लेखनी प्रतियोगिता -21-Jul-2022 बरखा रानी को आव्हान
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-बरखा रानी को आव्हान
बरसो रे बरखा रानी ,
बरखा रानी बरखा रानी,
दिखा रही हो तुम मनमानी,
कर रही हो आनाकानी।
क्यों हमें इतना सता रही,
सूरज दादा बढा रहे हैं ताप,
कर रहा गर्म गोले की बरसात,
अंगारे बन बैठे हैं शोले।
खेत खलियान में पड़ गया सूखा,
हे बरखा रानी! अब तू बरस जा,
नहीं रहा पीने को पानी,
धरती माता कर रही त्राहि-त्राहि ।
सूरज दादा का है ये प्रकोप,
अब नहीं सहा जाता हमसे ओर,
छीन लिया हमसे बदन के चिथड़े, मुख का कोर,
चारों तरफ है अकाल का प्रचंड घोर,
कैसे सहे अब हम ओर।
कर रहे है मेघ राजा को आव्हान,
कर रहे हैं सब गुहार,
जल्दी करो तुम बरसात,
सबके मुख पर आये खिलखिलाहट।
धरती माता को मिले जल,
हो जाए भूमि तृप्त,
कुएं ,नलकूपों में हो पानी का भरण,
सूरज दादा की तपन से मिले हमें ठंडक,
हे बरखा रानी! बन हमारे जीवन की रक्षक।
चारों तरफ को हरा भरा जंगल।
सब जगह हो मंगल ही मंगल।।
Mithi . S
22-Jul-2022 02:17 PM
Bahot sunder
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Abhinav ji
22-Jul-2022 07:32 AM
Very nice👍
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Reyaan
21-Jul-2022 11:52 PM
बहुत खूब
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