Punit shrivas

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घर की एक दास्तां

जिस्म का सारा रक्त मुफ़लिसी निचोड़ चुकी थी मेरा ll

घर की जिम्मेदारी बच्चपन तोड़ चुकी थी
 मेरा ll
 माँ ने चावल मोल का नही मांग के लाया है,
क्योंकि गुल्लक तो वो कबका फोड़ चुकी थी 
मेरा ll

पुनीत कुमार

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