Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -28-Jul-2022 सूखे पेड़ की सीख

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-सूखे पेड़ की सीख
विषय-पतझड़

बैठी थी मैं एक पेड़ के नीचे
थी मैं, मायूस और उदास

छलक उठे आंखों से आंसू
आंखें में  थी उदासी,
जैसे पतझड़ बनी हो जिंदगानी।

सोच नहीं पा रही थी कुछ,
बैठी थी, इस पेड़ के नीचे,
आयी उस पेड़ से एक आवाज,
क्यों बैठी हो तुम उदास।

इतने प्यारे चेहरे में, क्यू छाई है मायूसी,
क्यू  नम हैं आंखें तुम्हारी,
कहां मैंने उसे, कोई  नहीं लगता अपना मुझे।

कहां पेड़ ने  उसे,
देखा है तूने मुझको,
कल तक था मैं हरा भरा,
आज नहीं है एक भी पत्ता।

ऐसे ही खड़ा हूं एक ठूंठ की तरह,
जिंदगी में आते हैं उतार-चढ़ाव,
नदी की लहरों की तरह है।

देखो तुम मुझे,
मैं कल भी चमकता था, 
और आज भी चमकता हूं।

कल तक मेरे पास आते थे, बहुत लोग,
आज एक भी नहीं आते,
फिर भी मैं अकेला नहीं हूं,
सूरज ,चांद ,प्रकृति है मेरे साथ,
शीतलता बनाए रखें अपने साथ।

कल जो पत्ते थे वह नहीं है आज,
आज मेरे साथ बूंदे हैं ओस की,
मानो ऐसे लगता है, जैसे पिरोए हो मोती।

चलते रहागीर को अब देते हैं दिखाई,
देख मोती को  बोला राहगीर,
लग रहा है कितना सुंदर,
बड़ा अद्भुत है यह दृश्य।

जिंदगी में ना हो तुम कभी मायूस,
यह दुनिया का है नजरिया,
जो समय पर रहता है बदलता,
यही तुम्हारे लिए है प्रेरणा।

आगे बढ़ते चलो,
पीछे मुड़कर ना देख पथिक,
लौट आएगा कल,
आगे बढ़ते रहो तुम।
कल का कर इंतजार तू।।

ना घबरा तू इस पतझड़ से,
जीवन में आता है दोबारा बसंत
भर जाएंगे तेरे जीवन में रंग

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13 Comments

Gunjan Kamal

30-Jul-2022 12:56 PM

बहुत खूब

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Seema Priyadarshini sahay

29-Jul-2022 05:12 PM

Well done 👍

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shweta soni

29-Jul-2022 11:17 AM

Nice 👍

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