Add To collaction

कविता-नायक-05-Aug-2022

कविता -नायक

नायक का किरदार
जीवन के रंग मंच पर
शुरू होता है 
शुरू से अंत तक,
सुख दुःख के संगम में
नहाकर,
धोता है मन के मैल को 
हंसाकर,
कृष्ण और कंस का
राम और रावण का
द्रौपदी और दुशासन का
राशियां तो एक हैं 
पर कर्म सोंच में भेद है
कर्म ही बनाता है
नायक
या फिर खलनायक।
जीवन की पुस्तक में
अवस्था के अध्याय में 
बचपन डैस
जवानी कामा
बुढ़ापा को फुलस्टॉप समझिए 
इन्हें मात्र चिह्न नहीं
जीवन के ही रहस्य समझिए,
जीवन के आदर्श के नायक
रामायण के राम
जीवन के व्यवहारिक पक्ष के नायक
अर्जुन और श्याम
देश के नायक वीर सैनिक
जो हो गये कुर्बान
हमारा अपना नायक हमारे अंदर
का छिपा इंसान,
जो सिखाया है 
भलाई
अच्छाई
सच्चाई
मिताई
हिताई
और अपने कर्म कर
सतपथ पर चल कर
शुरू से अंत तक
अमर हो जाता है
सदा के लिए 
सृष्टि में अनंत तक। 

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी ,अम्बेडकरनगर 







   16
7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Aug-2022 09:05 PM

Nice post 👌

Reply

Raziya bano

06-Aug-2022 09:55 AM

Nice

Reply

Nancy

06-Aug-2022 09:44 AM

Nice

Reply