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तुमसे अच्छा क्या होगा (ग़ज़ल)

"झर जायेंगी पंखुड़ियाँ तब

 इन  भंवरों  का  क्या होगा ! 
 उड़  जायेगी रंगत - खुशबू
 तब गुलशन का क्या होगा !! 
 
 मर   जायेंगे  चांद - सितारे
 मर   जायेगी  यह   क़ुदरत ;
 मर  जायेंगे  हम- तुम दोनों
 इससे   ज़्यादा  क्या   होगा !! 
 
 आग लगेगी फिर दुनिया में
 धुंआ   उठेगा  घर - घर  से ;
 जल  जायेगी बस्ती - बस्ती
 हे   मानव  तब  क्या  होगा  !! 

 कौन  रहा  है  , कौन  रहेगा
 इसका   निश्चय  कौन   करे ;
 क्रूर  नियति  के  आगे बोलो
 इन्द्रधनुष   का   क्या   होगा  !! 

 इस दुनिया में क्या रक्खा है
 इस  दुनिया  में  क्या   होगा  ;
 दर्द  की अपनी आप दवा है
 तुमसे   अच्छा   क्या   होगा  !!"
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2 Comments

Muskan khan

06-Aug-2022 09:24 PM

Very nice 👍

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Virendra Pratap Singh

07-Aug-2022 03:43 PM

ग़ज़ल को पसंद करने और टिप्पणी करने के लिए मुस्कान को तहे दिल से शुक्रिया.

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