Mamta tiwari

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तबाही





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तबाही तुम मचाये थे मुहब्बत तोड़ जायें क्या।
वही तनहाइयाँ शातिर फ़साना हम सुनायें क्या।

बहानेबाज हो अच्छा कवायद खूब की तुमने
तसल्ली है नही दिल को बहाने हम बनायें क्या।

किनारा कर गये लेकिन वहाँ मझधार ही ना थे
सहारा फिर तुझे दे दूं दुबारा और आयें क्या।

गवाही ले मुहब्बत से मुहब्बत से जरा ज्यादा
किया हमने मुहब्बत है गवाही और लायें क्या।

तिरी यादें बड़ी है बेअदब आती बिना दस्तक
इसे नज़रे चुराना तुम नही अब तक सिखायें क्या।

लगा ठोकर वफ़ा  को ही वफ़ा के गीत गाते हो
चलो तुमको दिखाये चीज़ होती है वफायें क्या।

समाये रूत सारे तुम हवा भी तुम घटा भी तुम
जरा किरदार मौषम का हम भी निभायें क्या।

नसीहत मानता कैसे फ़जीहत जो करानी हो
भला बीमार को लगती कभी मीठी दवायें क्या।

वहाँ रुखसार ज़ुल्मत स्याह गहरा छा रहा ममता
बता करने रुखे रौशन जरा दिल फिर जलायें क्या।

_________ममता तिवारी-----

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15 Comments

Mithi . S

01-Aug-2022 03:49 PM

Nice

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Punam verma

01-Aug-2022 09:32 AM

Very nice

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Abhinav ji

01-Aug-2022 09:04 AM

Nice

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