लेखनी प्रतियोगिता -01-Aug-2022 मित्रता
इश्वर का है एक नियम जो भी संसार में आया,
अपने जीवन के पथ पर अपना साथी है पाया।
सहयोगी का है महत्व यात्रा के हर एक क्षण में,
सम्मिलित प्रेम या खुशी में हो या चाहे रण संकट में।।
जिसने जैसे कर्म किए हैं दृष्टि वाक और मन से,
उसी भाव में पड़ते हैं सुख और दु:ख उसके तन पे।
कर्मों के बल पर ही मिलते हैं सबको सहयोगी ,
कुछ देते सुख दुख में साथ किंतु कुछ बस सुख भोगी।।
मिलता है जैसा साथी जीवन वैसा बन जाता है,
योग्य हुआ तो स्वर्ग अन्यथा नर्क तुल्य खल जाता है।
अच्छा साथी हो यदि तो जीवन सुखमय बीहड़ वन में,
मिले दुष्ट सहयोगी तो फिर सुख क्या इंद्रभवन में।।
हरता जैसे सूर्य जगत के दुख कारक उस तम को,
सच्चा ओ है सहयोगी जो हरले साथी के ग़म को।
होते हैं जो अति विनम्र ओ उनका साथ ही देता है,
उनके सारे दुख हरकर उनको उबार लेता है।।
है हिम्मत यदि अगर किसी में वह पीड़ित दिल में झांकें,
जो चाहे सुख मात्र हमेशा केवल उनका दुख बांटे।
शोक सिंधु को सोख पुनः हर्षामृत जो नर छलकाता,
अपने जीवन में वही मनुज उत्तम सहयोगी पाता।।
अपना कर्म सदा बनता है अपना ही सहयोगी,
अच्छा देता साथ बुरा बन जाता है प्रतिरोधी।
सुंदर कर्म सदा करते हैं सुख दुख व्यास समास,
मानव बनता बुरे कर्म से घृणित और उपहास।।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
02-Aug-2022 11:11 PM
Woow लाजवाब
Reply
shweta soni
01-Aug-2022 11:51 PM
Nice post
Reply
Gunjan Kamal
01-Aug-2022 06:14 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
Reply