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लेखनी कहानी -04-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 17



हिमानी, भव्या और श्रुति तीनो मंदिर चली गयी शाम की आरती के लिए। वहा काफी भीड़ थी श्रुति का हाथ हिमानी ने कसके पकड़ा कि कही वो खो ना जाए।

उसने उसका अच्छे से ख्याल रखा मानो वो उसकी बहन हो ये हिमानी और सुबह वाली हिमानी कुछ अलग लगी श्रुति को।

वहा आये सब श्रद्धांलूओ से हस कर मुस्कुरा कर बात कर रही थी। और वहा मौजूद लोग उसे प्यार से आशीर्वाद दे रहे थे।

"भव्या  तुम्हारी बहन ऐसे ही है  हमेशा से क्या " श्रुति ने भव्या से पूछा

"जी मैं समझी नही आपकी बात का मतलब " भव्या ने पूछा

"मतलब ये की जिस हिमानी के साथ आज हम  लोग उस  तस्वीरे लेने गए थे  उस हिमानी में और इस हिमानी में बहुत अंतर है , हम लोगो से तो ये ज्यादा घुल  मिल नही रही थी शायद हमारे साथ लड़के भी थे इसलिए " श्रुति ने पूछा


"मेरी दीदी हमेशा से ही ऐसी है , लेकिन आज  मुझे भी कुछ अजीब लगी दीदी क्यूंकि उनका रावय्या कभी भी सीलनियो के साथ रुड नही होता दरअसल  वो तो सेलनियों को मेहमान समझती है  और हॅस कर बात करती है  लेकिन ना जाने क्यू आज  ऐसी हो रही है , शायद  सुबह वाली बात को लेकर उदास है  जंगल में फूल चुनने के लिए जब वो गयी तब  शायद  किसी शहरी लड़के से उनकी तू तू मैं मैं हो गयी थी शायद  यही वजह  होगी और शायद  इसी वजह  से उन्होंने आज  तुम लोगो को अपना नंबर देने से भी मना किया नही तो वो ज्यादातर लोगो को अपना नंबर दे देती है ताकि सेलानी अगर गुम जाए तो वो उन्हें कॉल कर सके  " भव्या ने कहा

'ओह इसका मतलब तुम्हारी दीदी ऐसी नही है  जैसी हम सोच  रहे थे ये सब  सुबह वाली बात का नतीजा है  " श्रुति ने कहा


"क्या आप  जानती हो सुबह वाली बात के बारे में " भव्या ने पूछा 

हाँ, क्यूंकि वो जो लड़का सुबह तुम्हारी बहन से टकराया था वो और कोई नही मेरा दोस्त हंशित था .


"हंशित वो हरी आँखों वाला हैंडसम सा लड़का  " भव्या ने श्रुति की बात बीच में ही काट कर कहा 

"हाँ, वही हंशित है  हमारा  दोस्त और आज  वही तुम्हारी बहन से मिला था  उस जंगल में और वो दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर गए थे  और नियति तो देखो उसी लड़के को और हमें उसे गाइड करना  पड़ रहा था  ऐसे में तो कोई भी लड़की गुस्सा होगी, मुझे माफ करना मेने ना जाने तुम्हारी बहन के बारे में कैसी कैसी बाते कहदी " श्रुति ने कहा


कोई बात नही, अब तो आपने मेरी बहन का दूसरा  रूप देख  ही लिया वो दरअसल  उसे पापा की मदद  करनी  है  उसकी शा,,,,,,। भव्या  कहती तभी हिमानी वहा  आ  गयी  और बोली


क्या बात है  आप  दोनों तो काफी घुल  मिल गए  एक दूसरे  से

"अरे नही हिमानी बस  वो तुम्हे दिन भर रुड देखा और अब इस तरह देखा  तो बस  पूछ  रही थी कि क्या तुम हमेशा से ऐसी हो " श्रुति ने जवाब दिया


"तो क्या पता  चला  मेरे बारे में " हिमानी ने पूछा

"वही सब कुछ  जो मेने अभी अभी खुद  अपनी आँखों से देखा  कि तुम कितनी अच्छी हो और तुम्हारा दिल भी कितना साफ है  और यहाँ मौजूद लोग तुम्हे कितना पसंद करते है  "श्रुति ने कहा

हिमानी कुछ कहती तब ही उसके माता पिता वहा  आ गए ।


अरे हिमानी और भव्या  तुम यहाँ अभी  तक घर नही गयी । उन्होंने पूछा 

"आप  दोनों का ही इंतज़ार कर  रहे थे  अच्छा इनसे मिलिए ये श्रुति है  यहाँ अपने दोस्तों के साथ  केदारनाथ धाम घूमने आयी है  और यहाँ कि खूबसूरती को तस्वीरो में कैद करने आयी है " हिमानी ने परिचय कराते हुए कहा

श्रुति ने नमस्ते किया।

वैशाली जी ने उसके सर पर हाथ  फेरा  और कहा बेटा जब  केदारनाथ घूम चूको तो हमारे घर जरूर आना  वैसे तुम्हारे दोस्त कहा है  जरूर अंदर होंगे आरती में।

श्रुति को हिमानी कि माँ का स्नेह भरा  स्पर्श बेहद अच्छा लगा  और वो बोली " नही आंटी  वो लोग मंदिर में नही है  वो थक गए थे तो कमरे में चले गए  मैं हिमानी के साथ यहाँ बाबा के दर्शन करने आ  गयी  इसी बहाने आप  से भी मिल ली "


श्रुति कि आँखों में नमी थी उसे उस समय अपनी माँ कि याद आ रही थी जिसे वो बहुत पीछे छोड़  आयी  थी या यूं कहे उसकी माँ ने उसे पीछे छोड़ दिया था ।


हिमानी उसकी तरफ देख रही थी वो समझ गयी  थी कि हिमानी को कुछ हुआ है  वो उससे कुछ  पूछती लेकिन तब  ही हरी किशन जी ने कहा " चलो बेटा अब हमें इज़ाज़त  दो हमें घर जाना है मौसम  भी खराब  हो रहा है  नही पता  कब बारिश हो जाए बेटा घर आना  जाने से पहले तुमसे मिलकर अच्छा लगा "


"जी अंकल जरूर आउंगी और अपने दोस्तों को भी लाऊंगी अच्छा हिमानी कल मिलते है  ठीक  उसी जगह अभी तो तुमने हमें बहुत सी जगह घुमाना है  " श्रुति ने कहा


"बेटा संभाल कर जाना बहुत भीड़ है  कही खो ना जाना " वैशाली जी ने कहा


"खो तो कब कि गयी हूँ ना जाने कब अपनी मंजिल पर पहुँचूँगी " श्रुति ने दिल ही दिल में कहा

और वहा  से रूम कि तरफ  आ  गयी ।


रूम पहुंच कर, श्रुति तुमने तो कुछ ज्यादा ही समय नही लगा दिया दर्शन करने में।

देखो मेने तो सारी तस्वीरे एडिट भी करदी और उन्हें पोस्ट भी कर दिया। हंशित ने कहा


"हाँ, यार बहुत सुकून कि जगह थी आने का मन नही कर रहा था  " श्रुति ने कहा

"ऐसा भी क्या सुकून मिला तुझे वहा  इतनी भीड़ में " हंशित ने पूछा

"बस पूछ मत अच्छा यार वो हिमानी बिलकुल भी वैसी नही है  जैसे वो दिन भर हमारे साथ थी  " श्रुति ने कहा


"क्या मतलब है तेरा इस बात से क्या वो बहरूपि है  जो हमारे साथ कुछ और, और तेरे साथ कुछ और" हंशित ने मज़ाक बनाते हुए कहा


"अरे नही यार मेरे कहने का मतलब है  की वो बस सुबह वाली लड़ाई की वजह से ऐसी थी वरना उसकी बहन बता रही थी और मेने भी देखा की उसका रावय्या लोगो के साथ कितना अच्छा था  उसकी माँ से भी मिली में, उन्होंने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा  और मुझे घर आने का भी कहा " श्रुति ने कहा


"अच्छा, ये बात है  चलो कल देखते है , कल उन मैडम का रावय्या केसा रहता है हमारे साथ  " हंशित ने कहा


"चलो यार मैं अपने कमरे में सोने जा रही हूँ तुम लोगो ने खाना खाया क्या " श्रुति ने पूछा

"हाँ, यार हम  लोगो ने खा लिया तेरा इंतज़ार किया पर तू नही आयी  तू  रिसेप्शन पर कॉल कर के खाना  मंगा ले " हंशित ने कहा


"ठीक  है  अच्छा गुड नाईट " श्रुति ने कहा और चली गयी 


लव, कुश और जॉन सो रहे थे घोड़े बेच कर लेकिन हंशित की आँखों में नींद  नही थी  वो फोटो देख  रहा  था  तब  ही उसे वो पल याद आ  गया  जब  हिमानी पत्थर से फिसल गयी और उसकी बाहो में आ  गयी थी। और वो उसकी उन झील सी आँखों में कही खो सा गया  था ।


उसके चेहरे पर एक अजीब  सी मुस्कान आ  गयी  थी हिमानी को याद करके , वो अपने आप  से बोला हिमानी बहुत  ही खूबसूरत नाम है  जैसा नाम है  वैसे ही खूबसूरती है ।

अरे ये क्या बोल रहा  हूँ मैं कही पागल तो नही हो गया । हंशित ने अपने आप  से कहा और तकये पर सर रख कर लेट गया । लेकिन अभी भी उसकी आँखों के सामने हिमानी का चेहरा  नज़र  आ  रहा  था और उसे अपने दोस्तों की बाते याद आ  रही थी  जो उन्होंने उससे कही थी मोहब्बत के बारे में


हिमानी, भव्या  और उसके माता पिता भी रात का भोजन करके सोने जा रहे थे । हिमानी घर के सारे काम करके अब सोने जा रही थी उसके पैर में हल्का दर्द हो रहा था  इसलिए  वो बाम लेकर अपने कमरे में आयी  तब  ही पीछे से भव्या भी आ गयी ।

क्या भव्या हिमानी से उसके इस तरह उन लोगो के साथ किए बर्ताव के बारे में सवाल करेगी या फिर आकर सो जाएगी जानने के लिए पढ़िए अगले भाग में


धन्यवाद 

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7 Comments

shweta soni

05-Aug-2022 08:07 AM

Behtarin rachana sir 👌

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Khan

05-Aug-2022 12:06 AM

Nice

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Renu

04-Aug-2022 10:51 PM

बहुत ही खुबसूरत 👍👍

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