kanchan singla

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मां

आज एक मन्नत का धागा बांधा है हमने
उनके लिए जो है सबसे खास
मां से भी कोई खास होता है कभी ।।

मां के आंचल में होती है
एक पूरी सी दुनियां
सारी खुशियां और सारे गम
हमारे शिकवे और शिकायतें हर दम।।

मां ममता की गागर है
झांको तो पूरा सागर है
एक एक बूंद से टपकता
इसके प्यार का अमृत है।।

मां बस मां है
मां है तो सब है
मां नहीं तो कुछ भी नहीं है।।

लेखिका - कंचन सिंगला 
लेखनी प्रतियोगिता -31-Jul-2022

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11 Comments

Seema Priyadarshini sahay

01-Aug-2022 05:09 PM

Nice post 👌👌

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Raziya bano

01-Aug-2022 02:00 PM

Nice

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Shnaya

01-Aug-2022 10:30 AM

शानदार

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