लेखनी प्रतियोगिता -07-Aug-2022 आतंकवाद का खौफ
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-आतंकवाद का खौफ
विषय-आतंक
क्या है आतंकवाद,
करता सबकी जिंदगी बेहाल,
इंसानियत छोड़कर बन बैठा हैवान
आतंकवाद के रूप में पहन बैठा है नाकाब।
क्यों फैला रहा है आतंक
क्या है तेरी चाहत,
जो मासूमों को करता है परेशान,
जब देखो जब करता है बम का वार।
लाखों उजाड़े तूने घर,
कितनों के मन में बैठ गई दहशत,
हो गया है तेरा बहुत कहर,
अब तो कर तू रहमत।
कितनों का उजड़ा सिंदूर,
कितनों की हो गई सूनी गोद ,
कितनों की हो गई सूनी राखी,
कितनों की हो गई सूनी कलाई ।
क्या बिगाड़ा था इन सब ने,
ताज पर जब किया तूने हमला,
वहां पर था विदेशी पर्यटक का बसेरा,
वहां पर भी फैलाया तूने अपना आतंक।
चंद दिनों के थे मेहमान,
उन्हें भी कर दिया तूने लहूलुहान,
क्या बिगाड़ा था उन बच्चों ने,
स्कूल के नाम से लगे डरने।
क्या चाहता है यह आतंकवाद,
इन्हें यह क्यों नहीं पता,
हम सब है भाई भाई,
फिर क्यों करते हैं दुश्मनी।
जड़ से मिटा दो आतंकवाद को
जो करता है जिंदगी बर्बाद,
लाखों के घर को देता उजाड़,
ना फैलाओ अब तुम आतंक।
ना करो तुम अब ऐसा
प्रियंका दे रही है आवाज,
सबके घर को रहने दो आबाद,
ना बनाओ तुम बबूल,
चारों तरफ खिलने दो फूल।
Mukesh Duhan
08-Aug-2022 06:32 PM
Nice ji
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Khushbu
08-Aug-2022 11:03 AM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Aug-2022 08:02 AM
बेहतरीन
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