Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -09-Aug-2022 मेहंदी की व्यथा

शीर्षक- मेहंदी की व्यथा

चहूं दिशा में इसका नाम,
हर घर घर में इसकी पहचान,
हर नारी के हाथों की शान,
सुहागन का है यह श्रृंगार।
मेहंदी है इसका नाम।

 मेहंदी कर रही अपने दुःख का बयान,
मेहंदी सुना रही अपनी व्यथा,
मेरे दुख की है यह पीड़ा,
किसको सुनाऊं,
कोई नहीं सुनता।

जब मैं पिसती
बहुत ही दर्द सहती,
फिर भी दूसरों के हाथों में रचती,
हाथों में अपना रंग छोड़ती।

मेहंदी का दुख किसी ने ना जाना,
कोई उसे खरड़ से कूटता,
कोई उसे सिलबट्टे से पीसता,
फिर भी किसी ने दुख ना जाना।

लाख चोट खाती,
फिर वो भिगोई जाती,
फिर हाथों में लगाई जाती
हाथों की शोभा बन जाती।

हाथों में मेहंदी रचाती,
अपने पिया का नाम लिखाती,
हाथों की शोभा बढ़ाती,
वार त्यौहार का मान बढ़ाती।

सुअवसर में होता प्रयोग,
हर सुहागन करें उपयोग,
सोलह श्रृंगार में इसका महत्व,
शादी ब्याह में होता मेहंदी उत्सव।

जब हाथ में मेहंदी गहरी रचती,
सभी सखी यही कहती,
ज्यो ज्यो गहरी मेहंदी रचे,
त्यो त्यो  पति का प्यार बढ़े।

मेहंदी करती हमारा पूरा श्रृंगार,
मेहंदी का करते हम सम्मान,
मेहंदी है नारी की शान,
मेहंदी है हमारी आन।



लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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8 Comments

Abhinav ji

11-Aug-2022 11:11 AM

Very nice👍

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Punam verma

11-Aug-2022 09:37 AM

Very nice

Reply

shweta soni

10-Aug-2022 10:42 AM

Nice 👍

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