Madhu Arora

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आंतक

आंतक

आंतक देखों है बड़ा,
सुना ना चारों तरफ नशा बड़ा।
तस्वीर देख मुख से ना बोले,
उल्टे सीधे कटाक्ष करते।
रचना पर ध्यान न देते।
शब्दों से मुलाकात न करते।
आंतक देखो कहां कहां ,
हाय हैलो से बात करते।
फिर क्या क्या कहते,
आंतक देखों कहा कहां है।
बसो में टेरन में देखो।
सीधे साधे पुरुषो को बदनाम करते हैं।
कुछ पुरूष अजीब होते हैं,
लगता जैसे नजरें घूर रही।
जाने वह कुछ ढूंढ रहे।
डर लगे उन नजरों स,
खुद को संभाले कैसे।
आतंक तो दुश्मन से लगे,
हम तो सीना तान खड़े।
आने दो उनको जरा सामने,
सीने उनके छलनी कर दे।
आतंक उनके मन में भर दे,
हम हैं हिंदुस्तानी भारत मां के लाल।
जो भी नजर उठाए हम पर
फोड़ दे आंँख तत्काल।
                रचनाकार ✍️
                मधु अरोरा
                7.8.२०२२

प्रतियोगिता हेतु

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5 Comments

shweta soni

08-Aug-2022 01:32 PM

Behtarin rachana 👌

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Ilyana

08-Aug-2022 08:23 AM

Bahut khub

Reply

Milind salve

07-Aug-2022 11:54 PM

V nice 👌

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