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खामोशियां

ये खामोशियाँ कुछ तो कहती है
यूँ ही नही यहां इतना शोर है
तुम क्यों हो सन्नाटे में अब भी
अब तो गम में भी मुस्कुराने का दौर है
हो सके तो मुस्कुरा के दिखा
अपने संग औरों को हँसा के दिखा
रोने लगे तेरे संग ये सभी
गम का दरिया ऐसा बहा कर दिखा
दर्द है मगर दर्द छिपाने का दौर है
मालूम है सब फिर भी आजमाने का दौर है
ये "खामोशियाँ" है भले ही मगर
खामोश रहकर भी शोर मचाने का दौर है।

#MJ



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