मेरी कलम
लिखती है स्याही में डूबकर
मेरे जीवन के सभी अनुभवों को
कभी प्रश्नों के उत्तर तो
कभी कल्पना के भाव विग्रहों को।
दुख से लक्षित इस जीवन में
सुख की खोज में निकली हुई
कागज पर उतारती है जीवन
यूँ मौन धारण किये हुए।
न किसी से कुछ कहती, न सुनती
बस बढ़ती जाती है भावों की पराकाष्ठा तक
अनुभवों की अग्नि में झुलसते हुए
विरह में जलते हुए संग्रह समाप्ति तक।
जीवन के हर मोड़ पर, जब कोई साथ न हो
याद आती है वो कलम, हर घड़ी है साथ मेरे
कागज पर उतारते हुए जीवन की तस्वीर को
पड़ी हुई है, स्याहियों में, सूखी हुई कलम मेरी!
#MJ
#प्रतियोगिता
Niraj Pandey
07-Aug-2021 01:15 PM
वाह बहुत खूब👌👌
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Seema Priyadarshini sahay
07-Aug-2021 11:04 AM
बहुत खूब
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मनोज कुमार "MJ"
07-Aug-2021 12:01 PM
धन्यवाद
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Shaba
07-Aug-2021 08:40 AM
मन के भावों को उकेरती हुई शानदार रचना।
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मनोज कुमार "MJ"
07-Aug-2021 12:01 PM
Shukriya
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