आतंक
आज हर तरफ बस आतंक का साया है
हर शख्स डरा हुआ है, भयभीत है
आतंक की कोई हद नही है
चाहे किसी को भी खत्म कर सकता है
उसका कोई नही है और वह किसी का नहीं है
आतंक इंसान के भीतर छुपा हुआ एक राक्षस है
जो जब जब जागता है उसे आतंकी बना जाता है
हर रोज हर कहीं बस आतंक का मचता शोर है
आतंक हर तरफ है, हर कोई आतंकित है।।
- कंचन सिंगला
लेखनी प्रतियोगिता -07-Aug-2022
shweta soni
08-Aug-2022 01:34 PM
Nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Aug-2022 07:59 AM
👌🏼 👌🏼 👌🏼 लाजवाब
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Milind salve
08-Aug-2022 12:04 AM
V nice 👌
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