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ख़ौफ़




मौत के ख़ौफ़ से पहले ही मर गये,
जितने थे बा-गुनाह वो सभी मर गये।

चलते चलते जो उसने कहा अलविदा,
वो चला तो गया हम वहीं मर गये।

अहले-दिल भी मिरे, और मिरे यार भी,
दास्ताँ जिसने मेरी सुनी मर गये।

दम-बा-दम जिते थे याद में हम तिरी,
बात तुमने जो वस्ल की कही मर गये।

मर चुके है लोग जो उनके बाद वो
जो बचे याद कर के वो भी मर गये।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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6 Comments

shweta soni

04-Aug-2022 11:53 AM

Nice 👍

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Khushbu

04-Aug-2022 08:55 AM

👌👏

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Ayshu

04-Aug-2022 06:16 AM

Bahut sundar

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