kanchan singla

Add To collaction

भाषा

हिंदी भाषा संघर्षशील है
जैसे इस संसार की औरतें अपनी आजादी के लिए।।

अंग्रेजी भाषा संपन्न तो है
बिल्कुल आज के आधुनिक जीवन की तरह
पर सुकून रहित है।

हिंदी में पूर्णता है
उर्दू में नजाकत है 
अंग्रेज़ी में दिखावटी संपन्नता है।।

हिंदी अपने अंदर सौलह सिंगार समेटे हुए है
उर्दू पर्दानशी होकर शर्म और हया से पूर्ण है।
अंग्रेजी भाषा आधुनिक है बेहयाई को लिए

हिंदी कभी लक्ष्मीबाई की तरह दिखती है
कभी पद्मावत हो जाती है
कभी किसी शर्माती इठलाती स्त्री की तरह होती है
तो कभी गर्वित हो सर ऊंचा कर चलती है

इस सबके बाद भी हिंदी
अपनों के बीच ही संघर्ष करती फिरती है
तलाशती अपनी पहचान को
इस हिंद में हिंदी की शान को

अपनों से ही हंसने का कारण बताई जाती है
आंखो में अश्रु जल लिए रह जाती है
बूढ़ी मां की तरह फिर भी हमारी सेवा करती जाती है

हिंदी आज भी ढूंढती है खुद को
हिंद वासियों के अल्फाजों में
शूट बूट धारी लोगों में
कहीं मिल नहीं पाती है
आखिर में....
शहरो से लौटकर, गांवों में ही शरण पाती है
हिंदी अपने ही घर में शरणार्थी बनकर जीती है।

हिंदी का यह संघर्ष जाने कब खत्म होगा
अपने ही घर में उसे कब पूर्ण अधिकार प्राप्त होगा
जाने कब आएगा वह दिन
किसी को शर्म नही आयेगी जब हिंदी की ही बात होगी

कब हम सब पहचानेंगे खुद को
अपने अस्तित्व को तलाशेंगे
कब हम अपनी भाषा को अपने मान के रूप में सजाएंगे
कब हम हिंदी भाषा को उसका मान दिलाएंगे।।

- कंचन सिंगला ©®



   19
7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

20-Jul-2022 06:26 PM

बहुत खूबसूरत

Reply

Abhinav ji

20-Jul-2022 09:14 AM

Very nice👍

Reply

shweta soni

20-Jul-2022 07:25 AM

Nice 👍

Reply