कौन है वो – ११
कौन है वो – ११
Dr. विशाल ने धीरे से अपनी पत्नी के कंधे पर हाथ रख कर इशारा किया, उनका इशारा समझ कर Dr. राधा, मालती के कमरे से बाहर निकल कर आ गई, अन्य डॉक्टर भी उनके पीछे पीछे कमरे से निकल आए।
राधा के मन में सवालों के कई बवंडर उठ रहे थे, पर शायद अभी उस दुखी महिला को परेशान करना ठीक नहीं रहेगा, वक्त गहरे से गहरा जख्म भी भर देता है.... आज नहीं तो कल मालती का दुख उसकी तकलीफ जरूर कम होगी। उन्हें पूरा यकीन था, कि जरूर पति पत्नी के बीच कुछ मन मुटाव के चलते वो इस अवस्था में घर छोड़ कर निकल पड़ी। कुछ ही दिनों में उसे अपना घर अपने पति की याद आयेगी तो वो खुद ही उन्हें अपने पति या परिवार वालों को खबर करने को बोल देगी।
हैलो.... Dr राधा,..... कहां खो गई तुम.... चलो राउंड पर भी तो चलना है... Dr. विशाल की मुस्कुराती हुई आवाज ने राधा को उसकी विचारों की दुनिया से बाहर निकाल दिया।
वो झेंपते हुए बोली, हां.... हां.... चलो उधर ही तो जा रहे हैं।
हां कदम तो चल रहे हैं पर देखता हूं, तुम्हारा ध्यान अभी भी मालती में ही अटका हुआ है, Dr. विशाल ने कहा।
हां, सही कहा आपने.... मुझे उसकी आंखों में बहुत दर्द झलकता दिखाई दिया.... पता नहीं क्या सहा है उसने.... शायद दहेज के लिए परेशान किया होगा या कुछ और.... वरना एक शादी शुदा लड़की जिसकी कोख में उसके पति का बच्चा पल रहा हो, यूं तूफानी रात में सुनसान सड़क पर अकेली क्यों होगी, Dr राधा ने एक गहरी सांस भरते हुए कहा।
हां, शायद बहुत दुख झेले हैं बेचारी ने.... चलो, अभी तो अपना काम निबटा लें... अभी तो वो कहीं जा नहीं रही 4/5 दिन तक, आराम से उससे पूछ लेना, Dr. विशाल बोले।
हम्म्म.... सही कहा... चलो अब थोड़ा काम कर लें....राधा ने अपने कदमों में थोड़ी तेजी भरते हुए कहा।
हर रोज सुबह शाम Dr राधा कम से कम एक बार मालती से मिलने जरूर जाती, मालती की हालत में लगातार सुधार आता जा रहा था, अस्पताल की संतुलित व पोष्टिक खुराक ने शीघ्र ही उसकी शारीरिक कमजोरी को भी दूर कर दिया था, अब वह सुबह शाम घूमने भी लग गई थी, अस्पताल में हुए टेस्टों से पता चल रहा था कि उसकी कोख में पल रहा भ्रूण भी बहुत सामान्य रूप से विकसित हो रहा था।
करीब एक हफ्ता हो चुका था मालती को अस्पताल में आए, उसके और राधा के बीच एक अनकहा सा आत्मीय संबंध पनपने लगा था।
पर फिर भी, अभी तक उसने राधा को अपने बारे में अधिक कुछ नहीं बताया था।
जब भी राधा उससे उसके अतीत या घर वालों के विषय में कुछ पूछती तो वो बस रो पड़ती और कहती मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है।
आज मालती को अस्पताल से छुट्टी मिल गई, अब उसके सामने एक बड़ा सवाल खड़ा था, वो अपनी कोख के बच्चे को लेकर कहां जाए।
ससुराल और मायका तो वो पहले ही खो चुकी थी, नाते रिश्तेदार भी सिर्फ नाम के थे, कोई भी उसको शायद पनाह न दे, ऐसे में वो क्या करेगी? कहां जायेगी? कैसे गुजर बसर होगी?
ऐसे न जाने कितने सवालों के सांप उसे डंस रहे थे और उनके उठे हुए फन कुचलने के लिए उसके पास कोई रास्ता कोई हथियार नहीं था।
ऐसे में एक बार फिर, राधा उसके लिए एक सहारा एक संबल बन कर खड़ी हो गई।
Dr राधा ने ही उस से पूछ लिया, अब बताओ मालती, अब तुम पूरी तरह से स्वस्थ हो, क्यों न मैं तुम्हारे पति या फिर परिवार वालों को खबर कर दूं , वो तुम्हें आकर ले जाएं।
पर इस बार मालती रोई नहीं, पर उसकी आवाज का भारीपन सबको महसूस हो रहा था, डॉक्टर आंटी, अब मेरा इस दुनिया में कोई ठिकाना नहीं है, मेरे मायके वालों ने मुझ से उसी दिन रिश्ता तोड़ दिया जिस दिन मेरी शादी हुई और ससुराल में अब केवल मेरे पति हैं जो मुझ से इतनी नफरत करते हैं कि उन्हें इस बात से भी इंकार है कि मेरी कोख में पलने वाली संतान उनकी ही है।
ये एक लंबी कहानी है, बस इतना समझ लीजिए इस संसार में अब मेरा और मेरी कोख के बच्चे का कोई परिवार नहीं है ना ही कोई रिश्ता है।
तो तुम अब कहां जाओगी, मुझे हमेशा लगता था, शायद तुम्हारे और तुम्हारे पति के बीच कोई झगड़ा हो गया होगा जिस की वजह से तुम ने गुस्से में अपना घर छोड़ दिया। पर ये तो बहुत गंभीर समस्या है, Dr राधा बोली, तुम ऐसा करो फिलहाल के लिए तुम मेरे साथ हमारे घर चलो, हमारे बंगलो में एक आउट हाउस है जिसमें कोई रहता नहीं, में तुम्हारा रहने का इंतजाम वहीं कर देती हूं।
पर....... Dr आंटी, आपके पहले ही मुझ पर कई अहसान हैं, मैं कैसे उन सब को उतार पाऊंगी, मुझे जाने दीजिए, मैं कुछ न कुछ इंतजाम कर ही लूंगी, मालती बोल पड़ी।
आंटी कह कर पराया तो मत करो, मैं भी तुम्हारी मां जैसी ही हूं ना, वैसे भी इतना बड़ा घर खाली पड़ा है तुम रहोगी तो घर संभालने में मेरी मदद ही करोगी और मेरा भी मन लगा रहेगा। मैने विशाल से भी बात कर ली है इस बारे में, और फिर दिन में तुम हॉस्पिटल में कुछ मदद कर देना, हमको यहां भी बहुत सारे लोगों की जरूरत है, डॉक्टर राधा ने कहा।
जी...... कहते कहते एक बार फिर मालती कि आंखों से गंगा यमुना बह निकली, पर ये आंसू दुख के नहीं खुशी के थे.... ईश्वर ने एक बार फिर दो फरिश्तों को उसकी मदद के लिए भेज दिया था.........!!
क्रमश:
आभार – नवीन पहल – २६.०७.२०२२ 🙏🙏
# नॉन स्टॉप 2022
Aniya Rahman
27-Jul-2022 10:17 PM
Nyc
Reply
नंदिता राय
27-Jul-2022 07:37 PM
बहुत खूब
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Khushbu
27-Jul-2022 07:18 PM
V nice
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