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लेखनी कहानी -07-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 23



हिमानी जिसकी आँखों में आंसू थे वो अपने कमरे में आयी और शीशे के सामने खड़ी होकर बोली " तुम्हे शर्म आनी चाहिए हिमानी तुम्हारे घर वाले तुम पर कितना भरोसा करते हे और तुम उसी भरोसे को तोड़ने जा रही थी, नही हिमानी तुम ये क्या करने जा रही थी  आखिर कैसे कर सकती हो तुम ये सब  जबकी तुम किसी और की अमानत हो, आखिर क्यू "


"दीदी ऐसा भी क्या कर दिया आपने की आप खुद को ही कसूरवार समझ रही हो, अभी आपने सब के सामने ही तो कहा की वो सिर्फ एक सेलानी हे  और उसे घुमाना फिराना आपका काम तो फिर आप इस तरह खुद  को कसूरवार क्यू कह रही हो " भव्या ने आकर पूछा


हिमानी उसे देख घबरा गयी और बोली " इसलिए अपने आप को कसूरवार कह रही हूँ की आज मेरी वजह से पिताजी की कितनी बदनामी हो जाती अगर वो मुझ पर भरोसा  ना करके उन बातों को सच मान लेते  "


"ऐसा कुछ नही होता, आंटी को तो बस  बहाना चाहिए था  जो उन्हें मिल गया  तुम परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा वैसे भी इसमें तुम्हारी कोई गलती नही थी  " भव्या ने कहा


"मुझे खुद  से ज्यादा उस लड़के हंशित की परवाह हे  उसे भी आंटी ने ना जाने क्या कुछ नही कहा बल्कि आज  मैं अगर ज़िंदा हूँ तो उसकी वजह से " हिमानी ने कहा

"क्या मतलब , ऐसा क्या हुआ था  दीदी " भव्या ने पूछा 

तुझे याद हे  जिस दिन कविता  आंटी कंगन का नाप लेने आयी थी और मुझे देर हो गयी थी और मैं डरी सहमी घर आयी थी उस दिन मैं खायी में गिर गयी थी  पैर फिसलने पर क्यूंकि शाम हो रही थी और मुझे घर जल्दी आना था । हिमानी और कुछ कहती तब  ही भव्या कहती


दीदी इतना बड़ा  हादसा हो गया आपके साथ और आपने बताया नही आपको कुछ हुआ तो नही था 


"नही मेरी बहन मैं जब फिसली तब मेने उस लड़के हंशित  क हाथ थाम  लिया अचानक से मेरे साथ वो भी गिर गया  वो तो भगवान जी की किर्पा से हम  दोनों एक पेड़ पर अटक गए । जहाँ से उसके दोस्तों ने रस्सी डाल कर हमें ऊपर खींचा  मैं तो डर गयी थी लेकिन उसने मुझे हौसला दिया अपने सीने से लगा  कर ऊपर ले आया ।" हिमानी ने कहा


दीदी आपको कुछ हुआ तो नही, भगवान भला करे उस लड़के का जिसने मेरी दीदी को बचा लिया पता नही क्या हो जाता। भव्या  ने कहा


"तू सही कहती थी वो अच्छा लड़का हे  मैं ही उसे गलत समझती थी  " हिमानी ने कहा

"चल अब सोने चलते हे  रात बहुत हो गयी हे  "हिमानी ने कहा

भव्या  को उसकी आँखों में हंशित के लिए प्यार नज़र आ रहा था जिस तरह वो उसकी बातें कर रही थी उससे लग  रहा था  की हिमानी को भी कुछ हो गया हे  इसलिए वो उससे पूछती हे " दीदी आज आप और हंशित इस तरह बाजार में क्यू घूम रहे थे "

हिमानी ये सुन खामोश सी हो गयी  और लड़खड़ाती जुबान में बोली " क,,,, क,,, क्या मतलब  तेरा इस बात से उसने बाजार घूमने का कहा  तो मैं उसे घुमाने ले गयी  बस , आज से पहले भी तो सेलनियों को बाजार घुमाती थी "


"दीदी उस समय हर पल सेलनियों का नाम आप की जुबांन पर नही होता था , और आप  इस तरह आँखों में चमक लाकर कभी किसी सेलानी का ज़िक्र नही करती थी। कुछ तो हुआ हे  आपको " भव्या ने कहा


"भव्या  तू गलत समझ रही हे  ऐसा कुछ  नही हे  हाँ तू दोस्त कह  सकती हे  क्यूंकि उसने मेरी जान बचायी थी इसलिए " हिमानी ने कहा

"मोहब्बत की शुरुआत दोस्ती से ही होती हे  दीदी " भव्या ने कहा

"भव्या  तू  चुप हो और जाकर लेट जा  इस तरह की बातें करके मुझे असमंजस में मत डाल " हिमानी ने कहा


"दीदी मैं तो चुप हो जाउंगी लेकिन अपने इस दिल को कैसे समझाओगी । दीदी मान क्यू नही लेती हो की तुम्हे भी उससे मोहब्बत हो गयी हे  और तुम्हे उसका साथ अच्छा लगने लगा हे  इसलिए तो तुम दोनों आज  बाजार में एक साथ  थे " भव्या ने कहा


"मोहब्बत वोहब्बत कुछ नही होती हे । वो सिर्फ एक सेलानी हे  जो कुछ  दिन बाद चला जाएगा और हम  यही रह  जाएंगे मेरी किस्मत का फैसला हो चुका हे  और तू भी खामोशी के साथ  सोजा अब मैं सिर्फ उन लोगो से एक गाइड की तरह मिलूंगी भूल बैठी थी कि मैं एक लड़की हूँ मेरे कांधो पर मेरे पिता कि इज़्ज़त का भार हे  जो मेरी एक गलती से मिट्टी में मिल सकता हे  " हिमानी ने कहा


"ठीक  हे  दीदी समझा  सकती हो तो समझालो इस दिल को लेकिन ये समझने वालो में से नही तुम भी कोशिश करके देख लो " भव्या ने कहा और करवट बदल कर सो गयी ।


हिमानी की आँखों में आंसू थे । वो रो रही थी बार बार उसे हंशित  का चेहरा दिखाई दे रहा था ।

वही दूसरी तरफ  हंशित भी हिमानी की तस्वीर हाथ में लिए उसे निहार रहा था  वो नही जानता था  की जो प्यार के जज़्बात उसके दिल में उमड़ रहे हे क्या वही जज़्बात हिमानी के दिल में भी हे उसके लिए।


अगले दिन हिमानी फिर से वही रुड वाली हिमानी बन गयी  थी  वो ज्यादा बात नही कर रही थी और हंशित  से दूर दूर थी । श्रुति से भी ज्यादा बात नही कर रही  थी ।


हंशित  और हिमानी को इस तरह देख  उसके दोस्त खुश नही थे  अब उन्हें कुछ  ना कुछ  तो करना था  अभी तो वो ये भी नही जानते थे की हिमानी भी हंशित से प्यार करती हे  या नही।



इस बात को जानने का एक ही तरीका था  भव्या , भव्या  कुछ  तो जानती होगी अपनी बहन के बारे में यही सोच  रख  कर वो शाम को हिमानी के घर की और गए  लेकिन घर में सब लोग मौजूद थे जिस वजह से वो घर के अंदर नही जा सके और बाहर रुक कर इंतज़ार किया।


घर के अंदर सब  लोग बैठे थे तब ही भव्या चाय  लेकर आयी तब ही उसने देखा  खिड़की के बाहर  लव कुछ अजीब अजीब सी हरकते कर रहा था  और इशारो से उसे बुला रहा था । वो उसे देखती रही  तब  ही हरी किशन जी ने कहा " बेटा बाहर क्या देख रही हो चाय दो हम सब को "


भव्या घबरा कर " क,,,, क,,, कोई भी तो नही पापा बस  ऐसे ही मौसम  कितना अच्छा हे ना यही देख रही हूँ "

हाँ ये तो हे  मौसम तो अच्छा हे  लगता हे  एक आद दिन में  इंद्र देव की कृपा होने वाली हे   और उसके बाद मेरी बेटी डोली में बैठ कर अपने घर चली जाएगी। हरी किशन जी ने कहा

हिमानी ये सुन झूटी हसीं दिखा कर वहा से चली गयी अपने कमरे में।भव्या समझ गयी थी की उसकी दीदी को ख़ुशी नही हुयी ये सुन कर।


भव्या चाय देकर डरते डरते अपने पिता से पूछती हे  " पापा मैं थोड़ा  बाहर चहल कदमी के लिए  जाती हूँ आज  मौसम बेहद सुहाना हे "

"ठीक हे बेटा जाओ लेकिन जल्दी आना  " हरी किशन जी ने कहा और भव्या  वहा से बाहर आ गयी ।


वो बाहर  आकर उसकी नज़रे लव को ढूंढ रही थी तब ही उसने पीछे से आ कर भौ कर दिया भव्या डर गयी और उसकी चीख निकल गयी ।


उसकी चीख सुन अंदर से आवाज़  आयी  " क्या हुआ बेटा ठीक तो हो "

भव्या घबरा जाती और कहती  " प,,,,, प,,, पापा कुछ नही वो बस अँधेरे में एक काले बिल्ले को देख लिया "

"ठीक हे बेटा संभाल कर जाओ अंधेरा हे बाहर  " हरी किशन जी ने कहा


"तुम यहाँ क्या कर रहे हो किसी ने देख लिया तो " भव्या ने पूछा  लव से

"हम तो काले बिल्ले हे कही भी पहुंच जाते हे  " लव ने कहा

भव्या ये सुन मुस्कुराई उसे देख लव भी मुस्कुराने लगा ।

"अच्छा चलो तुमसे कुछ बात करनी हे  " लव ने कहा

"लेकिन कहा और क्या बात करनी हे " भव्या  ने पूछा 

वो उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले आया  भव्या कुछ कहती तब ही सामने उसे श्रुति, कुश, जॉन और हंशित दिखे उन्होंने उसे हाय किया।


"ये लोग, यहाँ क्या कर रहे हे  और मुझे तुम वहा  क्यू ले जा रहे हो " भव्या ने पूछा 

"रुको तुमको सब पता चल जाएगा अभी लेकिन तुम गुस्सा मत करना  समझी " लव ने कहा और वो उसे लेकर उनके पास आ गया 


क्या भव्या  शांति पूर्वक उनकी बात सुनेगी क्या उनका साथ देगी या नही जानने के लिए पढ़िए अगला भाग  



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2 Comments

Renu

07-Aug-2022 12:38 PM

👌👌 बहुत ही सुन्दर

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Gunjan Kamal

07-Aug-2022 10:48 AM

बहुत ही शानदार भाग

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