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लेखनी कहानी -28-Jul-2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 6



आइये  अब आपको ले चलते  है  इस धारावाहिक  की नायिका की ज़िन्दगी की और पहाड़ो के बीच  आइये जानते है  उसका ज़िन्दगी को लेकर क्या नज़रया  है ।


शाम  का समय  था। हरी किशन जी का घर लोगो से भरा  था  दरअसल  उनके दोस्त दीनानाथ का परिवार  वहा  आया  हुआ था ।

"हिमानी बेटा चाय  ले आओ  देखो  सब  लोग तुम्हारे हाथ की बनी चाय  का इंतज़ार  कर  रहे  है , अब इस इंतज़ार को ख़त्म भी करदो  " हिमानी की माँ वैशाली जी ने कहा


हिमानी घबराते  हुए  रसोई से बोली " जी माँ अभी ला रही हूँ बस  दो मिनट  "

"भव्या  वो ट्रे तो पकड़ाना जरा  और वो चाय छन्नी भी  पकड़ा  देना जरा  " हिमानी ने अपनी छोटी बहन भव्या  से कहा

भव्या  दोनों चीज़े  पकड़ाते हुए बोली " ये लीजिये दीदी "

बाहर  से काफी हसने की आवाज़े आ  रही  थी ।

"सब  लोग बहुत  खुश  है  आज  " भव्या  ने कहा

"हाँ, सब  लोग बहुत  खुश  है, शिव  जी की किर्पा से " हिमानी ने कहा

"सब  खुश  है , बस तुम्हे छोड़  कर दीदी " भव्या  ने कहा

"तुझसे  किसने कहा, कि मैं खुश  नही हूँ और खुश  कैसे होते है  " हिमानी बोली

"दीदी आपका  चेहरा  और आँखे बता  रही है  कि आप  इस रिश्ते से खुश  नही है  बस  आपने  माँ पिता जी का मान रखने के लिए  पापा के दोस्त के बेटे से शादी के लिए  हाँ कह  दी है  जो आपके  बिलकुल भी  लायक  नही है  ना ही रंग  रूप में और ना ही सीरत  और पढ़ाई में " भव्या  ने कहा


"हट  पगली  केसी बाते कर  रही  है , सुरेन्द्र अच्छा लड़का  तो है  " हिमानी ने नज़रे  चुराते  हुए कहा

"दीदी आप  नज़रे  चुरा  रही हो, अगर सुरेन्द्र इतना ही अच्छा है  तो मेरी आँखों में आँखे डाल कर  कहे  और बताये कि आप  उससे शादी के लिए इसलिए राज़ी हुयी हो क्यूंकि पापा को दहेज़ ना देना पड़े  क्यूंकि उनके हालात नही है  कि वो आपको ढेर  सारा दहेज़  देकर इस घर से रुक्सत कर  सके  अगर आपको दहेज़  दिया तो उनके पास मुझे  देने के लिए  कुछ  भी  नही बचेगा  ये घर  भी नही और अभी कार्तिक भी छोटा  है।


आप  हम  सब  के लिए  आपसे  दुगनी उम्र के लड़के  से शादी करने के लिए राज़ी हो गयी  क्यू दीदी क्यू, इतनी बड़ी क़ुरबानी क्यू " भव्या  ने कहा

हिमानी अपनी छोटी बहन  के मुँह से इस तरह की बाते सुन बोली " मुझे  अच्छा लगा  तेरे मुँह से ये सब  सुन कर  अगर तू  ये सब  जानती है  तो क्यू मुझसे  पूछ  रही  है  तू तो जानती ही है  पापा ने हमें हक़  हलाल  की कमाई से पाला पोसा है , उन्होंने कभी भी  कोई बेईमानी नही की ईश्वर  के काम में.

जो कुछ  भी  सच्ची आस्था  से उन्हें मिल गया  पूजा  पाठ से उन्होंने वो सब  हम पर खर्च  कर  दिया हमें पढ़ाया  लिखाया  इस काबिल बनाया  की हम  दोनों अपने पेरो पर  खड़ी हो सके ।


पहाड़ो पर  जीवन  इतना आसान  नही होता हर  साल मानसून  के दिनों में कितना नुकसान उठाना  पड़ता  है  हम  सब  को लेकिन देखो शिव  जी की किर्पा से हम  सब  एक साथ  है ।

पिताजी के पास इतनी धन दौलत  नही है  की वो हम  दोनों को बराबर  बराबर का दहेज़  देकर अपने आँगन  से डोली में बैठा  कर विदा कर  सके। हमारे  अलावा उनका एक बेटा भी  है  जिसके बारे में भी  उन्हें ही सोचना  है। अब अगर ऐसे में सुरेंदर  के घर  वालो ने मेरा हाथ  मांग लिया है  और वो भी  बिना किसी दहेज़  के तो बुरा ही क्या है  कम से कम एक बेटी के दहेज़ का बोझ  तो पिताजी के कांधो से कम हो जाएगा "



"दीदी सिर्फ दहेज़  के खातिर  तुम सुरेन्द्र से शादी करने  के लिए  राज़ी हो गयी हो। तुम्हारे कोई ख्वाब कोई अरमान नही है , तुमने कभी  नही सोचा था   की कोई सफ़ेद  घोड़े  पर  बैठ  कर  सात समंदर  पार से आएगा  और तुम्हे अपने साथ अपनी दुल्हन बना  कर  ले जाएगा। जिसे तुम पसंद  होगी और तुम्हे वो पसंद  होगा।


क्या सिर्फ दहेज़  के खातिर  तुम अपनी ज़िन्दगी की बाग डोर ऐसे शख्स  के हाथ में दे दोगी जो तुमसे दो गुनी उम्र का है  और चाह  कर  भी  तुम उससे कभी  प्यार नही कर  सकती । दीदी अभी भी  समय  है  इतनी बड़ी  क़ुरबानी मत  दो हमारे  लिए  जो हम  ज़िन्दगी भर  अपने आप  को तुम्हारे सामने छोटा  समझते  रहे  " भव्या  ने कहा


"अरे पागल  हो गयी  है  क्या, ये किस तरह की बाते कर  रही  है  और मैं कोई क़ुरबानी नही दे रही  किसी के लिए  मैं तो बस माँ  पिताजी के कांधो का बोझ  हल्का कर  रही  हूँ।

और रही  बात पसंद  नापसंद और मोहब्बत की वो शादी के बाद हो ही जाती है । मेने अपना सब कुछ  शिव  जी पर छोड़  दिया है  मेरी उनमे अटूट  आस्था  है  और वो कभी मेरी आस्था  उनपर  से टूटने  नही देंगे।


और रही  बात मेरे अरमानो और ख़्वाबों की, कि कोई राजकुमार मुझे  डोली में बैठा  कर  लेने आएगा  तो ऐसे ख्वाब ना मेने कभी  देखे  और ना देखना  चाहूंगी ।

क्यूंकि जब  ख्वाब टूटते  है  तो सिर्फ आँख  ही नही रोती दिल भी  रोता है । मेरी बहन  हम  एक मध्यम परिवार  में पली बड़ी लड़कियां है  जिन्होंने दुख  दर्द और तकलीफे  बड़ी  नजदीक  से देखी  होती है । और हम  लोग तो पहाड़  पर रहते है  हम  लोगो का संघर्ष  तो पठार पर  रहने  वालो से कही ज्यादा होता है ।


हम  तिनका तिनका जोड़ कर  घर  बनाते  है  और हर  साल कभी  तेज बारिश , कभी  मानसून का बदलता  रुख  तो कभी  बर्फ बारी हमारे उस घर को जिसे हमने  इतनी मेहनत से खड़ा  किया होता है  पल  भर में तहस नहस कर  जाता है ।
और फिर  हम  दोबारा मन में ईश्वर कि आस्था  लिए  अपना घर  दोबारा बनाते  है  इस उम्मीद के साथ  की इस बार कुछ  नही होगा

और तो और कई  बार तो भूखा  ही सोना पड़ता  है  क्यूंकि बाहर  मौसम  ख़राब  हुआ होता है  अब तू  ही बता  ऐसे घरों की लड़कियों की आँखों में क्या राजकुमार के सपने आएंगे  और अगर आ  भी  गए  तो क्या राजकुमार उनके इस टूटे  फूटे  घर से उनको ब्याह कर  ले जाएंगे।


मेरी बहन  चाँद  खूबसूरत सब  ही को लगता  है और सब  उसे हासिल करना  चाहते  है  लेकिन उस तक  पहुंचने का रास्ता बहुत  कठिन  है । इसलिए  ऐसे ख्वाब मत  देखो  जिनके टूटने  पर  खुद को ही चोट  पहुचे  अब चल  चाय  लेकर चलते  है  वरना  माँ दोबारा आवाज़  दे देगी "हिमानी ने कहा


"दीदी तुम चाहे  कितना ही खुद  को समझा  बुझा  लो लेकिन देखना मुझे  यकीन  है  की कोई ना कोई तो ज़रूर  होगा जो तुम्हे अपनी राजकुमारी बना  कर  ले जाएगा और जिसे तुम पसंद  होगी और वो तुम्हे पसंद  होगा और तुम दोनों के बीच  की डोर का नाम मोहब्बत होगा जो तुम दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए  भरपूर  होगी जिसके सहारे  तुम अपनी ज़िन्दगी बा आसानी गुज़ार सकोगी । वो रिश्ता किसी दहेज़  नुमा समझौते  पर  नही टिका होगा " भव्या  ने कहा

"चल अच्छा बुनती रह इस तरह के सपने मेरे लिए पर अभी तो बाहर चल मेहमान बाहर बैठे हमारा इंतज़ार कर रहे है " हिमानी ने कहा


आगे की कहानी जानने के लिए पढ़िए अगला भाग  





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11 Comments

Khushbu

30-Jul-2022 05:19 PM

शानदार

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Gunjan Kamal

30-Jul-2022 01:01 PM

शानदार

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Khan

29-Jul-2022 11:16 PM

😊😊😊

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