Saurabh Patel

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Aug-2022 आलम-ए-जज़्बात


तुम्हारे दिल में तो बस एक बात रह गई
हमसे पूछो हमारी तो सारी की सारी मुहब्बत रह गई

कर रहे थे हम दोनो आपस में कुछ ऐसी मुलाकातें
कि हर बार मुलाक़ातो में मुलाक़ात रह गई

ज़वानी के दिन उपर से ये शराफ़त का पर्दा
आज तक प्यासी हमारी नियत रह गई

इस बेमौसम बारिश से तुम्हें क्या शिकायत है
वही बारिश तो बरस रही है जो पिछले बरसात रह गई

बेशक ये ज़माना तुझे भूल जाएगा एक दिन "सौरभ" 
मगर कहेगा जरूर कि अभी भूलने को उसके कलम की करामात रह गई।

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12 Comments

Raziya bano

03-Aug-2022 08:54 AM

Beautiful

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Saurabh Patel

03-Aug-2022 02:41 PM

Thanks

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Punam verma

03-Aug-2022 07:49 AM

Nice

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Saurabh Patel

03-Aug-2022 02:40 PM

Thanks

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Abhinav ji

03-Aug-2022 07:33 AM

Very nice

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Saurabh Patel

03-Aug-2022 02:40 PM

Thanks

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