प्रेमी के इंतज़ार में बैठें हुए
 हम पीते हैं नीलकंठ सम, अमृत मानकर ये गरल।


सुनो तकलीफ़ होती बहुत हैं हमें भी, समझो
महादेव के चरणों में समर्पित हैं मेरे सभी अश्रु-सलिल।


"मन" कैसी प्रीत लागी तुझे, समझ न पाए कोई
जग मुरझाए जा रहा है, तू खिले जैसे कोई कमल।


जय भोलेनाथ🙏
हर हर महादेव🙏


#MJ 

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8 Comments

Aliya khan

06-Aug-2021 07:27 AM

Sundar

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Shukriya

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Niraj Pandey

05-Aug-2021 12:38 PM

वाह जय हो🙏

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🇮🇳🙏🙏😀

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Shaba

05-Aug-2021 09:20 AM

भक्ति रस से ओत-प्रोत सुंदर रचना।

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Shukriya 🤗

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