नादानियां मेरी!
चारों तरफ आरोप है, मेरे नाम सारे दोष है
गुनाह कर गया, उफ्फ कहानियां मेरी
सुन नहीं रहा है कोई, जख्म मुझको भी मिले हैं
मौत बन गयी है अब, नादानियां मेरी।
मैं समझा कि दुनिया बहुत भली है
मगर क्या पता था अब बदल चली है
निकल गए हैं लोग उम्मीदों से आगे
आस्तीन में सांपों की बस्ती पली है।
मासूमियत थोड़ी, थोड़ा अनजान था
मैं दुनिया की असलियत को नहीं जानता था
फायदा सब उठाते हैं यहां भोलेपन का
बहुत दर्द मिलता है, बेवजह बेकाम का।
मैं दर्द में सिमट रहा हूँ, खुद ही खुद में घट रहा हूँ
कैसे बताऊं बातें सारी, जुबानियाँ मेरी
सुन नहीं रहा है कोई, जख्म मुझको भी मिले हैं
मौत बन गयी है अब, नादानियां मेरी।
#MJ
#प्रतियोगिता
kanchan singla
15-Dec-2021 08:37 PM
Beautiful Poetry 💛
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
07-Aug-2021 01:41 AM
Oh🥺 ap kitne masoom hai sir, bilkul ek 80 sal k buddhe ki tarah. Jisne sara jamana dekha ho🤣🤣
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मनोज कुमार "MJ"
07-Aug-2021 12:01 PM
Hahahaha 😂😂😂😂
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Aliya khan
06-Aug-2021 07:59 AM
Wah
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मनोज कुमार "MJ"
07-Aug-2021 12:02 PM
Shukriya
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