Add To collaction

मेरी कलम

लिखती है स्याही में डूबकर
मेरे जीवन के सभी अनुभवों को
कभी प्रश्नों के उत्तर तो
कभी कल्पना के भाव विग्रहों को।

दुख से लक्षित इस जीवन में
सुख की खोज में निकली हुई
कागज पर उतारती है जीवन
यूँ मौन धारण किये हुए।

न किसी से कुछ कहती, न सुनती
बस बढ़ती जाती है भावों की पराकाष्ठा तक
अनुभवों की अग्नि में झुलसते हुए
विरह में जलते हुए संग्रह समाप्ति तक।

जीवन के हर मोड़ पर, जब कोई साथ न हो
याद आती है वो कलम, हर घड़ी है साथ मेरे
कागज पर उतारते हुए जीवन की तस्वीर को
पड़ी हुई है, स्याहियों में, सूखी हुई कलम मेरी!

#MJ
#प्रतियोगिता

   11
7 Comments

Niraj Pandey

07-Aug-2021 01:15 PM

वाह बहुत खूब👌👌

Reply

Seema Priyadarshini sahay

07-Aug-2021 11:04 AM

बहुत खूब

Reply

धन्यवाद

Reply

Shaba

07-Aug-2021 08:40 AM

मन के भावों को उकेरती हुई शानदार रचना।

Reply

Shukriya

Reply