लेखनी प्रतियोगिता -26-Jul-2022 वतन के लिए चल पड़े मुसाफिर
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-वतन के लिए चल पड़े मुसाफिर
विषय- मुसाफिर
विधा-गीत
वतन के लिए... ..चल पड़े हैं मुसाफिर,
हाथ में हाथ डालकर,
कदम से कदम मिलाकर,
तन मन करने चले न्योछावर।
भारत मां के हैं वो... नौजवान,
धरती मां के हैं ... रणबांकुरे,
अपनी मां के है ....लाडले,
तीनों मां का चला कर्ज़ चुकाने।
कभी नहीं भूल पाएंगे।।
वतन के लिए ....चल पड़े हैं मुसाफिर।
तीनों मां का निभाया फर्ज,
रक्त से सींचा... रज,
दिया भारत मां को अपना तन,
हो गये उनके सर कलम।
वतन के लिए .....चल पड़े मुसाफिर।
मना रहे हैं आज आजादी,
पूरा देश बना फरियादी,
दे रहा है श्रद्धांजलि,
तीनों सेना दे रही सलामी।
वतन के लिए ....चल पड़े मुसाफिर।
कारगिल विजय दिवस है आज,
पूरा भारत कर रहा याद,
गगन में भी हुई आंसुओं की बरसात,
गीला हुआ भारत मां का आंचल,
मेरी मां भी ना सोई दिन रात।
वतन के लिए ....चल पड़े मुसाफिर।
तुम थे देश के फौजी,
रक्त की खेली थी होली,
चलो करे उनको याद,
इतने दिया जलाए आज,
दे हम उनको सम्मान,
जो थे तीनों मां के अभिमान।
वतन के लिए... चल पड़े मुसाफिर।
किया पाकिस्तान को अलग,
आजादी का जगाया अलख,
भारत मना रहा, आजादी का जश्न,
सब कर रहे उनको नमन,
गूंज रहा है एक ही स्वर,
जहां भी हो तुम .... मिले तुमको अमन,
क्योंकि तुम हो भारत की धड़कन।
वतन के लिए ...चल पड़े मुसाफिर,
हाथ में हाथ डालकर,
कदम से कदम मिलाकर
तन मन करने चले न्योछावर।
वतन के लिए...३
चल पड़े..... मुसाफ़िर।
कारगिल विजय दिवस पर उन सैनिकों को जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया उन को मेरी रचना द्वारा श्रद्धांजलि। शत शत नमन करते हैं हम उनको, आजादी का दिवस आज हमने मनाया।
Aniya Rahman
27-Jul-2022 10:17 PM
Nyc
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नंदिता राय
27-Jul-2022 07:38 PM
बहुत खूब
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Reyaan
27-Jul-2022 06:14 PM
शानदार
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