Madhu Arora

Add To collaction

पतझड़

पतझड़ 

चले गए आप तो साथ गई मुस्कान प्रिय ,
उल्लास जीवन से गया हंसी  गई संग प्रिय।
मुस्कुराते आज भी खिलखिलाहट गुम हुई,
बसंत लगे पतझड़ सा प्रिय फूलों में सुगंध नहीं।

चले गए आप तो साथ गई मुस्कान प्रिय।

याद तुम्हारी आती प्रियवर मन लगता अब कही नही,
छप्पन भोग भी फीके लगते स्वाद भाता नहीं प्रिय।
मन  बहुत उदास है तुम बिन कोई भाता नहीं,
वक्त बड़ा मुश्किल में हैं कांटे अब यह कटता नहीं।

चले गए आप तो साथ गई मुस्कान प्रिय।

आंखों से नीर बहे हरदम मन भी लगता कहीं नहीं,
उलझन भीतर बहुत है चलती ,याद तेरी सताती हरदम।
दूर गए हो साजन जब से मन मेरा बहुत उदास प्रिय,
शीघ्र निकट आ जाओ अब तो देर ना करो प्रिय।

चले गए आप तो साथ गई मुस्कान प्रिय।

आकर हृदय से लगाओ मन तृप्त हो जाए,
याद तुम्हारी आती हरदम कैसे हाल तुम्हें समझाए।
मन में एक उदासी छाई कैसे अपनी व्यथा सुनाए,
मन तुम बिन अब लगता नहीं पास बुला लो अब तो अपने।

चले गए आप तो साथ गई मुस्कान प्रिय।।
            रचनाकार ✍️
            मधु अरोरा
        28.7.2022
 

   22
12 Comments

Tariq Azeem Tanha

29-Jul-2022 08:42 PM

शानदार

Reply

Khan

28-Jul-2022 11:11 PM

Osm

Reply

Rahman

28-Jul-2022 10:45 PM

Osm

Reply