लेखनी प्रतियोगिता -04-Aug-2022 तुलसीदास का जीवन
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-तुलसी दास जी का जीवन
विषय-गोस्वामी तुलसीदास
महान कविकार का हुआ जन्म,
धरती हुई धन्य,
नाम था उनका तुलसीदास,
सूरज जैसा था इनका उजास।
1532 ई. में हुआ जन्म,
राजपुर गांव में हुआ जन्म,
उस मिट्टी को करते नमन,
जो कहलाती तुलसीदास की जन्म भूमि।
हुलसी बाई के थे लाल,
आत्माराम दुबे थे तात
मुंह से निकला पहला शब्द राम
ना
राम कथा में दिया हमें ज्ञान,
माता तुलसी के हृदय है समान,
राम ही प्रिय पावन तुलसी सी,
इन पंक्तियों में किया उल्लेख।
कहे गए यह अभागा,
मां का जन्म देते ही हो गया देहांत,
4 दिन में हुआ पिता का देहांत
तुलसीदास जी हो गए अनाथ।
आत्माराम अशुभ समझे,
दासी के समक्ष कर दिए हवाले,
हुए जब वो बड़े,
नरहरी की शरण में रहे।
सोते थे तुलसी के पौधे के नीचे,
मस्तक पर गिरते थे तुलसी के पत्ते,
नरहरी दास ने दूसरे नाम का किया नामकरण,
नाम रखा उनका तुलसीदास।
रत्नावली से हुआ विवाह,
रत्नावली से हुआ प्रेमपाश,
सहन ना कर पाए विरह,
रत्नावली से करने गए मिलन।
रत्नावली ने लगाई फटकार
देख पत्नी की यह ललकार,
सांसारिक मोह का किया त्याग,
बन गए संत सन्यास।
वृद्धावस्था में झेली पीड़ा,
कवितावली में उल्लेख किया,
हनुमान बाहुक में इसको लिखा,
"पाव पीर, पैर पीर, बाहु पीर, मुंह पीर।
जर्जर सकल शरीर पीर भई है।"
12 ग्रंथों का किया निर्माण,
रामचरितमानस के थे श्रेष्ठ रचनाकार,
गीतावली में किया सात कांडों मे विभक्त गीत काव्य,
तुलसीदास की रचनाएं हुई प्रसिद्ध।
चित्रकूट धाम पर किया अपना त्याग,
सप्तमी की तिथि सावन मास,
ली उस दिन अंतिम सांस,
पहुंच गए परलोक धाम।
Pankaj Pandey
05-Aug-2022 01:50 PM
Nice 👍
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Punam verma
05-Aug-2022 08:30 AM
Very nice
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Abhinav ji
05-Aug-2022 07:28 AM
Nice👍
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