कौन अब पहले की मानिन्द हाल किसका पूछता है,
इस बुढ़ापे में भी माँ को लाल किसका पूछता है,
पूछता है कौन अपने घर को और परिवार को,
समय सारा दे रहे हम बीबी और व्यापार को,
बाप बुढ़ा रो रहा खुद की दवाई के लिए,
बेटा वक्त दे रहा अपनी कमाई के लिए,
माँ बेचारी एक चश्मे के लिए हलकान है,
बीबी के चेहरे पै किंतु रहस्यमयी मुस्कान है,
माँ के मन मे आज भी एक अंजानी सी आस है,
बेटा उससे दूर फिर भी सोचती वो पास है,
शायद उसके बेटे की होंगी कोई मजबूरियाँ,
इसलिए ना चाहकर भी माँ से अब हैं दूरियाँ,
बेटा अक्सर सोचता है माँ को समझाएगा कौन,
इसको नियति मानकर बापू भी रहता है मौन!!
हर्ष जैन सहर्ष
Gunjan Kamal
07-Aug-2022 09:25 AM
शानदार
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shweta soni
07-Aug-2022 07:07 AM
Sach likha h apne 👌
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Nancy
07-Aug-2022 05:28 AM
Ekdm shi likha aapne
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