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गुमनाम हो गये हैं हम

जिस दिन से तेरा नाम लेने मे नाकाम हो गये हैं हम। 

अपने ही शहर की गलियों मे गुमनाम हो गये हैं हम।

अब कोई नहीं उठाता है हमको तो मयकशी के लिये,
तेरे हाथों से टूटकर, अब टूटे हुये जाम हो गये हैं हम।

जब हम थे  चढ़ते सूरज, सलाम कहने वाले बहुत थे,
अब  कोई नहीं  करीब है, ढलती शाम हो गये हैं हम।

वो दिन गये कि जब दिल में हम रहते थे राज़ बनकर,
अब नहीं हैं खास किसी के, बात आम हो गये हैं हम। 

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13 Comments

Khan

28-Jul-2022 11:53 PM

😊😊

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Rahman

28-Jul-2022 10:57 PM

Osm

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Saba Rahman

28-Jul-2022 09:18 PM

Nice

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