shweta soni

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किताब

सोच रही हूं तुझ पर  , मैं एक किताब लिख दूं । 

किताब के हर पन्नों में , तुझे मेरा लिख दूं । 

कागज के उन पन्नों में , प्यार तुझे क्या लिख दूं मैं ! 
तुझे हर अक्षर में , मोती बना कर पन्नों में क्या भर दूं मैं ! 

मेरी एक ही तो हसरत हैं , कि तुझे किताब बना कर , 
पास अपने रख लूं मैं और उस , किताब को सिरहाने अपने सजा लूं मैं।‌ 

सुन कर मेरी बातों को  , गर तू नाराज़ हुआ ।
प्यार की उन बातों को , कांटे फिर मैं लिख दूंगी । 

सुबह की किरणों को , पैगाम तुम्हारा लिख दूंगी ।
किताब के हर पन्नों में , नाम तुम्हारा लिख दूंगी ।

तेरे चेहरे पर आई मुस्कुराहट को , प्यार मेरा , मै कह दूंगी । 
तेरे हर बातों को , प्यार तुम्हारा लिख दूंगी । 

तेरे आंखों में आई नमी को , फ़िक्र मेरा मैं लिख दूंगी । 
अपने किताब के हर पन्नों में , नाम तुम्हारा लिख दूंगी । 

इस मौसम की पहली बारिश को , पैगाम तुम्हारा लिख दूंगी ।
मैं तेरी हूं सिर्फ़ तेरी  , तुझसे आज कह दूंगी ।‌‌
किताब के हर पन्नों में , प्यार तुम्हारा लिख दूंगी । 

 

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16 Comments

Madhumita

25-Jul-2022 06:29 PM

बहुत ही सुन्दर

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नंदिता राय

25-Jul-2022 04:33 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Shnaya

25-Jul-2022 03:42 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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