लेखनी कहानी -05-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 19
वो रात सब लोग करवटे बदलते रहे। हिमानी जब आँख बंद करती हंशित नज़र आ जाता और जब हंशित अपनी आँखे बंद करता तब उसके सामने हिमानी का चेहरा सामने आ जाता, वही दूसरी तरफ रुपाली जी को भी नींद नही आ रही थी । बाहर बिजली और बादल गरज रहे थे शायद बारिश होने वाली थी ।
रुपाली जी उठी और खिड़की बंद करदी ताकि बारिश अंदर ना आ सके। थोड़ी देर में बारिश शुरू हो गयी मानसून की दस्तक हो चुकी थी ।
वही दूसरी तरफ झुग्गी झोपडीयों में रहने वाले लोगो की परेशानी बढ़ गयी थी क्यूंकि अभी तक कोई फैसला नही हुआ था उन्हें जाना भी पड़ सकता था और नही भी वो लोग भी उस रात सो नही पा रहे थे अगले पल क्या हो जाए इसी खौफ के मारे।
अगली सुबह हिमानी उठी नहा धोकर जब वो आईने के सामने आयी तब एक अजीब सी मुस्कान उसके चेहरे पर थी वो खुद को निहार रही थी और उसने श्रृंगार मेज पर रखी गुलाबी रंग की लिपस्टिक अपने होठो पर लगायी जिसे लगाते ही उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ी की तरह लगने लगे ।
उसके बाद वो घर में बने मंदिर गयी और नाश्ता करने लगी। भव्या जो उसे गौर गौर से देख रही थी उसे इस तरह देख हिमानी बोली " क्या हुआ पहली बार देख रही हे मुझे इतनी गौर से क्यू देख रही हे "
"कुछ नही दीदी बस आज आप कुछ अलग लग रही हो कुछ तो अलग किया ही आपने अपने साथ मांग भी रोज़ वाली निकाली हे , चुटिया भी वही पहले वाली हे लेकिन फिर क्यू अलग लग रही हो और नज़र ना लगे बड़ी ही खूबसूरत लग रही हो, कोई देख ले तो लट्टू हो जाए " भव्या ने कहा
"चुप बेशर्म कही की किस तरह की बातें कर रही हे , चुप चाप नाश्ता कर और कॉलेज जा मेरी बेटी तो रोज़ ही प्यारी लगती हे " वैशाली जी ने कहा डांटते हुए
"मिल गया जवाब अब चेन से नाश्ता कर और मुझे भी करने दे " हिमानी ने मुस्कुराते हुए कहा
भव्या नाश्ते में लग गयी लेकिन थोड़ी देर बाद बोली " अच्छा आपने वो श्रृंगार मेज पर रखी गुलाबी वाली लिपस्टिक लगायी हे जो मेने आपके लिए खरीदी थी पर आपने मना कर दिया लगाने से और मैं उसे वही रख आयी थी। दीदी कितनी अच्छी लग रही हे आप पर ना जाने क्यू आपको सादा रहना पसंद हे
"चल गया पता तुझे तो अब तेरा पेट भर गया होगा अब तुझे नाश्ते की ज़रूरत नही अब तू जा कॉलेज " हिमानी ने कहा हस्ते हुए
"अच्छा मुझे बताना था शाम को सुरेन्द्र की माँ आएँगी तुम्हारे कंगन का नाप लेने इसलिए घर जल्दी आ जाना "वैशाली जी ने कहा
ये सुन हिमानी के चेहरे की हसीं कही गायब ही हो गयी जैसे वो कुछ कहती तब ही भव्या बोल पड़ी " क्या मम्मी वो रोज़ ही आ जाती हे बेवजह हमारा नुकसान कराने अब उनके लिए रसोई में खड़े होकर बढ़या बढ़या नाश्ते बनाओ नही तो बाहर से मंगा कर अपनी जेब ढीली करो, कंगन तो सिर्फ एक बहाना हे वो तो हमारे घर क्या तैयारियां चल रही हे ये भापने आ रही होंगी रग रग से वाकिफ हूँ मैं आंटी की "
"भव्या बेटा तुम बहुत ही बदतमीज हो गयी हो जो मुँह में आता हे जिस किसी के भी बारे में बकती जाती हो बिना कुछ सोचे समझें वो तुम्हारी बहन की होने वाली सास हे उनके बारे में ऐसा वैसा कुछ ना कहा करो दीवारों के भी कान होते हे बेवजह उन्होंने सुन लिया तो ज़िन्दगी भर तुम्हारी बहन को ताने सुनाती रहेंगी " वैशाली जी ने कहा
"माँ मुझे सच बोलने की आदत हे जो मुझे सही लगता हे मैं उसे सही कहती हूँ और जो गलत होता हे उसे गलत कहने का भी हौसला रखती हूँ ये सीख आपने ही हम दोनों बहनों को सिखाई थी लेकिन जब उस सीख पर अमल करो तो दुनियां बदतमीज समझने लगती हे, अब आप ही बताओ मैं क्या करू, क्या आप जानती नही हो कविता आंटी को, क्या आपको उनके आने का मकसद नही पता या फिर आप जान कर अनजान बनने की कोशिश कर रही हे " भव्या ने कहा
"बेटा मैं जानती हूँ और समझती भी हूँ लेकिन मैं दो बेटियों की माँ भी हूँ, मैं नही चाहती की कोई भी ऐसी बात हो जिस का खामयाज़ा मेरी बेटियों को ससुराल में बात बात पर ज़लील करके चुकाना पड़े। ये बात तुम दोनों को जब समझ आएगी जब तुम भी बेटियों की माँ बनोगी तब तुम मेरी दुविधा को समझ पाओगी " वैशाली जी ने कहा
"ओह माँ आप तो भावुक हो गयी अच्छा माफ करदो आयींदा नही कहूँगी अगर आपने माफ नही किया तो पूरा दिन खराब हो जाएगा पढ़ाई में भी मन नही लगेगा मेरा "भव्या ने कहा
"ठीक हे माफ किया लेकिन वादा कर की आगे से किसी के भी बारे में बिना सोचे समझें कुछ नही कहेगी " वैशाली जी ने कहा
"माँ वादा तो नही कर सकती लेकिन हाँ कोशिश जरूर करूंगी की मेरी बात से किसी का दिल ना दुखे खास कर आप दोनों का " भव्या ने कहा और अपनी माँ को गले लगाया
हिमानी कुछ नही बोली वो बस भव्या की तरफ देख रही थी। तब ही भव्या ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराई और बोली " दीदी आज तो आपका मूड सही हे ना तो उन लोगो के साथ भी सही रहना वैसे आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो ये कह कर वो कॉलेज के लिए दौड़ी "
पागल कुछ भी बोलती हे हिमानी ने कहा मुस्कुराते हुए और बोली " अच्छा माँ मैं अब चलती हूँ शाम को जल्दी आने की कोशिश करूंगी "
"ठीक हे बेटा कविता भाभी के आने से पहले आने की कोशिश करना बेवजह नाराज़ होंगी अगर तुम घर पर नही मिली तो " वैशाली जी ने कहा
"ठीक हे माँ, अपना ख्याल रखना और कार्तिक को जगा देना उसके स्कूल जाने का समय हो रहा हे " हिमानी ने कहा और बैग उठा कर चली गयी
कितना ख्याल हे इसे हम सब का ईश्वर मेरी बेटी की ज़िन्दगी खुशियों से भरी रखना किसी भी ख़ुशी से ये मेहरूम ना रह सके बस इतनी सी विनती हे प्रभु वैशाली जी ने कहा आसमान की तरफ देख कर।
"ओह लगता हे मानसून का आगाज़ होने वाला हे कितने काले काले बादल आ रहे हे छत से पापड़ उठा लाऊ कही भीग ना जाए अगर बारिश आ गयी तो " वैशाली जी ने अपने आप से कहा और छत की और भागी
हिमानी ठीक 8 बजे वहा पहुंच गयी वहा सिर्फ हंशित ही खड़ा था बाकी सब अभी आ रहे थे।
हंशित ने जब हिमानी को देखा तो देखता ही रह गया मानो कोई अप्सरा उसके सामने आ कर खड़ी हो गयी हो जैसे।
हंशित भी आज बेहद हैंडसम लग रहा था। उसने काली ट्राउज़र, वाइट टी शर्ट जो की ट्राउज़र के अंदर टुमी हुयी थी और वाइट जूते और उस पर ब्लैक चश्मा लगाए हुए था और हाथ में उसके कैमरा किसी भी लड़की का तुरंत उस पर दिल आ जाए।
हंशित ने हिमानी को हेलो कहा लेकिन हिमानी ने उसका जवाब नमस्ते करके दिया हाथ जोड़ कर।
हंशित थोड़ा शर्मिंदा हुआ और उसने भी उसे हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा।
"आपका पैर केसा हे अब दर्द तो नही हो रहा " हंशित ने पूछा
"अब ठीक हे, बाम लगा लिया था और वैसे भी वो मामूली सी चोट थी " हिमानी ने कहा और खामोश हो गयी वो मन ही मन सोच रही थी कि इसे कल के लिए thank you कहा जाए.
लेकिन उसके दिल और दिमाग़ के बीच जंग चल रही थी। दिल तो चाहता था कि उसे धन्यवाद बोला जाए लेकिन दिमाग़ सोच रहा था कि कही ये मुझे भी उन लड़कियों जैसा ना समझें जो इससे बात करने के लिए मरी जाती हे।
हंशित भी चोरी छिपी निगाहो से हिमानी को देख रहा था उसकी नज़र उस पर से हट नही रही थी वो उसकी तारीफ करना चाहता था पर डर रहा था की कही वो बुरा ना मान जाए बहुत हिम्मत करके वो उससे कहने को होता हे तब ही पीछे से श्रुति आती और हिमानी को गले लगा कर कहती।
नज़र ना लगे बेहद खूबसूरत लग रही हो शहर चलो मेरे साथ तुम्हे मॉडलिंग के ऑफर ना आने लगे तो मेरा नाम बदल देना।
"धन्यवाद, आप भी बेहद प्यारी लग रही हे इस जीन्स में " हिमानी ने कहा
"थैंक्स, तो चले बाकी सब लोग कहा रह गए "श्रुति ने कहा और हंशित की तरफ देखा और बोली " ओए होए इधर तो हमारी नज़र गयी ही नही क्या बात हे हंशित आज तो तू भी कमाल लग रहा है क्या बात आज सूरज उलटी दिशा से निकला है शायद
तुम दोनों तो आज बिलकुल किसी मॉडलिंग कपल से कम नही लग रहे
ये सुन हिमानी और हंशित ने अचम्बे से श्रुति की तरफ देखा
सॉरी सॉरी मुँह से निकल गया क्या करू तुम दोनों आज लग ही बहुत प्यारे रहे हो की तारीफ किए बिना रहा नही गया चलो अच्छा माफ करदो और इन तीनो को फ़ोन लगाओ की आखिर कहा रह गए अभी तक आये क्यू नही
"हम आ गए तुमने बुलाया और हम चले आये " पीछे से आ रहे लव, कुश और जॉन ने कहा
"अब फ़िल्मी बातें बंद करो और जल्दी चलो आज हमने जानवरो की तस्वीर उतारनी है " हंशित ने कहा
"कही दूर क्यू जाना इन तीनो की तस्वीर उतार ले ये तीनो भी जानवरो से कम थोड़ी है खाते भी जानवरो जैसा है और सोते भी जानवरो जैसा ही है "श्रुति ने हस कर कहा
हंशित भी हसने लगा हिमानी की भी हसीं निकहंशित ने जब उसे हस्ते हुए देखा तो उसे ऐसा प्रतीत हुआ मानो चारो दिशाये एक साथ हस पड़ी हो।
वो तीनो बुरा सा मुँह बना कर बोले और हम जानवरो की ये सरदारनी है जिसका नाम श्रुति है ।
"चलो अब बस करो चलना नही है क्या " हंशित ने कहा और उसके बाद सब लोग चल दिए हिमानी के पीछे पीछे ।
Sachin dev
06-Aug-2022 09:10 PM
Very nice 👍
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Seema Priyadarshini sahay
06-Aug-2022 08:58 PM
Nice post 👌
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shweta soni
06-Aug-2022 05:20 PM
Bahot achhi rachna sir
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