लेखनी कहानी -08-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 28
भव्या रसोई घर में हिमानी की मदद करा रही थी खाना बनाने में और हिमानी गैस पर रोटियां सेक रही थी।
"बेटा थोड़ा जल्दी करो तुम्हारे पिताजी शाम की आरती से आते ही होंगे, आज मौसम भी ख़राब हो रहा है लगता है बारिश आएगी" वैशाली जी ने कहा बाहर बरामदे से
"माँ बस थोड़ी देर और सारा खाना बन चुका है। बस रोटियां सेक रही हूँ ताकि पिताजी आये तो गरमा गर्म रोटियां खा सके वैसे भी आज मैंने बेसन की कड़ी और सूखे आलू बनाये है जो पिताजी की पसंदीदा है" हिमानी ने कहा
"ठीक है बेटा आराम से करो कही हाथ वात मत जला लेना कही कविता भाभी कहे हमारी बहु का हाथ जला दिया खाना बनवा कर " वैशाली जी ने कहा
"हाँ, वैसे भी वो दीदी को महारानी बना कर ले जाने के लिए ले जा रही है ना, जो दीदी का हाथ जलने पर वो कुछ कहेंगी " भव्या ने कहा पास खड़ी हिमानी से
"कुछ कहा क्या तुमने भव्या थोड़ा ज़ोर से कहो " वैशाली जी ने बाहर बरामदे से पूछा
हिमानी ने गुस्से से भव्या की तरफ देखा और अपने मुँह पर ऊँगली रख कर उसे चुप रहने का बोलते हुए बोली " नही माँ कुछ नही कह रही है भव्या आप आराम से कपडे उतार लो अलगनी से कही बारिश ना आ जाए "
ठीक है बेटा तुम दोनों आराम से खाना बनाओ मैं जब तक बाहर से कपडे उतार लेती हूँ।वैशाली जी ने कहा
"क्या दीदी, क्यू चुप रहने को बोला जो बात सच है वो सच है, वो कोई आपको बहु नही अपने घर की नौकरानी बना कर ले जा रही है, खुद आराम से बैठी रहेंगी बिस्तर पर और आपसे सारा काम कराएंगी " भव्या ने कहा
"तो क्या हुआ, मेरी बड़ी है वो मेरी माँ की जगह होंगी अगर एक जगह बैठ कर मुझसे काम करने का कहेंगी तो क्या बुरा होगा, घर पर माँ के काम नही करते है हम दोनों " हिमानी ने कहा
"माँ, माँ होती है और सास हमेशा सास ही रहती है दीदी, उसके लिए आप कुछ भी कर लोगी फिर भी वो मौका मिलते ही आपको कही ना कही ताना मार ही देगी और माँ के लिए कुछ भी ना करो फिर भी वो कभी अपनी बेटी की शिकायत दूसरों से नही करेगी, हमेशा अपनी बेटी की तारीफ ही करेगी। और कविता आंटी जैसी सास राम - राम भव्या ने अपने दोनों हाथ कानो तक ले जाते हुए कहा
"चल अब ज्यादा बातें ना कर पिताजी आते होंगे, जाकर पानी भर नल से और बर्तन धो साफ करके " हिमानी ने कहा
"वैसे दीदी उस बारे में कुछ सोचा " भव्या ने पूछा
"किस बारे में " हिमानी ने पूछा
"उसी के बारे में " भव्या ने कहा
"किस उसी के बारे में खुल कर बता पहेली ना बुझा " हिमानी ने पूछा
"दीदी उसी शहरी लड़के हंशित के बारे में, जिसने आपके दिल में घर बना लिया है लेकिन आप उसकी मोहब्बत को उस घर में जगह नही दे रही हो " भव्या ने कहा
हिमानी का हाथ रोटी सेकते सेकते रुक सा गया और वो भव्या से हंशित का नाम सुन उसके ही ख्यालों में कही खो सी गयी।
तब भव्या उसे हिलाती और कहती "क्या हुआ दीदी उसके ख्यालों में खो गयी देखो रोटी जलने लगी "
उसके कहते ही भव्या यादों के भवसागर से बाहर आयी और जल्दी जल्दी कपडे के बजाये अपनी उंगलियों से गर्म गर्म तवे पर से रोटी उतार ली।
जिससे उसका हाथ जल सा गया और उसकी चीख निकल गयी।
"क्या हुआ तुम दोनों ठीक तो हो " बाहर से वैशाली जी ने पूछा
"म,,,, म,,,,, माँ ठीक हूँ में बस गर्म रोटी पर हाथ लग गया " हिमानी ने झूठ बोलते हुए कहा
भव्या उसका हाथ पकड़ कर सिंक पर ले गयी और टोटी खोल कर पानी डालने लगी।
"क्या दीदी किन ख्यालों में खो गयी की अपना हाथ जला लिया "भव्या ने पूछा
"ये सब तेरी वजह से हुआ तूने ही मुझे बातों में उलझाया था और मेरा ध्यान हट गया और ये सब हो गया, बहुत तकलीफ हो रही है " हिमानी ने कहा
"दीदी मेरी बातों ने नही किसी की यादों ने आपका ये हाल किया है, दीदी ये तकलीफ तो कुछ भी नही होगी, जो तकलीफ आप जानते बूझते बर्दाश कर रही हो अपने दिल पर ये चोट तो मरहम से ठीक हो जाएगी पर आप जो चोट अपने आप को अंदर ही अंदर पंहुचा रही हो उसे कोई मरहम ठीक नही कर सकता सिवाय प्यार के " भव्या ने कहा
"मैं किसी से प्यार नही करती हूँ इतनी सी बात तेरी समझ में क्यू नही आती है " हिमानी ने कहा थोड़ा गुस्से से अपना हाथ उसके हाथ से छूटाते हुए
"मैं किसी की नही बल्कि हंशित से प्यार करने की बात कर रही हूँ आप मानो या ना मानो आपकी मर्ज़ी, लेकिन आपके दिल में सिर्फ और सिर्फ उसी के लिए प्यार छिपा है आप भले ही अपनी ज़ुबान से कितनी बार एतराफ कर लीजिये लेकिन आपकी आँखे और कपकपाते होंठ आपका साथ नही दे रहे है इस झूठ में।"भव्या ने कहा
"भव्या तू,,,,,,,,," हिमानी कुछ कहती तब ही रसोई में उसकी माँ आ पहुंची कहते हुए की खाना बना या नही तुम्हारे पिताजी आ पहुचे है।
उन्हें देख वो दोनों खामोश हो जाती है। वैशाली जी इस ख़ामोशी के पीछे छिपे कारण को जानना चाहती है इसलिए वो कहती है " क्या हुआ तुम दोनों यूं अचानक खामोश क्यू हो गयी, क्या हो रहा था यहाँ "
वो दोनों एक दूसरे की तरफ देखती तब ही भव्या लड़खड़ाती जुबान में कहती " म,,,,, म,,,,,, म,,, माँ कुछ नही बस देखो ना दीदी ने अपना हाथ जला लिया ना जाने किसके ख्यालों में खोयी थी "
"हाय! राम ये कर दिया तूने मेरी बच्ची आज से पहले तो कभी ऐसा कुछ नही हुआ आखिर कहा ध्यान था तेरा " वैशाली जी ने हिमानी का हाथ अपने हाथ में लेकर उस पर ठंडी ठंडी स्नेह भरी फूक मारते हुए पूछा
"बताओ दीदी आखिर आपका ध्यान किधर था, माँ कुछ पूछ रही है मुझे तो बताया नही शायद माँ को बता दो" भव्या ने उसकी तरफ देख कर कहा
हिमानी ने उसकी तरफ गुस्से भरी निगाह से देखा।
"बताओ हिमानी कहा गुम थी रोटी सेकती समय आखिर तेरी तबीयत तो ठीक है ना " वैशाली जी ने दोबारा पूछा
"माँ ऐसा कुछ नही है बस यूं ही अचानक रोटी सेकते समय बचपन की याद आ गयी थी जब पहली बार आपने मुझे रोटी सेकना बताई थी बस उन्ही यादों के पिटारे में खो गयी थी " हिमानी ने भव्या की तरफ देखते हुए कहा
भव्या बुरा सा मुँह बना कर वहा से चली गयी हिमानी उसके जाने की वजह जान गयी थी।
"इसे क्या हुआ ये क्यू अचानक वजह जान कर बाहर भाग गयी " वैशाली जी ने भव्या के इस तरह जाने पर एतराज करते हुए हिमानी से पूछा
छोड़ो भी माँ शायद वो कुछ और सोच रही थी, मैं ठीक हूँ अब आप पिताजी से कहे हाथ मुँह धोकर बैठ जाए उनकी बेटी अभी गरमा गर्म रोटियां लाकर देती है अपने हाथ की बनी। हिमानी ने कहा
मेरी प्यारी बेटी वैशाली जी ने उसका माथा चूमते हुए कहा और वहा से चली गयी।
हिमानी ने जल्दी जल्दी रोटियां सेंकी और बाहर आकर सब को परोस दी। उसने भी थोड़ा बहुत खाना खाया और रसोई साफ करके अपने कमरे में चली गयी।
भव्या बाहर बरामदे में बैठी थी और थोड़ी देर बाद आकर अपने बिस्तर पर लेट गयी बिना अपनी बहन से कुछ कहे।
हिमानी वजह जानती थी उसके नाराज़ होने की वो गुमसुम सी खिड़की के पास आ कर बैठ गयी । रात बहुत काली थी आसमान में काले बादल मंडरा रहे थे। चारो और सन्नाटा पसरा हुआ था । रात के 10 बज चुके थे ।
हिमानी की आँखों में नींद नही आ रही थी उसने कई बार जाकर सोने की कोशिश की परन्तु करवटे बदलती रही और थक हार कर दोबारा वही खिड़की के पास आकर बैठ गयी । उसे भी कही ना कही हंशित की याद आ रही थी ।
वही दूसरी तरफ सब लोग सो गए थे। हंशित को जिस घड़ी का इंतज़ार था वो आन पहुंची थी सब लोग सो गए थे ।
वो चुपके से अपने बिस्तर से उठा और अपना मोबाइल और पर्स लेकर बाहर की और बड़ा उसने जैसे ही दरवाज़ा खोला, लव जाग गया जो सिर्फ सोने का ड्रामा कर रहा था ।
हंशित ने धीरे से दरवाज़ा बंद किया और बाहर आन पंहुचा ।
"अच्छा तो साहब चल दिए अपने मेहबूब के दर्शन करने चल लव तू भी चल उसके पीछे ताकि उसे कुछ हो जाए तो तू उसे रूम तक तो ला ही सकूँ " लव ने अपने आप से कहा और बेड से नीचे उतरा और उसका पीछा करने लगा ।
थोड़ी देर बाद हंशित हिमानी के घर के सामने पहुंच गया । उसके घर के आँगन में बने बगीचे में वो चोरी छिपकर प्रवेश करता है ।
उसकी नज़र ऊपर गयी। एक कमरे की लाइट जल रही थी। और एक साया भी नज़र आ रहा था ।
हंशित नीचे गर्दन डाल कर आगे बढ़ रहा था उधर लव ने उस साये को भव्या समझ कर अपनी गर्दन नीचे डाली और नीचे नीचे होकर चलने लगे ।
तभी अचानक वो दोनों एक दूसरे से टकरा गए और डर गए उनकी चीख निकली।
हिमानी ने जब कुछ सुना तो अपने कान खड़े किए और खिड़की से नीचे झांका ।
"तू यहाँ क्या कर रहा है तूने तो मना किया था आने से " हंशित ने लव से पूछा
"तुझे अकेले कैसे आने देता ये शहर थोड़ी है , अगर किसी ने तुझे देख लिया होता तो पता है क्या होता तू आता तो अपने पेरो पर लेकिन जाता कांधो पर, इसलिए मैं भी आ गया तेरे पीछे " लव ने कहा
"चल झूठा, ये कहना की तुझे भी किसी को देखना था इसलिए आया है " हंशित ने कहा
"तुझे जो समझना है समझ अब ये बता क्या भाभी दिखी आखिर वो परछाई किसकी थी " लव ने पूछा
"नही यार अभी तक तो नही देखा उसे क्या पता सो गयी हो, हमने देर करदी आने में " हंशित ने कहा उदास चेहरे से
"हौसला रख मेरे भाई, ज़्यादा परेशान ना हो देखना जिस काम के लिए आये है वो होकर रहेगा ।" लव ने कहा
"भव्या , ओ भव्या उठ देख बरामदे में कोई चोर घुस आया है मुझे लगता है " हिमानी ने कहा
"क्या दीदी सो जाओ ना, आखिर चोर क्या करने आएगा हमारे घर" भव्या ने आँख मसलते हुए कहा
"क्या मतलब चोर क्या करने आएगा हमारे घर, चोर का काम क्या होता है चोरी करना, तो चोरी करने ही तो आएगा हमारे घर और क्या पिता जी से हवन कराने का पूछने आएगा " हिमानी ने कहा
भव्या ये सुन घबरा कर उठी और बोली " कहा है चोर हाय राम मेरे सोने के बुँदे "
"अरे बेवक़ूफ़ लड़की तुझे सोने के बूंदो की पड़ी है , देख यहाँ से शायद वो बाहर बरामदे में है " हिमानी ने कहा
दोनों खिड़की पर आकर खड़ी हो गयी पेड़ो के पीछे से कुछ खड़बड़ की आवाज़ आ रही थी ।
"वो देख शायद वहा बैठे है वो लोग। चल उनके पास चलते है उन्हें मज़ा चकाहेंगे " हिमानी ने कहा
"अरे दीदी पागल हो गयी हो क्या, वो चोर है कोई माली नही जो हम उन्हें पकड़ने जाएंगे तो वो हमें कुछ कहेँगे नही उनके पास बन्दूक होगी हमें मार दिया तो ना बाबा मुझे अभी नही मरना " भव्या ने कहा
"बात तो सही है तेरी फिर क्या करे " हिमानी ने पूछा भव्या से
"पिताजी को जागते है वो खुद ही कुछ ना कुछ कर लेंगे।" भव्या ने कहा
"ये ठीक रहेगा मैं यहाँ खिड़की से देखती हूँ तू जाकर पिताजी को लेकर जा कही भाग ना जाए " हिमानी ने कहा
हिमानी खिड़की पर आन पहुंची तब ही हंशित की नज़र उस पर पड़ी और वो उसे देख दंग रह गया उसके बाल खुले हुए थे , एक डर सा उसके चेहरे पर था , वो उस रात चाँद की तरह खिड़की से झाँक रही थी । हंशित उठ रहा था तब ही लव ने उसकी गर्दन नीचे करदी और कहा " पागल मरवाएगा क्या हम दोनों को चल अब देख लिया तूने "
तब ही पीछे से एक आवाज़ आती " पिताजी यही कही छिपे बैठे है वो चोर "
"हे! राम ये क्या कर दिया हम दोनों ने वो देख भव्या अपने पिता को ला रही हे , आज तेरी वजह से हमें कोई नही बचा सकता भाग यहाँ से मेरे भाई वरना किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहेंगे " लव ने कहा
तभी वो लोग भागने लगे नीचे होती हलचल देख ऊपर खड़ी हिमानी ज़ोर से चिल्लाती ओर कहती " पिता जी वो लोग उधर है बरामदे कि दूसरी तरफ "
ऊपर से आती आवाज़ सुन हंशित अपना सर उठा कर उसे देखने लगता है, तब ही लव उसका सर नीचे कर देता और कहता " क्या कर रहा है मेरे भाई पकडे गए तो बेवजह कपडे फट जाएंगे तुझे पता नही है यहाँ के लोग चोरो के साथ केसा सुलूक करते है "
लेकिन हंशित तो जैसे खो सा गया था कही उसे लव कि एक बात भी सुनाई नही दे रही थी वो तो बस खिड़की में खड़ी हिमानी को देख रहा था ।
क्या वो दोनों बच पाएंगे या फिर पकडे जाएंगे जानने के लिए पढ़ते रहिये
Sachin dev
09-Aug-2022 06:24 PM
Very nice
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Muskan khan
09-Aug-2022 06:03 PM
Nice
Reply
Ilyana
09-Aug-2022 08:00 AM
Shaandar
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