मैं जीवन से पृथक हूँ!
मैं जीवन से पृथक हूँ!
थक चुका हूँ, अब पग नहीं उठते
हिम्मत थी, पर हार चुका
सब जीता, जग जीता, अब पग नहीं उठते
हिम्मत थी, पर हार चुका।
नहीं है कोई यहां, सुनने को बातें मेरी,
बहुत बेरुखी सह ली मैंने
काँटो पर तो चला, अब पग नहीं उठते
हिम्मत थी, पर हार चुका।
लगा था कोई तो होगा अपना, इस भीड़ में
नहीं था पता, मैं अकेला
अकेले इन राहों में, अब पग नहीं उठते
हिम्मत थी, पर हार चुका।
बेसहारा, बंजारा, लावारिश या नकारा
कहा जो आया जिसके मन में
बहुत सुना, अनसुना कर, अब पग नहीं उठते
हिम्मत थी, पर हार चुका।
"मन" मेरी तरह किसी को नहीं ढूंढना अब
मैं जीवन से पृथक हूँ
बहुत मुश्किल से ये राह चुना, अब पग नहीं उठते
हिम्मत थी, पर हार चुका।
#MJ
𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
12-Aug-2021 01:49 AM
मस्त😃
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मनोज कुमार "MJ"
15-Aug-2021 05:18 AM
Thank you
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Chetan Shri Krishna
11-Aug-2021 02:57 PM
Bahut hi Sundar prastuti
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मनोज कुमार "MJ"
11-Aug-2021 08:07 PM
Thank You
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Niraj Pandey
09-Aug-2021 08:52 PM
वाह जबरदस्त
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मनोज कुमार "MJ"
11-Aug-2021 08:07 PM
Thank you
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