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प्रियजन

विषय - प्रियजन
( प्रिय पत्नी अनीता को समर्पित )
विधा - ग़ज़ल
( वज़्न - 2122""2122"212 )
( 14 ग़ज़लें 101 शे'र )
ग़ज़ल - i
1)
कुछ पलों को पास आओ तो सही
हाल तुम अपना सुनाओ तो सही
2)
गर कभी फ़ुर्सत मिले ऐ जाँ मेरी
प्यार को अपने जताओ तो सही
3)
दर्दे-दिल हो जाएगा कम पल में यूँ
इक दफ़अ तुम मुस्कुराओ तो सही
4)
आएगी मंज़िल भी चलकर पास में
कुछ क़दम आगे बढ़ाओ तो सही
5)
सब यहाँ ख़ामोश बैठे कब से हैं
कोई भी किस्सा सुनाओ तो सही
6)
एक लम्बी ज़िन्दगी है सामने
अपने माज़ी को भुलाओ तो सही
7)
बेशक़ीमत है रिफ़ाक़त जान लो
मिलना-जुलना और बढ़ाओ तो सही
8)
जो मज़ा है सादगी में और कहाँ
सादगी को आज़माओ तो सही
9)
देखना मिट जाएंगे 'आनन्द' ग़म
ख़ुद हंसो सबको हंसाओ तो सही

ग़ज़ल-ii
10)
नाम मेरा लब पे लाओ तो सही
वो ग़ज़ल फिर गुनगुनाओ तो सही
11)
मेरे दिल की सुन के क्यूँ ख़ामोश हो
राज़ अपने भी बताओ तो सही
12)
आपकी क़ुर्बत को तरसा हूँ बहुत
दो घड़ी को पास आओ तो सही
13)
क्या मरज़ है इश्क़ ये किसको ख़बर
डॉक्टर कोई बुलाओ तो सही
14)
आपके चेहरे पे होगा नूर फिर
इक हंसी लब पर सजाओ तो सही
15)
है अगर दावा कि सुनते हो ग़ज़ल
इक ग़ज़ल मुझको सुनाओ तो सही
16)
ज़िन्दगी 'आनन्द' सच में ख़्वाब है
अपने सपने में बुलाओ तो सही

ग़ज़ल - iii
17)
जो भी करना, करके आओ तो सही
फ़ैसला लिखकर के लाओ तो सही
18)
रोक पाएगी क़ज़ा बिल्कुल नहीं
इक दफ़अ दिल से बुलाओ तो सही
19)
देखने के वास्ते तैयार हूँ
ज़ीस्त का सपना दिखाओ तो सही
20)
कोई माने या न माने, भूलकर
रास्ता सच का दिखाओ तो सही
21)
देख लेना मान जाएगा ज़रूर
प्यार से उसको मनाओ तो सही
22)
दोस्ती हो जाएगी फिर बाद में
सिलसिला पहले बढ़ाओ तो सही
23)
फिर वफ़ा 'आनन्द' मिलती है ज़रूर
दोस्ती पहले निभाओ तो सही

ग़ज़ल - iv
24)
इस जहाँ को भूल जाओ तो सही
जश्ने ग़म तन्हा मनाओ तो सही
25)
भाग जाएगी पलों में तीरगी
दीप कोई इक जलाओ तो सही
26)
दौड़ा दौड़ा वो चला ही आएगा
प्यार से उसको बुलाओ तो सही
27)
हुस्न से पानी में होगी आग इक
जल में इक डुबकी लगाओ तो सही
28)
इम्तिहाँ कहकर लिया तो क्या लिया
बिन कहे भी आज़माओ तो सही
29)
जाँ भी दे देंगे सनम इक बार को
आरज़ू अपनी बताओ तो सही
30)
बेख़ुदी 'आनन्द' होगी और क्या
जाम आँखों से पिलाओ तो सही

ग़ज़ल - v
31)
दिल से नफ़रत को मिटाओ तो सही
इक ग़ज़ल उल्फ़त की गाओ तो सही
32)
दिल से करते हो मोहब्बत सच में गर
प्यार को अपने जताओ तो सही
33)
आप आए आएंगी फिर से बहारें
कहने पर गुलशन में आओ तो सही
34)
तिश्नगी होंठों पे करती रक्स है
प्यास ये आकर बुझाओ तो सही
35)
हैं निकलते जा रहे आँसू मेरे
पोंछने अश्कों को आओ तो सही
36)
हर क़दम पर हम संभालेंगे तुम्हें
चलते चलते लड़खड़ाओ तो सही
37)
मेरा दिल 'आनन्द' सुनता है सदा
दिल में शहनाई बजाओ तो सही

ग़ज़ल - vi
38)
चुपके से सपने में आओ तो सही
वायदा ऐसे निभाओ तो सही
39)
कुछ क़दम का साथ भी हो जाएगा
सैर बाग़ों की कराओ तो सही
40)
क्या हुआ जो एक चूका है अगर
इक निशाना औ'र लगाओ तो सही
41)
आज़माने के लिए तूफ़ाँ बहुत
हौसले को आज़माओ तो सही
42)
गीत हो चाहे ग़ज़ल हो नज़्म या
महफ़िलों में आ के गाओ तो सही
43)
है अगर मालूम मंज़िल की डगर
राह राही को दिखाओ तो सही
44)
दोस्त को 'आनन्द' बेशक़ इक दफ़अ
वक़्ते मुश्किल आज़माओ तो सही

ग़ज़ल - vii
45)
दिल के दरवाजे से आओ तो सही
पाठ उल्फ़त का पढ़ाओ तो सही
46)
कुछ नहीं देता हमें बीता जो कल
बात माज़ी की भुलाओ तो सही
47)
ज़िन्दगी में लज़्ज़तें हैं प्यार से
प्यार हर दिल में जगाओ तो सही
48)
फ़ैसला पीने का होगा बाद में
जाम लेकिन पास लाओ तो सही
49)
मय के छींटें मारकर रिन्दों को अब
होश पहले सा दिलाओ तो सही
50)
नाम उल्फ़त की वसीयत की अगर
सारी दुनिया को बताओ तो सही
51)
ज़िन्दगी 'आनन्द' इक शतरंज है
जीतकर बाज़ी दिखाओ तो सही

     

प्रियजन


ग़ज़ल - viii
52)
बुग़्ज़ो-कीना को मिटाओ तो सही
प्यार का इक गीत गाओ तो सही
53)
क्या पता कश्ती किनारा ले पकड़
ज़ोर भी पूरा लगाओ तो सही
54)
काविशें करने में कैसा हर्ज़ है
प्यार की दुनिया बसाओ तो सही
55)
भाग जायेगा अँधेरों का ये डर
इसको हिम्मत से डराओ तो सही
56)
दोगुनी ख़ुशियाँ मिलेंगी पल में फिर
दोस्त को बाज़ी जिताओ तो सही
57)
कोई भी इमदाद करनी चाहिए
आदमी के काम आओ तो सही
58)
है मरज़ 'आनन्द' कैसा इश्क़ का
गर मुदावा है  बताओ तो सही

ग़ज़ल - ix
59)
रोने वालों को हंसाओ तो सही
हर ख़ुशी मिलकर मनाओ तो सही
60)
अक्स अपना आइने में देखकर
यूँ ही ख़ुद पर मुस्कुराओ तो सही
61)
ग़ैर की कमियों को गिनना छोड़कर
अपनी कमियाँ ख़ुद गिनाओ तो सही
62)
ख़ुद-ब-ख़ुद सबको पता चल जाएगा
शम्स जैसे तमतमाओ तो सही
63)
नाम रोशन कुछ तो हो ही जाएगा
इक हुनर कोई सिखाओ तो सही
64)
लोग मानेंगे तुम्हारे ज़ब्त को
ग़ैर की ग़लती भुलाओ तो सही
65)
टोकती 'आनन्द' है दुनिया सदा
सबके ताने भूल जाओ तो सही

ग़ज़ल - x
66)
रोशनी करके दिखाओ तो सही
दीप-उत्सव भी मनाओ तो सही
67)
सच है ख़ुशियाँ बाँटकर बढ़तीं सदा
करके देखो  जान जाओ तो सही
68)
दूसरे का दर्द है महसूस कब
अपने दिल को भी जलाओ तो सही
69)
मुंतज़िर बैठे हुए हैं कब से हम
हाले दिल अपना सुनाओ तो सही
70)
नींद भी आती नहीं रातों को अब
लोरियाँ गाकर सुनाओ तो सही
71)
हिचकियाँ ही हिचकियाँ आती हैं अब
इक दफ़अ मिलकर भी जाओ तो सही
72)
है डगर 'आनन्द' पनघट की कठिन
पर क़दम आगे बढ़ाओ तो सही

ग़ज़ल - xi
73)
चाँदनी बनकर के आओ तो सही
मेरे दिल को जगमगाओ तो सही
74)
हारना दुनिया की नज़रों में ग़लत
जीत जाओ जीत जाओ तो सही
75)
बख़्श देना क़ातिलों को ठीक है
बेगुनाहों को सताओ तो सही
76)
ग़लतियाँ उनकी गिनाओ तो ग़लत
वस्फ़ के बस पुल बनाओ तो सही
( वस्फ़ = प्रशंसा )
77)
नफ़रतों की धुंध ये मिट जाएगी
दीप उल्फ़त का जलाओ तो सही
78)
आसमाँ को चाहते छूना अगर
हौसला दिल में जगाओ तो सही
79)
जाएंगी 'आनन्द' बढ़ नज़दीकियाँ 
फ़ासले दिल के मिटाओ तो सही

ग़ज़ल - xii
80)
बन के मेहमाँ दिल में आओ तो सही
हर कली दिल की खिलाओ तो सही
81)
हर कोई अपनी कहेगा मुश्किलें
मोमदिल बनकर के जाओ तो सही
82)
छोड़ दो बाक़ी ख़ुदा पर जो भी हो
आज से फ़सलें उगाओ तो सही
83)
फल नहीं कडुवे कभी भी आएंगे
आम का पौदा लगाओ तो सही
84)
सकपकाकर ये सुलझती जाएंगी
उलझनों को मुंह चिढ़ाओ तो सही
85)
ख़्वाहिशें तो आग हैं , भूलो इन्हें
आशियाँ दिल का बचाओ तो सही
86)
हर ख़ुशी कहती रही 'आनन्द' ये
मुझको अपने घर बुलाओ तो सही

ग़ज़ल - xiii
87)
ख़ुद को साबित करके आओ तो सही
मेहनतों से कुछ कमाओ तो सही
88)
जान लोगे चीज़ क्या है मुफ़लिसी
घूम के बस्ती में आओ तो सही
89)
बोरियत होने लगी है शह् र से
गाँव भी इक दिन दिखाओ तो सही
90)
घूमते फिरते हो दुनियाभर में जब
घर कभी मेरे भी आओ तो सही
91)
नेकियाँ ही साथ जानी हैं सदा
करके नेकी भूल जाओ तो सही
92)
तब मुक़म्मल जान लोगे सच है क्या
बेड़ियों के पार आओ तो सही
93)
मिल के सब 'आनन्द' बैठें साथ में
सिलसिला ऐसा जमाओ तो सही

ग़ज़ल - xiv
94)
हौसले के साथ जाओ तो सही
जीतकर सबको दिखाओ तो सही
95)
रोज़ फुटपाथों पे मरते लोग हैं 
बेघरों को घर दिलाओ तो सही
96)
कुछ निवालों के लिये क्या होड़ है
मुफ़लिसी ऐसी मिटाओ तो सही
97)
अपनी-अपनी तिश्नगी की फ़िक्र क्यूँ
प्यास औरों की बुझाओ तो सही
98)
झूट की होती नहीं है उम्र कुछ
बाज़ इन जुमलों से आओ तो सही
99)
हंस पड़ेगी देखना दुनिया यही
कहकहा खुलकर लगाओ तो सही
100)
इस तरह संजीदगी अच्छी नहीं
खेलना है खेल आओ तो सही
101)
सुब्ह का 'आनन्द' भूला फिर नहीं
शाम को घर लौट जाओ तो सही

स्वरचित/मौलिक
आनन्द किशोर
10/02/2021   
     

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2 Comments

kapil sharma

12-Feb-2021 12:24 AM

😊😊😊

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Manish Kumar(DEV)

11-Feb-2021 11:10 PM

wahhh

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